!!गांधीनगर से अंजनी कुमार सिंह!!
गांधीनगर के भाजपा कार्यालय के प्रमुख सुरेश भाई सेल्वा की टेबल पर फाइलों के चार-पांच बंडल हैं. उन बंडलों में लोगों के मोबाइल नंबर दर्ज हैं. उनमें से हरेक नंबर पर संपर्क कर उनका कुशलक्षेम और चुनाव के विषय में पूछा जा रहा है. गांधीनगर में 11 लाख वोटरों में से तीन लाख भाजपा के प्राथमिक सदस्य हैं. पूछने पर बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के काम से गुजरात की जनता खुश है. इसलिए चुनाव में किसी तरह की दिक्कत नहीं है.
पूरे गुजरात में चुनाव का केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पक्ष हो या विपक्ष, पूरा चुनाव मोदी के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. भाजपा जहां नरेंद्र मोदी के काम पर वोट मांग रही है, वहीं विपक्ष मोदी के फैसले पर जवाब. विकास की चर्चा भी मोदी के गुजरात कार्यकाल में या फिर वर्तमान कार्यकाल पर ही हो रही है. चुनाव शुरू होने से पहले आक्रामकता के साथ कांग्रेस गुजरात में विकास के पागल होने को लेकर भाजपा को रक्षात्मक कर दिया था, लेकिन ‘हूं छू विकास, हूं छूं गुजरात’ (मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं) के नारे को सामने लाकर भाजपा विकास को गुजराती अस्मिता और प्रधानमंत्री मोदी को गुजराती गौरव से जोड़कर कांग्रेस के नारे को हाशिये पर धकेलने की कोशिश कर रहा है.
पीएम मोदी ने भी खुद को जिस तरह से गुजराती अस्मिता से जोड़कर कांग्रेस पर पलटवार किया है, उससे चुनावी गहमागहमी और तेज हो गयी है. हालांकि, कांग्रेस पीएम द्वारा लिये गये फैसलों से सबसे ज्यादा गुजरात को ही नुकसान होने की बात बता रही है. गांधी नगर सचिवालय के आसपास पॉश इलाके में यह अंदाजा लगाना कठिन होता है कि यह सरकारी मकान है या प्राइवेट. पोरबंदर के हितेश भाई कक्कड़ बताते हैं- इसे देखकर आप अंदाजा लगाइए कि विकास हुआ है या नहीं. यह सब प्राइवेट मकान गांधीनगर के पॉश इलाके में है, जब विकास नहीं हुआ है, तब ये किसान लोग किस तरह से यहां पर मकान लिये हैं. साणंद में किसानों को जमीन के बदले करोड़ों रुपये मिले, राहुल इसकी बात नहीं करते हैं.
विकास पर अलग-अलग राय
कांग्रेस कार्यकर्ता हीरा भाई कहते हैं कि भाजपा जिस तरह से प्रचार कर रही है, उससे लगता है कि गुजरात सिर्फ भाजपा का है. गुजरात का विकास सिर्फ दो दशक का नहीं है. अहमदाबाद में रिवर फ्रंट पर बैठे लोग बताते हैं कि किस तरह से मोदी ने इस जगह को इतना सुंदर बनाया है. ग्रुप में आये आइआइएम के छात्र रोहित कहते हैं, गुजरात में मोदी के विकास को देखना है, तो अहमदाबाद और गांधीनगर ही नहीं, मरुभूमि वाले कच्छ और भुज में भी जाइए.