शिक्षा और जल्दी इलाज से दमा को रोका जा सकता है

मुंबई : विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 15 से 20 लाख लोग दमा से पीडित हैं. यहां डॉक्टरों का मानना है कि जागरुकता और शीघ्र इलाज, पिछले दशक में तेजी से बढ रही सांस की इस बीमारी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.अनुमान के अनुसार पूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2014 3:54 PM

मुंबई : विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 15 से 20 लाख लोग दमा से पीडित हैं. यहां डॉक्टरों का मानना है कि जागरुकता और शीघ्र इलाज, पिछले दशक में तेजी से बढ रही सांस की इस बीमारी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में 100 से 150 लाख के बीच लोग दमा से पीडित हैं, जिनमें 15 से 20 लाख लोग भारत से हैं.

आज, ‘विश्व दमा दिवस’ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पिर्ट के अनुसार सांस लेने में परेशानी और और घरघराहट को नहीं समझ पाना दमा होने का बुनियादी कारण है. लेकिन, घर के अंदर एलर्जी पैदा करने वाले तत्व जैसे कि बिस्तर और कालीन पर पडे धूल के कण दमा के बढने का बडा कारण है. घर के बाहर एलर्जी पैदा करने वाले तत्व पराग, तंबाकू के धुएं और रासायनिक पदार्थ भी दमा होने का कारण है. लीलावती अस्पताल में छाती रोग विशेषज्ञ, डॉ प्रभुदेसाई ने बताया कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो कि श्वास की तकलीफ को नहीं देख पाते लेकिन फिर भी वे इस वंशानुगत बीमारी ‘मौन दमा’ से पीडित होते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘दमा से बचाव के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है. सिर्फ इस बीमारी के हमले को रोका जा सकता है. कुछ ऐसे लोग हैं जो दमा के मरीज होने का कोई कारण नहीं देख पाते. वैसे जो लोग अक्सर छींकते रहते हैं और जिन्हें अधिक समय खांसी रहती है, वे भी दमा के मरीज हो सकते हैं. ऐसे लोगों को शीघ्र ही इलाज की जरुरत है.’’ सिद्ध धयान फाउंडेशन के प्रमुख वेंकेटेश जोशी ने कहा, जल्द इलाज कर दमा को नियंत्रित किया जा सकता है.उन्होंने कहा ‘‘दमा को ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है. दमा से पीडित लोगों को इसे बढाने वाले कारकों से बचना चाहिए और उन्हें खुद को इसके इलाज के बारे में शिक्षित करना चाहिए.’’ इस वर्ष का विषय ‘तुम अपने दमा को नियंत्रित कर सकते हो’ है जो अस्थमा के कारण और प्रभाव पर केंद्रित है.

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