क्या आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का साथ नहीं दे रहा है पाकिस्तान ?

वाशिंगटन : अमेरिका की दक्षिण एशिया रणनीति के तहत आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान के सहयोग से अमेरिका संतुष्ट नहीं है और उसे अब भी यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क को रोकने के लिये कोई कदम उठा रहा है. ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2017 1:08 PM

वाशिंगटन : अमेरिका की दक्षिण एशिया रणनीति के तहत आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान के सहयोग से अमेरिका संतुष्ट नहीं है और उसे अब भी यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क को रोकने के लिये कोई कदम उठा रहा है. ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. मुंबई-आतंकवादी हमले के आरोपी हाफिज सईद की रिहाई को उन्होंने इस दिशा में एक-एक कदम पीछे बताया है.

अधिकारी ने कहा कि पांच साल हक्कानी नेटवर्क के बंधक बने रहे कोलमैन परिवार का पाकिस्तान के भीतर से रिहा होना, पाकिस्तान का आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के सहयोग का कोई संकेत नहीं है. अक्टूबर में अमेरिकी खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तानी सेना ने कतलान कोलमैन, उनके पति जोशुआ बॉयल और उनके तीन बच्चों को रिहा कराया था. अफगान तालिबान से संबद्ध आतंकवादियों ने पांच साल पहले अफगानिस्तान की सीमा से लगी कुर्म घाटी से इन सभी का अपहरण कर लिया था.

अधिकारी ने बताया कि कूटनीतिक दबाव के साथ खुफिया एजेंसियों के अनवरत काम के चलते कोलमैन परिवार रिहा हो पाया. इसलिए मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि यह कार्य इस दिशा में (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगस्त में घोषित दक्षिण एशिया रणनीति के तहत पाकिस्तान द्वारा किया गया कार्य) एक कदम आगे है. उन्होंने कहा, हमें खुशी है कि कोलमैन अब मुक्त हैं और उन्हें रिहा कर दिया गया है. लेकिन हमें अब भी यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क को रोकने के लिये कदम उठा रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने जो कुछ भी किया है उससे हम संतुष्ट नहीं हैं. अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को लेकर अमेरिका का अब अलग दृष्टिकोण है. हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर आतंकी पनाहगाह के खिलाफ कदम उठायेगा.

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने इस बात का उल्लेख किया कि उसने दक्षिण एशिया रणनीति की घोषणा के बाद अपने वादे के अनुसार कोई कदम नहीं उठाया है और व्हाइट हाउस को अब भी उम्मीद है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में अमेरिकी रणनीति पर सहयोग के लिये अपनी रुचि दिखायेगा.

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