VIDEO : क्लाइमेट चेंज की भेंट चढ़ता यह पोलर बियर बिन बोले आपसे काफी कुछ कह रहा है…!

विकास की अंधी दौड़ में देश-दुनिया तेजी से भाग रही है. इसके लिए मौसम तो क्या, जानवर और इंसान की भेंट भी चढ़ जाये तो शायद किसी को कोई गुरेज नहीं. इसकी एक बानगी हम आपको दिखाते हैं- कनाडा के बायोलॉजिस्ट और फोटोग्राफर पॉल निक्लेन और उनकी सी लीगेसी टीम आर्कटिक क्षेत्रके बैफिन आइलैंड में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2017 12:01 PM

विकास की अंधी दौड़ में देश-दुनिया तेजी से भाग रही है. इसके लिए मौसम तो क्या, जानवर और इंसान की भेंट भी चढ़ जाये तो शायद किसी को कोई गुरेज नहीं. इसकी एक बानगी हम आपको दिखाते हैं-

कनाडा के बायोलॉजिस्ट और फोटोग्राफर पॉल निक्लेन और उनकी सी लीगेसी टीम आर्कटिक क्षेत्रके बैफिन आइलैंड में वीडियो शूटिंग कर रही थी. इसी दौरान उन्हें एक पोलर बियर (ध्रुवीय भालू) दिखा, जो अपनी जिंदगी की आखिरी घड़ियां गिन रहा था.

अधमरी हालत में पहुंच चुके उस भालू काे पॉल ने अपने कैमरे में कैद किया. वीडियो में भालू बहुत कमजोर नजर आ रहा है और उसकेलिए चलना भीतकलीफदेह हो रहा है.

खाना ढूंढते-ढूंढते यह भालू कुछ ड्रम्स के पास पहुंचता है, जो वहां लंबे समय से पड़े हुए दिख रहे थे.यह पोलर बियर इनमें भी खाने के लिए कुछ ढूंढता है, लेकिन उसे यहां भी कुछ नहीं मिलता.

इस वीडियो को पॉल निक्लेन ने इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा हैकि उनकी पूरी टीम का हर सदस्य यह दृश्य देख कर भावुक हो गया था.

जिस किसी ने यह वीडियो देखा, उसे इस भालू पर तरस ही आया. इस भालू कीऐसी हालत का जिम्मेदार क्लाइमेट चेंज को बतायाजारहा है. ग्लोबल वार्मिंग, यानी दुनिया में बेतरह बढ़ते तापमान की वजह से बर्फ भी पिघल रही है, जिससे ध्रुवीय भालुओं का आशियाना और खानाछिनता जा रहा है.

https://twitter.com/marynmck/status/939318197123256320?ref_src=twsrc%5Etfw

अब आप पूछेंगे कि यह वीडियो शूट करनेवाले पॉल निक्लेन ने उस भालू की मदद क्यों नहीं की. यह सवाल पॉल से भी पूछा गया, जिसके जवाब में पॉल ने कहा कि यह खयाल उनके दिमाग में भी आया. लेकिन वह भालू भूखा था और खाने के लिए कुछ भी कर सकता था.

उसके नजदीक जाने पर वह उन पर हमला कर सकता था. उनके पास उसे कंट्रोल करने के लिए न तो साधन था और न ही भोजन. और तो और, कनाडा में पोलर बियर को खिलाना गैरकानूनी है.

यह तो एक पोलर बियर की बात हुई, लेकिन जरा सोचिए कि हर साल जाने कितने भालू ऐसी ही बेमौत मारे जाते होंगे. इसके लिए न तो वे जिम्मेवार हैं और न ही प्रकृति.

इसके लिए सिर्फ और सिर्फ हम इंसान जिम्मेवार हैं, जो अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करते हैं. अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब यह धरती हमइनसानों के लिए रहने लायक नहीं बचेगी.

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