अन्याय के खिलाफ वोट करें : सोमेन
बंगाल की राजनीति के धुरंधर माने जानेवाले राजनेताओं में शामिल सोमेन मित्र का मानना है कि देश में चल रही मोदी की लहर के असर में बंगाल की कुछ सीटें भी आ सकती हैं, लेकिन बंगाल की जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होने को लेकर है. राज्य में […]
बंगाल की राजनीति के धुरंधर माने जानेवाले राजनेताओं में शामिल सोमेन मित्र का मानना है कि देश में चल रही मोदी की लहर के असर में बंगाल की कुछ सीटें भी आ सकती हैं, लेकिन बंगाल की जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होने को लेकर है. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की नीतियों को जनविरोधी करार देते हुए कोलकाता उत्तर से कांग्रेस के उम्मीदवार सोमेन ने प्रभात खबर से खास बातचीत में राज्य की जनता से यह अपील की है कि वे अपना वोट राज्य में जनता के साथ अन्याय करनेवालों के खिलाफ डालें और साथ ही अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़नेवाले नेताओं को विजयी बनाने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करें.
कोलकाता: सवाल : पिछले दो चरणों में मतदान के दौरान काफी अधिक वोटिंग का प्रतिशत रहा है. इसे आप किस रूप में देखते हैं ?
जवाब : अधिक वोटिंग प्रतिशत का सीधा मतलब एंटी एडमिनिस्ट्रेशन है. यह मतदान राज्य सरकार की नीतियों व अन्याय के खिलाफ है.
सवाल : कोलकाता उत्तर में आपका मुकाबला किस तरह का है. आपका मुकाबला किससे है?
जवाब : मेरे यहां भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन भाजपा मुकाबले में नहीं आयेगी. यह सीट कांग्रेस की रही है. कांग्रेस को भी वोट मिलेगा और पहले से अधिक वोट मिलेगा. दूसरा, इस चुनाव में सब अल्पसंख्यकों पर निर्भर करेगा और अल्पसंख्यक तृणमूल कांग्रेस के साथ नहीं हैं. अल्पसंख्यक समझ गये हैं कि उनकी सुरक्षा कौन कर सकता है. कोई क्षेत्रीय पार्टी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दे सकती है, केवल कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी ही अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दे सकती है. साथ में लोग भाजपा और उनकी नीतियों से भी परिचित हैं. राज्य में भाजपा को दाजिर्लिंग सीट आ सकती है. भाजपा दमदम, कृष्णनगर तथा आसनसोल में फाइट कर रही है.
सवाल : वर्तमान सरकार को 10 में से कितना नंबर देंगे ?
जवाब : कोलकाता के लोग इस सरकार को तीन नंबर भी नहीं दे पायेंगे, क्योंकि प्रत्येक आदमी इस सरकार से व्यथित है और अत्याचार का शिकार है और जहां तक मेरे लोकसभा केंद्र कोलकाता उत्तर का सवाल है. इस विषय का आकलन इस इलाके के मतदाता करेंगे कि पूर्व सांसद ने क्या किया या नहीं किया.
सवाल: वर्तमान सरकार के संबंध में आपकी अवधारणा क्या है ?
जवाब: वर्तमान सरकार लुटेरा है. यह सरकार अनुव्रत और अरावुल को सर्टिफिकेट दे रही है. कोलकाता शहर में प्रमोटिंग से लेकर सीमेंट, बालू सप्लाई करने वाले, बिल्डिंग प्रमोटिंग करनेवालों को इस सरकार का संरक्षण मिल रहा है. हर तरफ लूट मची है.
सवाल : तृणमूल कांग्रेस में सत्यता की बात कही जाती है?
जवाब : मैं सत्यता पर विश्वास करता हूं, लेकिन यदि सत्यता है, तो फिर मुख्यमंत्री ने अभी तक सारधा मामले की जांच सीबीआइ को करने के लिए क्यों नहीं दिया, लोग अब सत्यता की जगह सारधा के साथ उन्हें जोड़ कर देख रहे हैं. मुख्यमंत्री की पेंटिंग्स को सारधा ने एक करोड़ 86 लाख रुपये में खरीदी. यही तो सत्यता है. पुलिस जब चोर को पकड़ती है और चोर जब अपने साथी का नाम बताता है, तो उसे भी पकड़ा जाता है. पुलिस ने कुणाल घोष को पकड़ा, लेकिन कुणाल घोष ने जिन लोगों का नाम बताया. उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. आखिर उन लोगों को क्यों गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है.
सवाल: आपने तृणमूल क्यों छोड़ा ?
जवाब : मैं तृणमूल में गया था तथा खुद ही तृणमूल छोड़ कर चला आया, क्योंकि मैं अन्याय और अत्याचार को सहन नहीं कर पाया. टेट परीक्षा के लिए 28 लाख छात्रों का आवेदन लेने की जरूरत नहीं थी, यदि इतने अधिक लोगों को नौकरी नहीं दे सकते थे. फिर पार्टी के लोगों को ही नौकरी देनी थी, तो 28 लाख छात्रों का साक्षात्कार क्यों लिया गया. पोस्टल ऑर्डर लेकर चीट किया. अरावुल जैसा नेता कॉलेज कमेटी में है. शिक्षा को राजनीति से अलग करने की बात तृणमूल करती है और राजनीति के लोग ही शिक्षा में दखलंदाजी करते हैं. शिक्षा एक व्यवसाय हो गया है. शिक्षण संस्थान एंटी सोशल का आश्रय देनेवाला बन गया है. सारधा चिटफंड घोटाले में लाखों लोगों की जिंदगी भर की पूंजी डूब गयी, लेकिन यह सरकार अब भी इस घोटाले की जांच सीबीआइ से नहीं करा रही है. मेरा सवाल यह है कि आखिर यह सरकार सीबीआइ जांच से डर क्यों रही है. मैं ही पहला व्यक्ति था, जिसने पोर्ट ट्रस्ट में चल रही गड़बड़ियों के खिलाफ पत्र लिखा. मैं ही पहला व्यक्ति था, जिसने सारधा मामले को उठाया और केंद्र सरकार को पत्र लिखा. तृणमूल नेतृत्व को ध्यान दिलाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. राज्य में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं. दुष्कर्म की कोई घटना घटती है, तो उसमें किसी न किसी तृणमूल नेता का नाम सामने आता है, लेकिन न इसके खिलाफ कोई व्यवस्था होती है और न ही कोई कार्रवाई.
सवाल : मुख्यमंत्री ने हिंदी भाषियों को राज्य का मेहमान कहा है ?
जवाब : हिंदी भाषियों के प्रति इस सरकार का रवैया मध्यमग्राम कांड दुष्कर्म की घटना से ही साफ हो जाती है. पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ. पुलिस से शिकायत की गयी, लेकिन जांच की जगह फिर से उस पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ. अंतत: उस पीड़िता को जान चली गयी. सबसे शर्मनाक यह है कि उसके पिता को यह शहर, कोलकाता छोड़ कर जाना पड़ा. इससे ज्यादा कुछ दर्दनाक और शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है. ठीक इसी प्रकार इकबालपुर में तीन लोगों की हत्या हो गयी. परिजन न्याय की गुहार लगाते रहे और पुलिस उन्हें भगाती रही.
सवाल : बड़ाबाजार में व्यापारियों से जबरन वसूली बड़ा मुद्दा रहा है ?
जवाब : अन्याय के खिलाफ मैं सदा से लड़ता रहा हूं. चुनाव के बाद निश्चित रूप से व्यापारियों से हो रही राजनीतिक वसूली रोकने के लिए काम करेंगे.