अच्छे स्कूल में जाते हैं, तो पढ़ाई भी करें

।। दक्षा वैदकर ।। आज कई ऐसा माता-पिता हैं, जो कड़ी मेहनत कर बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेज रहे हैं, ताकि वे अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, लेकिन बच्चे मन लगा कर पढ़ाई करने के बजाय दूसरे सभी कामों में वक्त बर्बादकर रहे हैं. वे इसे जरूर पढ़े. एमवे के सहसंस्थापक रिच डेवॉस जब हाइ स्कूल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2014 4:15 AM

।। दक्षा वैदकर ।।

आज कई ऐसा माता-पिता हैं, जो कड़ी मेहनत कर बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेज रहे हैं, ताकि वे अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, लेकिन बच्चे मन लगा कर पढ़ाई करने के बजाय दूसरे सभी कामों में वक्त बर्बादकर रहे हैं. वे इसे जरूर पढ़े. एमवे के सहसंस्थापक रिच डेवॉस जब हाइ स्कूल में थे, तो वे अपना सारा समय लड़कियों का पीछा करने और मस्ती करने में बर्बाद करते थे.

वे एक ऐसे स्टूडेंट थे, जिसे ग्रेड पाने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत थी और उन्होंने नहीं की. उनकी लैटिन टीचर ने एक दिन कहा कि मैं तुम्हें पास होने के लिए ‘डी’ देने को तैयार हूं, बशर्ते तुम वादा करो कि यह विषय दोबारा कभी नहीं लोगे. रिच के डैडी उनके ग्रेड्स से खुश नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘बेटे, अगर प्राइवेट स्कूल में तुम इतनी कम पढ़ाई कर रहे हो, तो तुम्हारी फीस देने के लिए मैं इतना कष्ट क्यों उठाऊं? जब तुम्हें मस्ती ही करनी है, तो सरकारी स्कूल में पढ़ो. मेरे पैसे तो बचेंगे.’

अगले साल रिच के डैडी ने उन्हें सरकारी स्कूल भेज दिया. सरकारी स्कूल में उन पर लेबल लग गया, ‘स्कूल न जानेवाला’. पूरे साल वे सरकारी स्कूल में दुखी रहे. पहली बार उन्हें यह एहसास हुआ कि पिछले प्राइवेट स्कूल में शरारत करके उन्होंने कितना कुछ गंवाया है. उन्होंने फैसला किया कि वे दोबारा ‘क्रिश्चियन हाइ स्कूल’ जाकर अपनी हाइ स्कूल की पढ़ाई पूरी करेंगे. जब उन्होंने डैडी को अपना इरादा बताया, तो उन्होंने पूछा ‘इसके लिए पैसे कौन देगा?’ रिच ने कहा, ‘मैं दूंगा. मैं अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए बीच-बीच में काम कर लूंगा.’ क्रिश्चियन हाइ स्कूल पहुंच कर उन्होंने बड़ी गंभीरता से पढ़ाई की. अब उनके ग्रेड सुधर गये थे और डैडी भी बहुत खुश थे.

रिच कहते हैं, ‘मैं सौभाग्यशाली था, जो मैंने अजिर्त किया था- एक ऐसे स्कूल में पढ़ना, जो आस्था, आशावाद और कड़ी मेहनत के उन सबकों को सुदृढ़ कर रहा था, जो वे घर पर सीख रहे थे.’ रिच इसलिए भी एहसानमंद थे, क्योंकि इसी स्कूल में वे जे वैन एन्डल से मिले थे, जो लगभग साठ साल तक उनके सबसे अच्छे दोस्त और बिजनेस पार्टनर रहे.

बात पते की..

– अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में डालें, लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि वे सच में पढ़ाई कर रहे हों. अगर ऐसा नहीं है, तो उन्हें प्यार से समझाएं.

– बच्चों, पैरेंट्स बड़े कष्ट सहन कर के आपको महंगे स्कूल में पढ़ा रहे हैं. इस अमूल्य समय का सदुपयोग करें. मस्ती करने के लिए तो पूरी उम्र पड़ी है.

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