महिलाओं को दिलाया समान कानूनी अधिकार

अम्मू स्वामीनाथन (1894-1978) अम्मू का जन्म केरल के पालघाट जिले के आनकरा गांव के एक नायर परिवार में हुआ था. अम्मू ने लैंगिक और जातिगत उत्पीड़न का हर स्तर पर विरोध किया. उन्हें कई बार इस बात का सामना करना पड़ा कि नायर एक पिछड़ी जाति है. बाद में उन्होंने चुनाव लड़ा और संविधान सभा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2018 12:15 PM

अम्मू स्वामीनाथन (1894-1978)

अम्मू का जन्म केरल के पालघाट जिले के आनकरा गांव के एक नायर परिवार में हुआ था. अम्मू ने लैंगिक और जातिगत उत्पीड़न का हर स्तर पर विरोध किया. उन्हें कई बार इस बात का सामना करना पड़ा कि नायर एक पिछड़ी जाति है. बाद में उन्होंने चुनाव लड़ा और संविधान सभा की सदस्य चुनी गयीं. महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में उन्होंने हमेशा बात की. महिलाओं को समान कानूनी अधिकार दिलवाने के लिए डॉ आंबेडकर के अथक प्रयासों के साथ खुद को उन्होंने पूरी ताकत के साथ जोड़ा. संविधान पारित होने के बाद भी वह सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहीं. वह लोकसभा और राज्यसभा की सदस्य बनीं, साथ ही, स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत योगदान किया.

घर में सबसे छोटी होने के कारण वह बहुत लाडली थी. पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गयी थी. उनकी मां परिवार की मुखिया थीं और उनके मजबूत व्यक्तित्व का असर अम्मू पर पड़ा. घर से दूर केवल लड़कों को पढ़ने भेजा जाता था, इसलिए अम्मू स्कूल नहीं गयी. अम्मू नायर की शादी गोविंद स्वामीनाथन नाम के एक वकील से हो गयी. बचपन में ही अम्मू के पिता ने उनकी मदद की थी. स्वामीनाथन ब्राह्मण परिवार से थे, इसलिए शादी के बाद दोनों शहर में ही रहे. आजाद हिंद फौज में शामिल रहीं कैप्टन लक्ष्मी सहगल इन्हीं की बेटी थीं.

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