कानूनी उलझन में फंस गयीं महिला अधिकार कार्यकर्ता

रजनीश आनंद25 मार्च की सुबह महिला सामाख्या, नारी शक्ति सेना और सखी सुरक्षा जैसी संस्थाओं की महिलाएं, जो महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य करती हैं, रांची के कचहरी परिसर में उपस्थित थीं. कारण था एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले की पेशी. प्रदर्शन करने वालों में पीड़ित बच्ची के माता-पिता भी शामिल थे. प्रदर्शन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2014 11:41 AM

रजनीश आनंद
25 मार्च की सुबह महिला सामाख्या, नारी शक्ति सेना और सखी सुरक्षा जैसी संस्थाओं की महिलाएं, जो महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य करती हैं, रांची के कचहरी परिसर में उपस्थित थीं. कारण था एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले की पेशी. प्रदर्शन करने वालों में पीड़ित बच्ची के माता-पिता भी शामिल थे. प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही चल रहा था, लेकिन भावावेश में अचानक महिलाएं उग्र हो गयीं और उन्होंने कोर्ट परिसर में हंगामा कर दिया. कहा गया कि इन्होंने आरोपी को पेशी के लिए ले जाने के दौरान पीटा. इस मामले में पुलिस ने संस्था से जुड़ी नौ महिलाओं पर प्राथमिकी की है. उन पर गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया गया है. इससे महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली उक्त कार्यकर्ता परेशान हैं. उनका कहना है कि यह लड़ाई हमारी निजी लड़ाई नहीं थी.

हमने गरीब तबके की एक बच्ची को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन किया था, लेकिन जब पुलिस ने पीड़ित बच्ची के पिता को कोर्ट परिसर में पीटना शुरू किया, तो महिलाएं उग्र हो गयीं और वे कोर्ट परिसर में ही प्रदर्शन करने लगीं. जिसके बाद संस्था से जुड़ी महिलाओं को पुलिस ने वहां से हटाया और उन पर प्राथमिकी दर्ज की. गौरतलब है कि कोर्ट में हंगामा करने का आरोप लगाते हुए जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है, उनमें से अधिकतर महिलाएं हैं और वे वहां अपनी संस्था का प्रतिनिधित्व करने गयीं थीं. भले ही इन महिलाओं ने भावावेश में आकर थोड़ी उग्रता दिखायी हो, लेकिन उन पर प्राथमिकी के बाद महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली दूसरी महिला कार्यकर्ता भी भयभीत हो गयी हैं. दूसरी महिला कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि इस तरह के मुद्दों पर आंदोलन करना भविष्य में उन्हें भारी न पड़ जाये.

इन दिनों देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. 16 मई तक परिणाम भी सामने आ जायेंगे. नयी सरकार का गठन भी हो जायेगा. लेकिन एक सवाल जिसका जवाब मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है और वह सवाल है कि क्या नयी सरकार के गठन के बाद देश में महिलाएं सुरिक्षत हो जायेंगी? यह सवाल इसलिए, क्योंकि चुनाव से पहले लगभग सभी पार्टियों ने मतदाताओं को यह आश्वासन दिया है कि वे देश में महिला सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायेंगी. यह भी संभव है कि महिला सुरक्षा के तमाम दावे धरे के धरे रह जायें. बावजूद इसके हमारा समाज उन लोगों के प्रति संवेदनशील नहीं हो सका है, जो महिला सुरक्षा के प्रति आवाज उठाते हैं.

क्या है आरोपियों का पक्ष
महिला सामाख्या की जिला साधनसेवी अंशु एक्का का नाम प्राथमिकी में दर्ज है. इनका कहना है कि हमारी संस्था की महिलाएं इसलिए प्रदर्शन कर रहीं थी, क्योंकि हम महिला अधिकारों के लिए कार्य करते हैं और पीड़ित बच्ची की मां हमारी महिला समिति (कांटाटोली के टमटम टोली) की सदस्य है. हमारी समिति की महिलाओं ने बच्ची का शव बरामद होने के बाद भी प्रदर्शन कर दोषी की अविलंब गिरफ्तारी की मांग की थी. हमारा इरादा कतई यह नहीं था कि हम कोर्ट परिसर में हंगामा करें या हमारा प्रदर्शन उग्र हो. जब महिलाएं वहां प्रदर्शन कर रहीं थी, तो मैं वहां नहीं थी, मैं सम्मेलन की इजाजत लेने गयी हुई थी. लेकिन जब समूह की महिलाओं ने मुझसे मदद मांगी, तो अपना कर्तव्य निभाने मैं वहां गयी थी. लेकिन जब पुलिस ने कोर्ट परिसर में बच्ची के पिता के साथ मारपीट शुरू की, तो प्रदर्शन कर रही महिलाएं उग्र हो गयीं और उन्हें संभालना मेरे लिए मुश्किल हो गया. एक तो बच्ची के साथ अन्याय हुआ, फिर उसके पिता के साथ मारपीट के बाद स्थिति बिगड़ गयी. मेरा सिर्फ इतना ही कहना है कि यह हमारी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. अत: प्रशासन को हमारे साथ नरमी बरतनी चाहिए. बच्ची के साथ अन्याय हुआ, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. तमाम कानून के बावजूद जब देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो जागरूकता के लिए हमें जंग लड़नी होगी.

वहीं, नारी शक्ति सेना के सचिव राजेश प्रसाद का कहना है कि प्रशासन ने हमारे खिलाफ काफी कड़ा रु ख अपनाया और मेरी संस्था की सात महिला सदस्यों के साथ-साथ मुझ पर भी प्राथमिकी दर्ज करायी है. यह स्थिति उन लोगों को हतोत्साहित करती है, जो महिला अधिकारों की जंग लड़ते हैं. हमारे ऊपर गैर जमानती धाराएं लगायी गयीं, जो एक तरह से अन्याय है. हम साधारण लोग हैं, इसलिए ऐसा हुआ. अगर बड़े नाम वाले लोग प्रदर्शन में शामिल होते, तो उन पर इन धाराओं के साथ प्राथमिकी नहीं होती या फिर मामले को निबटा दिया जाता और कोई प्राथमिकी ही नहीं होती.

महिला सामाख्या की स्टेट प्रोग्राम डायरेक्टर स्मिता गुप्ता का कहना है कि जिस वक्त यह घटना हुई, तब मैं रांची में नहीं थी, लेकिन जैसी जानकारी मुङो है हमारे जिला कार्यालय में कार्यरत जिला साधनसेवी अंशु एक्का का नाम प्राथमिकी में है. लेकिन मैं यह बताना चाहती हूं कि हम महिलाओं को सशक्त करते हैं, कभी उनका नेतृत्व नहीं करते. चूंकि मैं शहर में नहीं थी इसलिए स्थिति की सही जानकारी नहीं दे पाऊंगी. वहीं महिला सामाख्या से जुड़ी सिस्टर बनार्ड का कहना है कि हम महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं और पीड़ित बच्ची की मां हमारे समूह की थी, इसलिए अंशु वहां गयी थीं, लेकिन वह महिलाओं को समझाने बुझाने का काम कर रही थीं.

क्या था घटनाक्रम
20 मार्च को रांची के कांटोटोली स्थित कब्रिस्तान से एक आठ वर्षीय बच्ची का शव बरामद हुआ था. वह बच्ची पास में स्थित बस्ती टमटम टोली की रहने वाली थी. उसे चाउमिन खिलाने का लालच देकर वासना में लिप्त व्यक्ति ने रात के अंधेरे में उसके साथ बलात्कार किया और पत्थर से कूच कर उसकी हत्या कर दी थी. घटना के बाद इलाके के लोग उग्र हो गये थे और उन्होंने काफी उग्र प्रदर्शन भी किया था. आरोपी की गिरफ्तारी कोलकाता से हुई थी. फिलहाल वह जेल में है.

Next Article

Exit mobile version