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300 शब्दों में उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम

Getty Imagesउत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उनउत्तर कोरिया पर जारी गतिरोध एक ऐसा संकट है जिसका सबसे ख़राब नतीजा परमाणु युद्ध के तौर पर निकल सकता है. लेकिन ये एक जटिल मामला है. आइए पीछे मुड़कर उत्तर कोरिया से जुड़े सवालों पर एक बार फिर से गौर करते हैं. जापान के ऊपर से उड़ी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2017 7:02 AM
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300 शब्दों में उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम 2
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उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन

उत्तर कोरिया पर जारी गतिरोध एक ऐसा संकट है जिसका सबसे ख़राब नतीजा परमाणु युद्ध के तौर पर निकल सकता है.

लेकिन ये एक जटिल मामला है. आइए पीछे मुड़कर उत्तर कोरिया से जुड़े सवालों पर एक बार फिर से गौर करते हैं.

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परमाणु हथियार की चाहत?

उत्तर कोरिया का बंटवारा दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था. वामपंथी उत्तर कोरिया में रूस की तर्ज पर तानाशाही व्यवस्था लागू हुई.

विश्व बिरादरी में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुके उत्तर कोरिया के नेताओं को लगता है कि परमाणु ताकत ही वो दीवार है जो उन्हें बर्बाद करने पर तुली दुनिया से बचा सकती है.

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मिसाइलों की पहुंच कहाँ तक ?

उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों से ये लगता है कि उसकी इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें अमरीका तक पहुंच सकती हैं.

उसने तकरीबन पांच बार न्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण किया है.

खुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक वो छोटे आकार के परमाणु हथियार बनाने के क़रीब है या फिर वो इसे हासिल कर चुका है.

कहा जाता है कि वह ऐसे परमाणु हथियार विकसित कर रहा है जो किसी रॉकेट में फिट किए जा सकते हैं.

उत्तर कोरिया अमरीका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है और उसके पास ऐसी मिसाइलें भी हैं जो दक्षिण कोरिया और जापान तक मार कर सकते हैं.

इन देशों में अमरीकी सैनिक तैनात हैं.

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कंट्रोल कैसे होगा?

निशस्त्रीकरण की तमाम कोशिशें नाकाम हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र ने लगातार कड़ी पाबंदियां लागू की हैं. लेकिन इसके ज़्यादा नतीजे नहीं निकले.

उत्तर कोरिया के एकमात्र दोस्त चीन ने उस पर केवल आर्थिक और कूटनीतिक दबाव डाला है. अमरीका ने सैनिक कार्रवाई की चेतावनी दी है.

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चेतावनी में कितना दम?

संकट पिछले कई सालों से लगातार बढ़ रहा है. लेकिन छोटे परमाणु हथियार विकसित करना और अमरीका के उसके जद में आने से चीज़ें बदल गई हैं.

उत्तर कोरिया की धमकियां और गतिविधियां जिस तेजी से बढ़ रही हैं, उससे परमाणु टकराव का ख़तरा बढ़ गया है लेकिन अभी ये हक़ीकत से दूर है.

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क्या यह किम जोंग-उन युग की शुरुआत है?

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