24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मालदीव में पहले भी आ चुके हैं इस तरह के संकट, भारत ने की थी मदद

अपने बेशुमार खूबसूरती के लिए पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बन चुके मालदीव इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. सोमवार रात को राष्ट्रपति अब्दुल यमीन ने आपातकाल की घोषणा कर दी. इस घोषणा के साथ ही मालदीव अचानक अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गया. 15 दिनों के लिए लगाये गये इस आपातकाल में […]

अपने बेशुमार खूबसूरती के लिए पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बन चुके मालदीव इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. सोमवार रात को राष्ट्रपति अब्दुल यमीन ने आपातकाल की घोषणा कर दी. इस घोषणा के साथ ही मालदीव अचानक अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गया. 15 दिनों के लिए लगाये गये इस आपातकाल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और दो जजों को गिरफ्तार कर लिया गया.

संकट की शुरुआत कहां से हुई
मात्र सवा चार लाख की आबादी वाले इस देश में संकट की शुरुआत कोर्ट के इस फैसले से हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के 9 सांसदों को रिहा कर दिया था. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर चल रहे मुकदमों को अंसवैधानिक करार दे दिया था. इस फैसले का असर राष्ट्रपति अब्दुल यमीन की कुर्सी पर पड़ने वाला था. कोर्ट के फैसले के बाद बहुमत विपक्षी दलों के साथ था. अपनी कुर्सी पर संकट देखते हुए मालदीव की सरकार ने शनिवार को अदालत के फैसले को मानने से इंकार करते हुए संसद अनिश्चितकाल स्थगित कर दी थी.
1988 में भारत ने किया था सहयोग
1988 में मालदीव में इस तरह के आपातकालीन स्थिति पैदा हुए थे. इस दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार ने मालदीव की मदद की थी. इसे ऑपरेशन कैक्टस का नाम दिया गया था. साल 1988 में मौमुल अब्दुल गयूम मालदीव के राष्ट्रपति थे.
मालदीव में तख्तापलट के पीछे नाराज अप्रवासी अब्दुल्ला लुतूफी ने की थी.
बताया जाता है कि तीन नबंवर को मालदीव पहुंचे हथियारबंद उग्रवादियों ने जल्द ही राजधानी माले की सरकारी इमारतों को अपने कब्जे में ले लिया. प्रमुख सरकारी भवन, एयरपोर्ट, बंदरगाह और टेलिविजन स्टेशन उग्रवादियों के नियंत्रण में चला गया. उग्रवादी तत्कालीन राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्यूम तक पहुंचना चाहते थे. अपने को संकट में देखते हुए राष्ट्रपति गयूम ने पाकिस्तान, श्रीलंका और अमेरिका समेत कई देशों को मदद के लिए संदेश भेजा. मालदीव के इस संकट में मदद के लिए भारत ने हाथ बढ़ाया. माले के ऊपर भारतीय वायुसेना के मिराज विमान उड़ान भरने लगे. भारतीय सेना की इस मौजूदगी ने उग्रवादियों के मनोबल पर चोट की. इसी दौरान भारतीय सेना ने सबसे पहले माले के एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में लिया और राष्ट्रपति गय्यूम को सिक्योर किया

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें