WEF की बैठक में मोदी ने कहा-आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है Good and Bad Terrorism
दावोस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा हैं, जिनसे दुनिया को एकजुट होकर निपटने की जरूरत है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 48वीं सालाना बैठक का उद्घाटन करते हुए मोदी ने दुनियाभर […]
दावोस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा हैं, जिनसे दुनिया को एकजुट होकर निपटने की जरूरत है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 48वीं सालाना बैठक का उद्घाटन करते हुए मोदी ने दुनियाभर के निवेशकों को भारत में निवेश का आह्वान किया. इसके साथ ही उन्होंने आतंकवाद क-े पक्षधरों पर प्रहार करते हुए कहा कि आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी खतरनाक है अच्छा आतंकवाद और खराब आतंकवाद के बीच बनाया गया कृत्रिम भेद.
इस अवसर पर उन्होंने दुनिया के अनेक देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति पर भी चिंता जाहिर की. डब्ल्यूईएफ की बैठक को संबोधित करनेवाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने मंच की बैठक में शिरकत की थी. मोदी ने कहा कि पिछले 20 सालों के दौरान दुनिया में काफी कुछ बदला है. उन्होंने अपने संबोधन में इन 20 सालों के दौरान प्रौद्योगिकी से लेकर दुनिया की सोच और पर्यावरण में आये बदलाव का जिक्र किया. उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिन चुनौतियों की ओर मैं इशारा कर रहा हूं उनकी संख्या भी बहुत है और विस्तार भी व्यापक है. पर, यहां मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करूंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरे पैदा कर रही हैं.
पहला खतरा है जलवायु परिवर्तन का. ग्लेशियर पीछे हटते जा रहे हैं. आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है. बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबनेवाले हैं. बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा इस तरह के चरमता की हद तक पहुंचे मौसम का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है.’ दुनिया भर से यहां जुटे नेताओं, उद्योगपतियों और नीतिनिर्माताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘इन हालात में होना तो यह चाहिए था कि हम अपने सीमित संकुचित दायरों से निकलकर एकजुट हो जाते. लेकिन, क्या ऐसा हुआ? और अगर नहीं, तो क्यों? और हम क्या कर सकते हैं जो इन हालात में सुधार हो. हर कोई कहता है की कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहिए. लेकिन, ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण हिंदी में दिया. इस लंबे भाषण में उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् के भारतीय दर्शन, प्रकृति के साथ गहरे तालमेल की भारतीय परंपरा और भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुए दुनिया के देशों से मौजूदा चुनौतियों को पार पाने का मंत्र दिया. उन्होंने कहा, ‘आज पर्यावरण में व्याप्त भयंकर कुपरिणामों के इलाज का एक अचूक नुस्खा है, प्राचीन भारतीय दर्शन का मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य. यही नहीं, इस दर्शन से जन्मी योग और आयुर्वेद जैसी भारतीय परम्पराओं की समग्र पद्यति न सिर्फ परिवेश और हमारे बीच की दरांरों को पाटी सकती है, बल्कि हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य और संतुलन भी प्रदान करती है.’
उन्होंने वातावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए अपनी सरकार की पहल के बारे में भी बताया. ‘एक बहुत बड़ा लक्ष्य मेरी सरकार ने देश के सामने रखा है. सन् 2022 तक हमें भारत में 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करना है. पिछले करीब तीन वर्षों में 60 गीगावाट, यानी इस लक्ष्य का एक तिहाई से भी अधिक हम प्राप्त कर चुके हैं.’ उन्होंने कहा कि इसी संदर्भ में 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर एक नयी अंतरराष्ट्रीय संधि संगठन की कल्पना की. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन नामक क्रांतिकारी कदम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है. अब एक वास्तविकता है. मुझे बेहद खुशी है कि इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति मैंक्रां और मेरे संयुक्त निमंत्रण पर इस गठबंधन के सदस्य देशों के तमाम नेता नयी दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे.
मोदी ने कहा, ‘दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद. इस संबंध में भारत की चिंताओं और विश्वभर में पूरी मानवता के लिए इस गंभीर खतरे के बढ़ते और बदलते हुए स्वरूप से आप भली-भांति परिचित हैं. मैं यहां सिर्फ दो आयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूं. आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी खतरनाक है अच्छा आतंकवाद और खराब आतंकवाद के बीच बनाया गया कृत्रिम भेद. दूसरा समकालीन गंभीर पहलू जिस पर मैं आपका ध्यान चाहता हूं वह है पढ़े-लिखे और संपन्न युवाओं का कट्टरपंथी होकर आतंकवाद में लिप्त होना. मुझे आशा है कि इस फोरम में आतंकवाद और हिंसा की दरारों से हमारे सामने उत्पन्न गंभीर चुनौतियों पर और उनके समाधान पर चर्चा होगी.’
प्रधानमंत्री ने तीसरी गंभीर चुनौती के रूप में संरक्षणवाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा, बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्ककेंद्रित होते जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता. ‘मोदी ने कहा कि हर कोई आपस में जुड़े विश्व की बात करता है, लेकिन वैश्वीकरण की चमक कम हो रही है.