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जुनून: फुटबॉल देखने को धर लिया पुरुष का भेष

अक्सर देखा जाता है कि किसी को कुछ करने से मना करो तो वह और उसके पीछे भागता है. कुछ ऐसा ही है -ईरान की महिलाओं के साथ. स्टेडियम में फुटबॉल देखने से मना करने पर उन्होंने पिछले माह तेहरान के तेरकटोर क्लब में तबरीज सिटी के खिलाफ हुए मैच को देखने के लिए पुरुषों […]

अक्सर देखा जाता है कि किसी को कुछ करने से मना करो तो वह और उसके पीछे भागता है. कुछ ऐसा ही है -ईरान की महिलाओं के साथ. स्टेडियम में फुटबॉल देखने से मना करने पर उन्होंने पिछले माह तेहरान के तेरकटोर क्लब में तबरीज सिटी के खिलाफ हुए मैच को देखने के लिए पुरुषों का भेष धारण कर लिया. इसके लिए उन्होंने सहारा लिया दाढ़ी-मूंछ और भौंहों का. पुरूष वेश-भूषा में वे सुरक्षाकर्मियों को चकमा देते हुए स्टेडियम के अंदर पहुंच गयीं. पूरे मैच का आनंद उठाया और 16 जनवरी को स्टेडियम में पुरुषों के भेष में खींची गयी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर किया. देखते ही देखते तस्वीर वायरल हो गयी. अपनी तस्वीर शेयर करने वाली इस बहादुर लड़की का नाम है – जहरा.

दैनिक अखबार द ऑब्जर्वर्स के अनुसार, जहरा ने स्टेडियम में खुद को सुरक्षाकर्मियों की नजर से बचाने और स्टेडियम में घुसने के लिए दाढ़ी-मूंछ और भौंहों का इस्तेमाल किया. खुद को आदमियों जैसे दिखाने के लिए मेकअप का भी सहारा लिया. स्थानीय मीडिया की मानें तो यह तस्वीर 29 दिसंबर, 2017 की है. जहरा, तेहरान की पर्सेपोलिस एफसी टीम की फैन हैं. ईरान में पहले भी ऐसी कोशिशें होती रही हैं. इससे पहले शबनम नाम की एक लड़की ने भी मैच देखने के लिए यही तरीका अपनाया था. अंतर बस इतना था कि शबनम ने असली दाढ़ी की बजाय मेकअप पेंट के इस्तेमाल से अपने चेहरे पर दाढ़ी बनाया था. इसके अलावा, अपने पूरे चेहरे को अपनी टीम के रंग से रंग रखा था. जहरा की तरह शबनम ने भी अपनी तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर की.

फोटो वायरल होने पर एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईरान में भी महिलाओं को फुटबॉल देखने की छूट होनी चाहिए. पुरूषों जैसे दिखने के लिए उन्होंने अपने नाखून काट डाले, चेहरे पर गहरा रंग और विग लगाया. चेहरे पर पेंट के बारे में उन्होंने हंसते हुए बताया कि दाढ़ी का रंग तो जा ही नहीं रहा था. पूरे दो दिनों तक रंग उनके चेहरे पर रहा था. शबनम कहती हैं कि भले ही ईरान में महिलाओं को स्टेडियम में मैच देखने पर मनाही है, सरकार का तर्क है कि स्टेडियम का माहौल महिलाओं के लिए सही नहीं है, लेकिन स्टेडियम में जब लोग नोटिस करते हैं कि उसके बगल में मैच देख रही लड़की हैं, तो उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि वे और सम्मान के साथ पेश आते हैं. साथ ही, शबनम ने सरकार की सभी दलीलों को भी खारिज कर दिया.

शुरू हुई बहस : महिलाओं को फुटबॉल मैच देखने की छूट मिले

ईरान में मैच देखने के लिए जहरा और शबनम के उठाये इस कदम ने स्थानीय मीडिया में इस बहस को एक बार फिर से शुरू कर दिया है कि महिलाओं को स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखने की छूट होनी चाहिए. 2013 में हसन रूहानी के सत्ता में आने के बाद से ही महिलाओं के स्टेडियम में जाने का अधिकार देने की बात हो रही है लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है. 1979 के ईरानी क्रांति के बाद महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये गये थे जिनमें से एक था कि महिलाएं किसी भी पुरुषों के खेल को नहीं देख सकतीं, खासकर स्टेडियम में जाकर तो बिल्कुल भी नहीं. तभी से यह प्रतिबंध चला आ रहा है. इस बीच ईरान में भी महिलाओं के लिए कई सुधारवादी कार्यक्रम चलाये गये हैं, देखना यह है कि सऊदी अरब की तरह बदलाव आने में कितना वक्त लगता है.

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