इम्फाल एयरपोर्ट पर मंत्री पर भड़कने वाली लड़की की पूरी कहानी
सोशल मीडिया पर बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक महिला इम्फाल एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस पर अपनी भड़ास निकालती नजर आईं. वीडियो में महिला ने आरोप लगाया कि उनके (मंत्री के) वीआईपी मूवमेंट की वजह से उनकी फ्लाइट तय समय पर नहीं उड़ पाई. वो समय पर अपने घर नहीं पहुंच […]
सोशल मीडिया पर बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक महिला इम्फाल एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस पर अपनी भड़ास निकालती नजर आईं.
वीडियो में महिला ने आरोप लगाया कि उनके (मंत्री के) वीआईपी मूवमेंट की वजह से उनकी फ्लाइट तय समय पर नहीं उड़ पाई. वो समय पर अपने घर नहीं पहुंच पाएंगी और कोलकाता से उनकी अगली फ्लाइट भी छूट जाएगी.
अल्फोंस से तेज़ आवाज़ में बात करते हुए महिला ने बताया कि वो परेशानी में हैं और उनका अपने घर जाना ज़रूरी है.
वीडियो में दिखने वाली महिला पटना की रहने वाली है. उनका नाम डॉ. निराला सिंह है. निराला इम्फाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में पीजी के तीसरे वर्ष की छात्रा हैं.
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दरअसल, निराला अपने भाई की बेटी की मौत की ख़बर मिलने के बाद आनन-फानन में घर जा रही थीं. उनके आने तक बच्ची का शव घर में रखा गया था.
बीबीसी से बात करते हुए निराला ने बताया कि वो उस समय काफी परेशान थी. उन्हें हर हाल में समय पर घर पहुंचना था. अगर वो समय पर नहीं पहुंचती तो शव से बदबू आने लगती. रीति-रिवाजों के लिए घर वाले उनका इंतजार कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें (मंत्री) अचानक प्रतिक्रिया दी. इन सबके पीछे मेरी कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी. राजनीति में मेरी कोई रुचि नहीं है और मैं उन्हें जानती भी नहीं थी."
निराला आगे कहती हैं, "शायद उन्हें मेरा व्यवहार बुरा लगा हो, पर मुझे ये लगा कि वो ताकतवर लोग हैं और मेरी मदद कर सकते हैं. यह सोचकर मैंने उनसे बात की."
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‘बिना सोचे मंत्री की तरफ बढ़ गई’
मौत की ख़बर मिलने के बाद निराला ने एक दिन पहले रात 11 बजे बुधवार की टिकट बुक कराई थी. उन्हें इम्फाल से कोलकाता, फिर वहां से दूसरी फ्लाइट लेकर पटना पहुंचना था.
इम्फाल एयरपोर्ट के अधिकारी एम चिंगलेनसाना ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य वीआईपी मूवमेंट के कारण कुछ फ्लाइट के शेड्यूल बदले गए थे, जिसकी वजह से यात्री विमान ने देरी से उड़ान भरी.
निराला बताती हैं, "मैं काफी हताश थी. मेरे पास समय नहीं था. मैं इंतजार कर रही थी. अचानक मंत्री जी दिख गए. लोग उनके आगे-पीछे माला लेकर खड़े थे. मैंने एक महिला से पूछा कि क्या ये वही हैं, जिनकी वजह से देरी हो रही है. उस महिला ने कहा- हां. फिर क्या था मैं बिना सोचे उनकी तरफ बढ़ गई."
निराला की सुबह 10:50 बजे की फ्लाइट दोपहर करीब 2:30 बजे कोलकाता पहुंची. जब वो वहां पहुंची, उनकी फ्लाइट छूट चुकी थी. वो परेशान सभी से मदद मांगती रही.
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‘कोलकाता एयरपोर्ट पर दौड़ती रही’
वो बताती हैं, "मैं कोलकाता एयरपोर्ट पर इधर-उधर दौड़ती रही. मेरी पटना की फ्लाइट छूट चुकी थी. यहां मैंने विमान कंपनियों के कर्मियों से भी मदद मांगी, पर वो मदद नहीं कर पाए. अंत में मैंने दूसरे विमान में तत्काल टिकट बुक कराया और पटना पहुंची."
कई जगहों पर विनती के बावजूद निराला को मदद नहीं मिली. वो पूरे रास्ते दोतरफा पीड़ा झेलती हुई घर पहुंची. उन्होंने अफसोस है कि उन्होंने मंत्री के साथ वैसा व्यवहार किया.
वो कहती हैं, "मैं फ्लाइट में खुद को कोस रही थी. यह मेरी गंदी आदत है कि मैं चिल्लाने लगती हूं. मेरे पास में जो बैठा था, पूरे रास्ते मैं उन्हें अपनी भावनाएं बता रही थी."
निराला के घर का माहौल गमगीन है. उनके भाई बबन ने बताया कि जिस बच्ची की मौत हुई वो उन्हें बेटी की तरह मानती थी. जब से घर पहुंची है वो लगातार रो रही है.
राष्ट्रपति यात्रा के दौरान कैसी होती है सुरक्षा
मामले में मंत्री अल्फोंस ने मीडिया में सफाई दी है. उन्होंने कहा, "मैंने महिला को परेशान देखा और उनसे बात करने पहुंच गया. उन्होंने बताया कि एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पटना जाना है. मैंने उन्हें बताया कि एक प्रोटोकॉल है कि जब राष्ट्रपति के विमान की लैंडिंग होती है, तो कोई भी फ्लाइट उड़ान नहीं भर सकती."
पटना एयरपोर्ट के निदेशक आरएस लाहौरिया ने बीबीसी को बताया कि राष्ट्रपति की उड़ान में विशेष एयर ट्रैफिक की व्यवस्था की जाती है.
लाहौरिया बताते हैं, "साधारण स्थिति में दो विमानों के बीच 1000 फीट की दूरी रखी जाती है, लेकिन राष्ट्रपति की हवाई यात्रा के मामले में यह दूरी 2000 फीट की होती है."
उन्होंने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रपति के विमान की लैंडिंग को भी प्राथमिकता दी जाती है. यह पूरी व्यवस्था तय योजना के मुताबिक की जाती है.
लाहौरिया बताते हैं, "उनके आगमन की सूचना सभी एयरलाइंस को नोटम (नोटिस टू द एयर मैन) के जरिए दी जाती है, जिसके बाद वे अपने विमान के समय में बदलाव करते हैं."
उन्होंने बताया कि वीआईपी मूवमेंट का असर छोटे एयरपोर्ट पर ज्यादा होता है, क्योंकि ऐसे एयरपोर्ट पर एयरक्राफ्ट पार्किंग और रनवे की कमी होती है.
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