संयुक्त राष्ट्र : अमेरिका स्थित एक पैरोकार समूह ने संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया है कि जब तक पाकिस्तान अपने जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर मुहाजिरों एवं बलूचों की शिकायतों का समाधान नहीं करता, तब तक उसके ऊपर आर्थिक एवं सैन्य प्रतिबंध लगाये जायें.
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मुहाजिरों के अधिकारों की मांग करने वाली वर्ल्ड मुहाजिर कांग्रेस (डब्ल्यूएमसी) ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को लिखे पत्र में यह अनुरोध किया कि 27 दिसंबर, 2007 को पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद कराची एवं सिंध प्रांत के अन्य इलाकों में कथित जघन्य हत्याओं के संदर्भ में विश्व संस्था जांच करे.
वर्ष 1947 में भारत छोड़कर पाकिस्तान आने वाले उर्दूभाषी प्रवासियों के लिए मुहाजिर शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इनका बड़ा तबका सिंध प्रांत में बसा हुआ है. बेनजीर भुट्टो की हत्या पाकिस्तान के पंजाब में हुई थी और उनका जनाधार पारंपरिक रूप से सिंध प्रांत के ग्रामीण इलाकों में रहा है.
27 दिसंबर को लिखे पत्र में समूह ने कहा कि यह अब तक रहस्य बना हुआ है कि उनकी हत्या किसने की, लेकिन जो बात पूरी तरह साफ है वह यह कि कराची एवं इसके लोगों का इस अपराध से कोई लेना देना नहीं है. जबकि यह कराची शहर एवं इसकी उर्दूभाषी लोग ही हैं, जो भुट्टो की हत्या के तुरंत बाद सबसे अधिक निशाना बने.
समूह ने आरोप लगाया कि मुहाजिरों के साथ बाकायदा भेदभाव किया जा रहा है और बीते कई दशक से वे मानवाधिकार उल्लंघन का निशाना बन रहे हैं. पत्र में कहा गया कि डब्ल्यूएमसी संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध करता है कि जब तक पाकिस्तान अपने जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर बलूच तथा मुहाजिरों की शिकायतों का सचमुच में समाधान नहीं करता तथा कराची एवं बलूचिस्तान में कत्लेआम से संबद्ध सेना के क्रूर अभियान पर लगाम नहीं लगाता, तब तक उसके खिलाफ आर्थिक एवं सैन्य प्रतिबंध लगाया जाये.