विस्फोट से हुए घाव में जिंक प्रभावी

अमेरिका में ट्रोमेटिक ब्रेन इंज्यूरी (टीबीआइ) के प्रत्येक वर्ष तकरीबन 20 लाख मामले सामने आते हैं. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने ये आंकड़े जारी किये हैं. ‘साइंस डेली’ में बताया गया है कि इसमें इराक और अफगानिस्तान में घायल होने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या भी शामिल है. इसमें से कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2014 12:51 PM

अमेरिका में ट्रोमेटिक ब्रेन इंज्यूरी (टीबीआइ) के प्रत्येक वर्ष तकरीबन 20 लाख मामले सामने आते हैं. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने ये आंकड़े जारी किये हैं. ‘साइंस डेली’ में बताया गया है कि इसमें इराक और अफगानिस्तान में घायल होने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या भी शामिल है. इसमें से कुछ मरीजों का सफल तौर पर इलाज भी किया गया है. यूएस आर्मी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट मेडिसीन ने हालिया शोध में यह पाया है कि भोजन में जिंक की कमी होने से विस्फोट से होने वाले घावों को भरने में समय लगता है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मांशपेशी की कोशिकाओं को मजबूत करने के लिए खास प्रोटीन के माध्यम से पर्याप्त जिंक लेने से इस कमी को दूर किया जा सकता है.

चूहों पर विस्फोट जनित घावों का अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष निकाला गया है कि कोशिकाओं में जिंक की पर्याप्त मात्र होने से विस्फोट जनित दुष्प्रभावों का असर कम हो जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिकों के मस्तिष्क के उत्तकों को भोजन में जिंक की कमी होने के चलते जल्द ठीक नहीं किया जा सकता और डायरिया व पसीने से भी उनमें जिंक की कमी हो जाती है.

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