भारत में LGBT समुदाय के अधिकारों पर बहस के बीच आॅस्ट्रेलिया में आयोजित की गयीं समलैंगिक शादियां
नयी दिल्ली/कैनबरा : भारत में एलजीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर जारी बहस के बीच मंगलवार को आॅस्ट्रेलिया में पहली बार समलैंगिक शादियों का आयोजन किया गया. ऑस्ट्रेलिया में इस समलैंगिक विवाह का आयोजन समानता के आधिकारिक दिवस के मौके पर आयोजित समारोह के अवसर पर किया गया. हालांकि, भारत को धारा-377 देने वाले अंग्रेजों […]
नयी दिल्ली/कैनबरा : भारत में एलजीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर जारी बहस के बीच मंगलवार को आॅस्ट्रेलिया में पहली बार समलैंगिक शादियों का आयोजन किया गया. ऑस्ट्रेलिया में इस समलैंगिक विवाह का आयोजन समानता के आधिकारिक दिवस के मौके पर आयोजित समारोह के अवसर पर किया गया. हालांकि, भारत को धारा-377 देने वाले अंग्रेजों के ब्रिटेन ने भी अपने यहां से इस कानून को खत्म कर दिया है. कई पश्चिमी देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया आैर जापान जैसे देशों में भी समलैंगिक समुदाय को उनके अधिकार देने का सिलसिला जारी है.
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समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया की संसद ने एक जनमत सर्वेक्षण के बाद बहुमत के साथ समलैंगिक विवाह को मंजूरी दी थी. हालांकि, समलैंगिक जोड़ों को शादी के लिए एक महीने का इंतजार करना पड़ा. मीडिया में आ रही की खबर के अनुसार, आॅस्ट्रेलियाई कानून के तहत शादी की योजना के बारे में 30 दिन पहले सूचित करना होता है. दिसंबर में स्वीकृत किये गये कानून की इस अवधि के पूरा होते ही कुछ जोड़ों ने मंगलवार को ही बिना समय गंवाये आधी रात को शादी कर ली.
आॅस्ट्रेलियाई कॉमनवेल्थ खेलों के धावक क्रैग बर्न्स और उनके साथी ल्यूक सुलिवियन (एथलीट) भी मंगलवार आधी रात को शादी करने वाली जोड़ियों में शामिल थे. न्यू साउथ वेल्स में हुई इनकी शादी में परिवार व मित्र सहित करीब 50 लोग शामिल हुए. सुलिवियन ने आॅस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एबीसी) को मंगलवार को बताया कि जिन लोगों से मैं कभी नहीं मिला, उन्होंने भी मुझे प्यार व शुभकामनाएं भेजीं. यह दिल छूने वाला है.
इस समय भारत में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर अब भी बहस जारी है. सुप्रीम कोर्ट की आेर से सेक्शन 377 पर दोबारा सुनवाई के आदेश के बाद उनके अधिकारों को लेकर अभी भी एक उम्मीद बाकी है. हालांकि, देश के कई दिग्गज नेता और पार्टियां अभी एलजीबीटी समुदाय के प्रति दोहरा रवैया ही अपनाये हुए हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 यानी समलैंगिकता को गैर-कानूनी बनाने वाले फैसले पर दोबारा विचार करने की बात की है. इसके बाद इस मुद्दे पर कई लोगों ने प्रतिक्रियाएं भी दी हैं. कुछ इसके पक्ष में हैं, तो कुछ इसके विरोध में खड़े हैं.