पहले संशोधन में रही इनकी भूमिका

दुर्गा बाई देशमुख (1909-1981) पेशे से वकील और सामाजिक अधिकारों के लिए अवाज उठाने वाली दुर्गा बाई देशमुख संविधान योजना आयोग की 15 सदस्यों में शामिल थीं. वे वर्ष 1946 में संविधान सभा की सदस्य बनीं. संविधान संशोधन के समय दुर्गा बाई ने सलाह दी कि प्रत्येक जज अनिवार्य रूप से भारत का नागरिक हो. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2018 12:16 PM

दुर्गा बाई देशमुख (1909-1981)

पेशे से वकील और सामाजिक अधिकारों के लिए अवाज उठाने वाली दुर्गा बाई देशमुख संविधान योजना आयोग की 15 सदस्यों में शामिल थीं. वे वर्ष 1946 में संविधान सभा की सदस्य बनीं.

संविधान संशोधन के समय दुर्गा बाई ने सलाह दी कि प्रत्येक जज अनिवार्य रूप से भारत का नागरिक हो. दुर्गा बाई के बाल्यकाल के दिनों में बालिकाओं को विद्यालय नहीं भेजा जाता था, पर दुर्गा बाई में पढ़ने की लगन थी. उन्होंने अपने पड़ोसी एक अध्यापक से हिंदी पढ़ना आरंभ कर दिया. उन दिनों हिंदी का प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय आंदोलन का एक अंग था. दुर्गा बाई ने शीघ्र ही हिंदी में इतनी योग्यता अर्जित कर ली कि वर्ष 1923 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय खोल लिया.

गांधीजी ने इस प्रयत्न की सराहना करके दुर्गा बाई को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था. गांधीजी से प्रेरित होकर इन्होंने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इन्हें जेल जाना पड़ा. बाहर आने पर दुर्गा बाई ने मद्रास विश्वविद्यालय में नियमित अध्ययन आरंभ किया. दुर्गा बाई वर्ष 1946 में लोकसभा और संविधान परिषद की सदस्य चुनी गयीं. वर्ष 1953 में दुर्गा बाई देशमुख ने केंद्रीय सोशल वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की और उसकी अध्यक्ष चुनी गयीं. वे जीवनभर समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी रहीं.

Next Article

Exit mobile version