मालदीव में आपातकाल की घोषणा, भारत ने अपने नागरिकों को मालदीव की यात्रा करने से रोका

माले : मुश्किलों में घिरे मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में 15 दिन के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की है. यह जानकारी उनके सहायक अजीमा शुकूर ने सोमवार को सरकारी टेलीविजन पर दी. यह कदम सुरक्षा बलों को संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की असीम शक्ति देता है. देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2018 10:20 PM

माले : मुश्किलों में घिरे मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में 15 दिन के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की है. यह जानकारी उनके सहायक अजीमा शुकूर ने सोमवार को सरकारी टेलीविजन पर दी. यह कदम सुरक्षा बलों को संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की असीम शक्ति देता है. देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हिंद महासागर में स्थित द्वीप देश में गहराते राजनैतिक संकट के बीच की गयी है, क्योंकि यामीन ने राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने से मना कर दिया है. इस बीच भारत ने मालदीव में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता प्रकट करते अपने नागरिकों से अगली सूचना तक हिंद महासागर के इस देश की सभी गैर जरूरी यात्रा टालने को कहा है.

इस बीच, भारत ने मालदीव में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता प्रकट की है और अपने नागरिकों से अगली सूचना तक मालदीव की यात्रा टालने को कहा है. परामर्श में विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव में भारतीय प्रवासियों को भी सुरक्षा के बारे में चौकस रहने और सार्वजनिक स्थानों पर जाने और जमा होने से बचने को कहा गया है. परामर्श में कहा गया, ‘मालदीव में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम और उसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय है. इसलिए, भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक माले और अन्य द्वीपों की सभी गैरजरूरी यात्राएं टालने की सलाह दी जाती है.’

मालदीव में संकट का सामना कर रहे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की ओर से 15 दिन के आपातकाल की घोषणा के तुरंत बाद भारत की ओर से यह परामर्श आया है. मालदीव के उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पिछले सप्ताह पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और अन्य नेताओं को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने कहा था कि मालदीव सरकार के सभी अंग देश के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने के प्रति बाध्यकारी है.

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