हाथी के दांत बन गये सरकारी नलकूप

अधिकतर किसान सिंचाई के लिए नहरों पर निर्भर रहते हैं. पिछले कई वर्षों से एक ओर किसानों को मौसम की बेरुखी का मार सहना पड़ता है, तो दूसरी ओर नहरों में पानी नहीं आने से उनकी परेशानी बढ. जाती है. आर्थिक रूप से कमजोर किसान उम्मीद लगा कर धान की रोपनी तो करते हैं, पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:43 PM

अधिकतर किसान सिंचाई के लिए नहरों पर निर्भर रहते हैं. पिछले कई वर्षों से एक ओर किसानों को मौसम की बेरुखी का मार सहना पड़ता है, तो दूसरी ओर नहरों में पानी नहीं आने से उनकी परेशानी बढ. जाती है.

आर्थिक रूप से कमजोर किसान उम्मीद लगा कर धान की रोपनी तो करते हैं, पर मौसम की बेवफाई के कारण धान की फसल बेजान हो जाती है. नहर में पानी नहीं होने से किसानों को भा.डे के पंप सेटों से धान की सिंचाई करनी पड़ती है. विभाग की उदासीनता के कारण जिले के कई प्रखंडों में पिछले चार-पांच वर्षों से किसानों को नहर से पानी नहीं मिल रहा है. इससे आर्थिक रूप से उनकी कमर टूटती जा रही है.

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