गुजरात चुनाव: क्या जीएसटी के क्रियान्वयन के समय का नुकसान उठाना पड़ेगा भाजपा को ?

सूरत से अंजनी कुमार सिंह सूरत की पहचान हीरा और कपड़ा उद्योग से है. हीरे की बात सुनते ही मन में उसकी चमक उभर आती है, लेकिन जीएसटी के कारण इन दिनों बाजार में इसकी चमक फीकी दिख रही है. यही हाल कपड़ा व्यापार का भी है. जीएसटी से होनेवाले नुकसान को लेकर व्यापारी खुलकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2017 8:17 AM

सूरत से अंजनी कुमार सिंह

सूरत की पहचान हीरा और कपड़ा उद्योग से है. हीरे की बात सुनते ही मन में उसकी चमक उभर आती है, लेकिन जीएसटी के कारण इन दिनों बाजार में इसकी चमक फीकी दिख रही है. यही हाल कपड़ा व्यापार का भी है. जीएसटी से होनेवाले नुकसान को लेकर व्यापारी खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उन्हें जीएसटी से शिकायत नहीं है, बल्कि इसके क्रियान्वयन की टाइमिंग को लेकर उनके मन में असंतोष है. उनका कहना है कि नोटबंदी से अभी उबरे भी नहीं थे कि सरकार ने जीएसटी लाकर पूरे काम-काज को ठप कर दिया. कुछ दिनों के बाद लागू होता, तो कौन सी आफत आ जाती. हालांकि, जीएसटी स्लैब में बदलाव से व्यापारियों के एक वर्ग की नाराजगी थोड़ी कम होती भी दिख रही है.

टेक्सटाइल मार्केट के आनंद बोरसे बताते हैं कि, ‘जीएसटी से सिर्फ बड़े व्यापारी ही नहीं, छोटे कारोबारी और मजदूर भी प्रभावित हुए हैं. व्यापारियों की नाराजगी भाजपा से है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी नाराज व्यापारी वर्ग कांग्रेस को पसंद करने लगे हैं.’ कांग्रेस इस नाराजगी को भुनाने की हरसंभव कोशिश कर रही है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बता सूरत वासियों को उनके अपने शहर के हीरो ‘शोले’ फिल्म के संजीव कुमार के रोल की याद दिला रहे हैं. कांग्रेस खुद को जहां संजीव कुमार के रोल में प्रस्तुत कर रही है, वहीं भाजपा को गब्बर सिंह के रोल में. कांग्रेस को भरोसा है कि नोटबंदी और जीएसटी का खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा. शहर के मिनी बाजार, डायमंड मार्केट तथा बहीदरपुरा हीरा बाजार में काम मंदा है. बाजार के बाहर कटिंग-पॉलिसिंग करनेवालों की भीड़, पर दुकान में ग्राहक का अभाव.

मिनी बाजार में गुणवंत भाई छाबरिया बताते हैं कि सामान ऊपर से ही नहीं आ रहा है, तो काम मंदा है. मुकेश वागान और बिनु भड़सक की राय भी यही है. बालकी भाई बताते हैं कि हीरा कारोबार में बिना पढ़ा-लिखा भी काम कर लेता है. लेकिन, आज वैसे लोगों को भी काम नहीं मिल रहा है. हीरा कारोबारी रवि पटेल बताते हैं कि नोटबंदी ने काफी असर डाला है. व्यापारियों में नाराजगी है. लेकिन, यह इतनी भी नहीं है कि वे भाजपा को वोट ही न करें. अनुमान के मुताबिक कपड़ा और हीरा उद्योग पर लगभग 70 फीसदी कब्जा पाटीदारों का है.

कपड़ा के 125 से ज्यादा बाजार

सूरत के चारों और रिंग रोड है और रिंग रोड से सटा है कपड़ा बाजार. एक बाजार में लगभग 1500-2000 दुकानें है, जबकि ऐसे 125 से ज्यादा बाजार यहां पर हैं. यह शहर का सबसे व्यस्त इलाका है.

हीरा उद्योग में पांच लाख लोगों को रोजगार
विश्व के 90 फीसदी हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग का काम सूरत में होता है. यहां से सालाना 1.5 लाख करोड़ हीरे का आयात और लगभग एक लाख करोड़ रुपये का निर्यात होता है. करीब 6000 कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट हैं और पांच लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

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