गुजरात चुनाव: पीएम मोदी से खुश, पर सीएम रूपाणी से नाराज है जनता
!!भुज से अंजनी कुमार सिंह!! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भुज से गुजरात चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए कहा था कि ‘पहले सरकारी अधिकारियों के लिए कच्छ में नौकरी करना काले पानी की सजा के समान था, लेकिन 2001 में आये भूकंप के बाद यह धारणा बदल गयी.’ कच्छ के रेगिस्तान में नर्मदा का […]
!!भुज से अंजनी कुमार सिंह!!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भुज से गुजरात चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए कहा था कि ‘पहले सरकारी अधिकारियों के लिए कच्छ में नौकरी करना काले पानी की सजा के समान था, लेकिन 2001 में आये भूकंप के बाद यह धारणा बदल गयी.’ कच्छ के रेगिस्तान में नर्मदा का पानी पहुंचाकर पीएम ने जो काम किया, उसकी प्रशंसा उनके विरोधी भी करते हैं. लोग मानते हैं कि कच्छ क्षेत्र में भाजपा की बड़ी उपलब्धि नर्मदा का पानी मुहैया कराना तथा 2001 में आये भयंकर भूकंप के समय लोगों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराना रहा है. भुज से 25 किमी बाद एक गांव लोरिया आता है. वहां से लगभग 30 किलोमीटर बाद दूसरा गांव भरंडियारा पड़ता है. इन गांवों के लिए पाइप लाइन से पीने के लिए नर्मदा की पानी की व्यवस्था की गयी है.
विरंडियारा चौक पर जानी भाई कहते हैं, कि कच्छ का रण शुरू होने से यहां के आसपास के हजारों लोगों को रोजगार मिला है, अन्यथा इस मरुभूमि में पहले कहां कोई आता था. कच्छ में व्यापारी, किसान व पशुपालकों की संख्या काफी है. यहां पाटीदार, मुस्लिम, मालधारी,गारसिया जाट, सोनकर के अलावा अन्य जातियां भी हैं, जो चुनाव में इस बार बंटी दिखती हैं. मांडवी, अंजार और भुज में मुस्लिमों की संख्या काफी है. कच्छ में भाजपा के परंपरागत वोटर अपने जनप्रतिनिधि से नाराज दिखते हैं. वे लोग पीएम मोदी के केंद्र में जाने के बाद विकास का कोई भी नया काम न होने की बात कहते हैं. विरंडियरा गांव में दलितों की बस्ती में लोग जहां मोदी के प्रति प्यार दिखाते हैं, वहीं सीएम विजय रुपाणी के प्रति आक्रोश. अब तक भाजपा को वोट देते आ रहे दलित टोला के किशन एस बदरु कहते हैं, मोदी जी ने काम किया तो कच्छ की जनता उन्हें ‘बाडा प्रधान’ बनाया. लेकिन मोदी जी के जाने के बाद कच्छ की खोज-खबर लेनेवाला अब कोई नहीं.
सामाजिक समीकरण कांग्रेस के पक्ष में
मांडवी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल चुनाव मैदान में हैं. इनके खिलाफ भाजपा के वीरेंद्र सिंह जाडेजा हैं. यहां के सामाजिक समीकरण कांग्रेस के पक्ष में दिख रहे हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक 70 के दशक में मांडवी से पारसी विधायक थे, जबकि मांडवी में पारसी विधायक का ही परिवार एक मात्र पारसी था. लेकिन, अब लोग जात-बिरादरी को महत्व दे रहे हैं.
गांव का बड़ा आदमी, जो तय करेगा, उसे ही वोट देंगे
कच्छ क्षेत्र में किसान खेती के लिए पानी की मांग कर रहे हैं. मोदी के समय ही रूद्रमाता डैम का निर्माण हुआ था, जिससे 8000 एकड़ में खेती की समस्या का समाधान हो पाया. लेकिन उसके बाद किसी नये प्रोजेक्ट पर काम नहीं हुआ. अब खाबरा गांव के किसान करसनभाई चार कहते हैं, ‘जो के माद अच्छे, उनके मत दियो.’ यानी गांव के बड़ा आदमी, जो तय करेगा, उसे ही वोट देंगे.