रामजन्मभूमि विवाद की फैक्ट्स फाइल
मनोज सिन्हा, मिथिलेश झा, राजीव चौबे जहिरुद्दीन मुहम्मद बाबर उर्फ बाबर. उज्बेकिस्तान की फरगना घाटी के अंदीझान शहर में पैदा हुए जहिरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने भारत में वर्ष 1526 र्इस्वी में मुगल शासन की स्थापना की. बाबर ने दिल्ली सल्तनत के तौर पर भारत पर शासन कर रहे लोदी वंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी […]
मनोज सिन्हा, मिथिलेश झा, राजीव चौबे
जहिरुद्दीन मुहम्मद बाबर उर्फ बाबर. उज्बेकिस्तान की फरगना घाटी के अंदीझान शहर में पैदा हुए जहिरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने भारत में वर्ष 1526 र्इस्वी में मुगल शासन की स्थापना की. बाबर ने दिल्ली सल्तनत के तौर पर भारत पर शासन कर रहे लोदी वंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी से गद्दी छीनकर मुगल शासन की स्थापना की थी. हालांकि, भारत में मुगल शासक के तौर पर बाबर ने महज चार साल तक ही शासन किया, लेकिन इन्हीं चार सालों के शासनकाल के दौरान उन्होंने त्रेता युगीन पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में एेसे विवादों की गहरी जड़ें खोदकर इमारत खड़ी कर दी, जिसका विवाद करीब 491 सालों में भी सुलझ नहीं सका है.
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जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं. हम आज के फैजाबाद जिले में स्थित अयोध्या के राजन्मभूमि की ही बात कर रहे हैं. यह बात दीगर है कि बाबरी मस्जिद आैर रामजन्मभूमि या फिर राम मंदिर के विवाद को लोग 1985 के बाद से जानते होंगे, लेकिन हकीकत यह है कि राम जन्मभूमि का विवाद बाबर के शासनकाल के समय से ही शुरू हो गया था.
हालांकि, बाबर के बाद से बहादुरशाह जफर तक भारत में मुगल शासक के तौर पर बाबर के वंशजों के तौर पर कर्इ लोगों ने शासन किये. उनके बाद अंग्रेजों ने भी करीब दो सौ साल तक भारत पर अपना आधिपत्य जमाये रखा. अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद अब तक विभिन्न राजनीतिक दलों के कर्इ सरकारें भी बनीं. बावजूद इसके इन 491 सालों के दौरान इसका विवाद आज तक सुलझ नहीं पाया है.
आज छह दिसंबर है आैर इसके एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि मामले में चल रही सुनवार्इ को अब अगले साल यानी 2018 की फरवरी महीने में शुरू करने का आदेश दिया है, लेकिन यह मामला 1885 में ही कानूनी दांव-पेंच के पचड़े में फंस गया था. मजे की बात यह है कि जिस साल देश की आजादी के लिए भारत में एनी बिसेंट आैर एआे ह्यूम के अथक प्रयास से भारत में कांग्रेस की स्थापना की गयी थी, उसी समय रामजन्मभूमि का मामला अदालत में चला गया था. तब से लेकर आज तक यह मामला निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने तक सुलझ नहीं पाया है.
जारी….