भारत सरकार से पाकिस्तान को 55 करोड़ दिलाने के लिए ‘बापू’ ने किया था उपवास
महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने से पहले भी अपने कृत्य को सही ठहराया था. उसका कहना था कि महात्मा गांधी लगातार मुसलमानों के हित की बात कर रहे थे, उन्होंने पाकिस्तान को आर्थिक मदद ‘स्टर्लिंग बैंलेस’ दिलाने के लिए भी भारत सरकार पर दबाव बनाया और यहां तक […]
महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने से पहले भी अपने कृत्य को सही ठहराया था. उसका कहना था कि महात्मा गांधी लगातार मुसलमानों के हित की बात कर रहे थे, उन्होंने पाकिस्तान को आर्थिक मदद ‘स्टर्लिंग बैंलेस’ दिलाने के लिए भी भारत सरकार पर दबाव बनाया और यहां तक कि उन्होंने इसके लिए उपवास भी किया, इससे गोडसे बहुत नाराज था और उसने गांधीजी की हत्या का मन बना लिया था. महात्मा गांधी मानवता के पुजारी थे और उनके लिए देश का बंटवारा बहुत दुखद था. बंटवारे के बाद जिस तरह देश में दंगे भड़के और हजारों लोगों की जान गयी उसे रोकने के लिए उन्होंने कई बार उपवास किया, उनका कहना था कि मैं यह सब नहीं देख सकता, यह बंद होना चाहिए अन्यथा जीवित रहने का क्या फायदा.
बंटवारे के बाद की स्थिति से गांधीजी परेशान थे और उन्होंने उपवास का निर्णय किया
देश में मुसलमानों पर हमले में कोई कमी नहीं आ रही थी, जिससे गांधी जी बहुत चितिंत थे. उन्होंने भारत और पाकिस्तान में जारी दंगे को रोकने के लिए उपवास का निर्णय किया था. उन्होंने 13 जनवरी को शुरू किये अपने उपवास के पीछे तीन कारण बताये-
1. भारत की आम जनता से उन्होंने यह कहा कि अगर वे द्विराष्ट्र के सिद्धांत में भरोसा नहीं रखते तो उन्हें दिल्ली में ही यह करके दिखाना होगा. उन्हें यह दिखाना होगा कि हिंदू और मुसलमान भाईचारे के साथ रह सकते हैं.
2. उन्होंने पाकिस्तान सरकार को लक्ष्य करके पूछा-मैं उपवास करके कब तक यहां के हिंदुओं और सिखों को नियंत्रित कर पाऊंगा, इसलिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान अपने यहां हिंदुओं और सिखों पर हमले रूकवायें.
3. गांधी जी ने उपवास का तीसरा लक्ष्य यह बनाया था कि वह भारत सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाये कि वह पाकिस्तान को आर्थिक मदद ‘स्टर्लिंग बैंलेस’ जो कि 55 करोड़ की थी, वह दे दे. गांधी जी उपवास के कारण ही पाकिस्तान को वह राशि मिल पायी थी. 15 जनवरी की रात को ही भारत सरकार ने पाकिस्तान को पैसा जारी का फैसला कर लिया था. हालांकि इस घटना के बाद गांधी जी का देश में कई जगह विरोध भी हुआ था.
रामचंद्र गुहा की किताब में जिक्र है कि 20 जनवरी को मदनलाल नाम के एक पंजाबी शरणार्थी ने गांधीजी पर बम फेंका, जब वे प्रार्थनासभा को संबोधित कर रहे थे. गांधी जी जब उपवास पर थे तो उन्हें घनश्याम दास बिड़ला के घर में ठहराया गया था, उस वक्त भी शरणार्थियों ने उनके घर के बाहर यह नारा लगाया था कि गांधी को मरने दो.