जनरल रावत के बयान से भड़का चीन, बोला – डोकलाम हमारा हिस्सा

बीजिंग: चीन ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की हालिया टिप्पणियों की आलोचना करते हुए आज कहा कि वे ‘‘रचनात्मक नहीं हैं’ और दोनों देशों के नेताओं की ओर से रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने एवं सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए बनी आम राय के खिलाफ हैं. चीन ने जनरल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2018 4:54 PM

बीजिंग: चीन ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की हालिया टिप्पणियों की आलोचना करते हुए आज कहा कि वे ‘‘रचनात्मक नहीं हैं’ और दोनों देशों के नेताओं की ओर से रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने एवं सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए बनी आम राय के खिलाफ हैं. चीन ने जनरल रावत की इन टिप्पणियों के बाद प्रतिक्रिया जाहिर की है कि भारत को पाकिस्तान से लगी अपनी सीमा से ध्यान हटाकर अब चीन से सटी सीमा पर ध्यान देना चाहिए. रावत ने यह भी कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बीजिंग की ओर से दबाव बनाया जा रहा है.

मोदी-शी में बनी थी आम राय

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां बताया, ‘‘पिछले साल भारत-चीन के रिश्तों ने कुछ उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन पिछले साल सितंबर में ब्रिक्स सम्मेलन के इतर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात में रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने के लिए उनमें आम राय बनी थी.’ उन्होंने यह भी कहा कि विचार-विमर्श पर संवाद बढ़ाने के लिए दोनों देशों की ओर से किए गए प्रयासों ने सुधार एवं विकास की ठोस गति दिखायी है.

लू ने कहा, ‘‘ऐसी पृष्ठभूमि में भारत के वरिष्ठ अधिकारी (रावत) की टिप्पणियां रचनात्मक नहीं हैं और वे न केवल दोनों राष्ट्राध्यक्षों की ओर से बनी आम राय के खिलाफ जाती हैं, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और विकसित करने के लिए दोनों पक्षों की ओर से कीगयी कोशिशों से भी मेल नहीं खातीं.’ उन्होंने कहा कि रावत की ‘‘टिप्पणियों से सीमाई इलाकों में अमन-चैन बनाए रखने में मदद नहीं मिल सकती.’

हमें सामरिक संवाद बढ़ाना चाहिए

लू ने कहा, ‘‘चीन और भारत अहम पड़ोसी हैं. वे राष्ट्रीय विकास एवं उत्थान के निर्णायक चरण में हैं. दोनों देशों को सामरिक संवाद बढ़ाना चाहिए, सामरिक संदेह दूर करना चाहिए और सामरिक सहयोग संचालित करना चाहिए.’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम भारतीय पक्ष से अपील करते हैं कि वह दोनों नेताओं की ओर से बनी आम राय के बाद के कदमों पर काम करे ताकि सीमाई इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के उपाय किए जा सकें और ऐसी चीजों से परहेज किया जाए जिससे हालात जटिल होते हों. जरूरी मामलों को रचनात्मक तरीके से संभाला जाए और द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास को बढ़ावा दिया जाए. इससे समूचे क्षेत्र एवं भारतीय पक्ष के साझा हित सधेंगे.’

ड्रैगन का दावा : डोकलाम चीन का हिस्सा

यह पूछे जाने पर कि वह जनरल रावत की किस खास टिप्पणी की आलोचना कर रहे हैं, इस पर लू ने थलसेना प्रमुख की ओर से डोकलाम को लेकर कीगयी टिप्पणी की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने साफ कर दिया है, रिपोर्ट के मुताबिक यदि वरिष्ठ अधिकारी ने डोकलाम का जिक्र किया है तो मेरा मानना है कि आपको हमारा रुख साफ तौर पर पता है. डोकलाम चीन का हिस्सा है और हमेशा चीन के अधिकार क्षेत्र में रहा है.’ चीन की ओर से एलएसी के पास भारत पर दबाव डालने के बाबत जनरल रावत की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यदि वह समूची भारत-चीन सीमा पर हालात का हवाला दे रहे हैं, तो मैंने यह भी कहा है कि पिछले सितंबर में दोनों राष्ट्राध्यक्ष श्यामिन (ब्रिक्स) शिखर सम्मेलन के दौरान आम राय पर पहुंचे थे.’

Next Article

Exit mobile version