राम माधव पर ”फ़र्ज़ी ख़बर”, वेबसाइट बंद, FIR दर्ज
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी राम माधव ने अपने बारे में ‘फ़र्ज़ी ख़बर’ प्रकाशित करने वाली एक वेबसाइट के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया है. भारतीय जनता पार्टी की नागालैंड इकाई की ओर से दीमापुर के पूर्वी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है. https://twitter.com/priyangpandey/status/962742943449845760 एक वेबसाइट ‘द न्यूज़ ज्वाइंट’ ने […]
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी राम माधव ने अपने बारे में ‘फ़र्ज़ी ख़बर’ प्रकाशित करने वाली एक वेबसाइट के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया है.
भारतीय जनता पार्टी की नागालैंड इकाई की ओर से दीमापुर के पूर्वी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है.
https://twitter.com/priyangpandey/status/962742943449845760
एक वेबसाइट ‘द न्यूज़ ज्वाइंट’ ने एक लेख में 10 फ़रवरी को दीमापुर आए राम माधव के बारे में आपत्तिजनक दावे किए थे.
हालांकि राम माधव की ओर से क़ानूनी कार्रवाई किए जाने के बाद ये वेबसाइट ही बंद हो गई है.
नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ हैं ये राम
राम माधव से सवाल पूछने वाले मेहदी हसन छाए
‘सब पर मुक़दमा करेंगे’
यही नहीं वेबसाइट का फ़ेसबुक पेज भी ग़ायब हो गया है.
बीजेपी ने इस बारे में दीमापुर के अलावा कोहिमा और दिल्ली में भी मामले दर्ज करवाने की बात कही है.
वहीं असम के मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट कर कहा है, "हमने ये झूठ बोलने वालों को अपने दावे साबित करने की चुनौती दी है. इसी बीच हम साइबर अपराध विभाग भी जा रहे हैं. जिन लोगों ने ये अफ़वाह फैलाई है हम उन सब पर मुक़दमे करेंगे."
https://twitter.com/himantabiswa/status/962748452718301189
अपनी शिकायत में बीजेपी ने कहा है, "कथित समाचार पूर्ण रूप से फ़र्ज़ी है और ये हमारे राष्ट्रीय महासचिव श्री राम माधव का चरित्र हनन करके 27 फ़रवरी को होने वाले चुनावों के लिए हमारे कामयाब चुनावी प्रयासों को चोट पहुंचाने के लिए लिखी गई है."
बीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा है, "राम माधव दस फ़रवरी को सिर्फ़ तीन घंटों के लिए दीमापुर आए थे और यहां पार्टी नेताओं की बैठक करके लौट गए थे. जैसा दावा किया जा रहा है ऐसी कोई घटना नहीं हुई है."
चुनावों को लेकर खींचतान
वहीं स्थानीय पत्रकार दिलीप शर्मा के मुताबिक इस ख़बर को लेकर नागालैंड में ख़ासी चर्चा रही. कथित ख़बर में नागा संगठन एनएसीएन के पास राम माधव का एक वीडियो होने का दावा किया गया था और कहा गया था कि एनएससीएन भाजपा पर 27 फ़रवरी को होने वाले चुनाव रद्द करने का दबाव बना रही है.
नागालैंड के स्थानीय पत्रकार लीमा जमीर कहते हैं, ‘मैंने बीजेपी नेता राम माधव की प्रकाशित हुई इस खबर पर एनएससीएन-आईएम के कई शीर्ष कैडरों से बात की हैं लेकिन किसी भी चरमपंथी नेता को इस बारे में कोई जानकारी नहीं हैं. मैं इतने सालों से नागालैंड में काम कर रहा हूं मैंने पहले इस न्यूज एजेंसी का नाम नहीं सुना. नागालैंड काफी संवेदनशील इलाका है और ऐसी खबर से यहां का माहौल बिगड़ सकता है.’
हाल ही में नागा समुदाय के शीर्ष संगठन नागालैंड ट्राइबल होहो एंड सिविल ऑर्गेनाइजेशन ने राज्य में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों को टाल देने की वकालत करते हुए सात दशक से अधिक पुराने नागा मसले का समाधान निकालने की अपील की थी.
इसके बाद प्रदेश में करीब सभी राजनीतिक दलों ने एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर नागालैंड में चुनाव बहिष्कार का फैसला किया था.
लेकिन बाद में जब बीजेपी ने चुनाव का बहिष्कार से मना कर दिया तो सभी दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए.
दरअसल एनएससीएन (आईएम) और भारत सरकार के बीच होने वाला शांति समझौता अंतिम चरण में हैं और यहां के प्रमुख नागरिक संगठन सालों से चली आ रही इस नागा समस्या का समाधान चाहते हैं.
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