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नरेंद्र मोदी-अमित शाह : जोड़ी नंबर वन का जलवा कायम

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह एक बार फिर न सिर्फ भाजपा के बल्कि देश की राजनीति का जोड़ी नंबर एक साबित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने गुजरात व हिमाचल प्रदेश का चुनाव लड़ा और दोनों जगह पार्टी सरकार बनाती […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह एक बार फिर न सिर्फ भाजपा के बल्कि देश की राजनीति का जोड़ी नंबर एक साबित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने गुजरात व हिमाचल प्रदेश का चुनाव लड़ा और दोनों जगह पार्टी सरकार बनाती दिख रही है. शुरुआती रूझान में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही थी, लेकिन बाद में भाजपा ने बढ़त बना ली. इस रूझान के बाद संसद सत्र में भाग लेने जाते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्टरी का निशान बना कर खुशी का इजहार किया. वहीं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष साेनिया गांधी और अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद परिसर में इस संबंध में पूछे गये सवालों के जवाब में चुप्पी साध ली.

182 सीट वाली गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा 108 सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही है. वहीं, 68 सीटों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भाजपा 42 सीटें हासिल करती दिख रही है और यह पक्का है कि वहां भाजपा की सरकार बनेगी. हालांकि हिमाचल प्रदेश में इस बात पर संशय बढ़ गया है कि वहां भाजपा का मुख्यमंत्री कौन होगा. दरअसल, मुख्यमंत्री पद के घोषित चेहरे प्रेम कुमार धूमल अपनी सीट सुजानपुर पर पीछे चल रहे हैं. अगर वे जीत हासिल करते हैं तो मुख्यमंत्री बनेंगे और हारते हैं तो केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा मुख्यमंत्री पद के एक मजबूत दावेदार होंगे. गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपानी चुनाव जीत गये हैं और उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है, हालांकि पार्टी ने वहां मुख्यमंत्री पद का चेहरा सरकार में होने पर भी किसी को घोषित नहीं किया था. ऐसे में समीकरण बदल भी सकते हैं. उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने पटेलों की नाराजगी को दूर करने के लिए काफी काम किया है और ऐसे में उन्हें पार्टी इसके लिए पुरस्कृत करे तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए.

हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार में फंसे होने के कारण वहां भाजपा की जीत आसान मानी जा रही थी, लेकिन गुजरात में राहुलगांधी द्वारा एक जातीय अंब्रेला बनाये जाने और खाम समीकरण को फिर से जीवित करने के कारण भाजपा के लिए यहां मुश्किल लड़ाई मानी जा रही थी. भाजपा के चुनावी रणनीतिकार अमित शाह ने पहले ही कहा था कि गुजरात चुनाव में विकास व गुजराती अस्मिता के साथ खाम समीकरण को जीवित करना बड़ा चुनावी मुद्दा होगा. शाह ने कहा था कि प्रदेश को हम फिर जातीय विद्वेष में नहीं जाने देंगे. खाम समीकरण 1980 के दशक में कांग्रेस नेता माधव सिंह सोलंकी ने तैयार किया था, जिसके जरिये उन्होंने क्षत्रीय, हरिजन, आदिवासी व मुसलिमों का एक ऐसा मजबूत सामाजिक गठजोड़ तैयार किया, जिससे डेढ़ सौ के आसपास सीटें जीत गये थे. सोलंकी ने सीएम बनने पर जातीय आरक्षण के प्रावधान के जो प्रयास किये थे, उससे हिंसा भड़की थी और लोगों की जान गयी थी. भाजपा को पहली बार पटेलों, दलितों व पिछड़ों के एक वर्ग की प्रत्यक्ष नाराजगी उनके जातीय आंदोलन के रूप में झेलनी पड़ी.

अब अगर इतनी मुश्किल लड़ाई में नरेंद्र मोदी व अमित शाह भाजपा को चुनाव में विजय दिलवाने में सफल हो गये तो यह उनका चुनाव प्रबंधन, मुद्दे को सही ढंग से उठाना और कांग्रेस की चूक का भरपूर लाभ लेने का कौशल ही माना जायेगा. पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल ने आज कहा भी कि कांग्रेस ने चुनाव के आखिरी पांच-छह दिन में हमें जो गालियां दी उससे हमें लाभ हुआ. उनका तात्पर्य कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच बताये जाने से था. इस मुद्दे को मोदी ने चुनाव में खूब भंजाया. अमित शाह ने पटेल की नाराजगी को दूर करने के लिए उनके आंदोलन से उभरे नेताओं में फूट डालने की रणनीति पर काम किया, पाटीदारों के बीच नितिन पटेल को अपना प्रमुख वार्ताकार बनाया और टिकट बंटवारे में उनका ख्याल रखा. इन सबसे बढ़कर अमित शाह ने बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं का शानदार प्रबंधन किया जो उनका सबसे बड़ा कौशल माना जाता है. जाहिर है, इसका रिजल्ट चुनाव परिणाम के रूप में दिखा.

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