मालदीव की संसद ने आपातकाल की अवधि 30 दिन बढ़ायी, भारत की अपील को किया दरकिनार
कोलंबो/माले/नयीदिल्ली : मालदीव की संसद ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन की सिफारिशों को मंजूर करते हुए मंगलवारको देश में आपातकाल की अवधि 30 दिन और बढ़ा दी. मालदीव की इंडिपेंडेंट समाचार वेबसाइट की खबर में बताया गया है कि मतदान के लिए केवल 38 सांसद उपस्थित थे. आपातकाल की अवधि समाप्त होने से पहले ही मतदान […]
कोलंबो/माले/नयीदिल्ली : मालदीव की संसद ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन की सिफारिशों को मंजूर करते हुए मंगलवारको देश में आपातकाल की अवधि 30 दिन और बढ़ा दी. मालदीव की इंडिपेंडेंट समाचार वेबसाइट की खबर में बताया गया है कि मतदान के लिए केवल 38 सांसद उपस्थित थे. आपातकाल की अवधि समाप्त होने से पहले ही मतदान हुआ. इससे पहले भारत ने उम्मीद जतायी थी कि मालदीव समयसीमा समाप्त होने के बाद आपातकाल को नहीं बढ़ायेगा.
संविधान के मुताबिक, मतदान के लिए 43 सांसदों की जरूरत होने के बावजूद केवल 38 सांसदों ने मतदान कर दिया. वेबसाइट के अनुसार, सभी 38 सांसद सत्ताधारी दल के थे और उन्होंने आपातकाल की अवधि बढ़ाये जाने को मंजूरी दे दी. विपक्ष ने मतदान का बहिष्कार किया. अब देश में आपातकाल 22 मार्च को समाप्त होगा. राष्ट्रपति यमीन ने पांच फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा विपक्षी नेताओं के एक समूह की रिहाई का आदेश दिये जाने के बाद आपातकाल की घोषणा की थी.
जिन विपक्षी नेताओं की रिहाई का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था उनके खिलाफ मुकदमा की व्यापक आलोचना हुई थी. सुनवाई के बाद इन नेताओं को दोषी ठहराया गया था. इन नेताओं में निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन नेताओं के खिलाफ साल 2015 में हुई सुनवाई असंवैधानिक थी.
इससे पहले भारत ने उम्मीद जतायी थी कि मालदीव समयसीमा समाप्त होने के बाद आपातकाल को फिर नहीं बढ़ायेगा और शीघ्र लोकतंत्र और कानून के शासन की राह पर लौटेगा. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘हमारी यह उम्मीद है कि मालदीव सरकार आपातकाल की अवधि को आगे नहीं बढ़ायेगी, ताकि मालदीव में राजनीतिक प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से शुरू की जा सके.’ मंत्रालय ने मालदीव सरकार से उच्चतम न्यायालय के एक फरवरी के आदेश को लागू करने को भी कहा जिसमें निवार्सित पूर्व नेता मोहम्मद नसीद एवं आठ अन्य की रिहाई सही अर्थो में सुनिश्चित की जा सके. विदेश मंत्रालय का कहना है कि आपातकाल को समाप्त करने के बाद ही न्यायपालिका समेत लोकतांत्रिक संस्थाएं संविधान के अनुरूप स्वतंत्र रूप एवं निष्पक्ष तथा पारदर्शी तरीके से काम कर सकेंगी.
बयान के अनुसार, ‘यह जरूरी है कि मालदीव तेजी से लोकतंत्र एवं कानून के शासन के मार्ग पर लौट सके ताकि देश के लोगों की आकांक्षाओं पूरा करने के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को दूर किया जा सके. उल्लेखनीय है कि सोमवार को यामीन ने मालदीव की संसद के समक्ष आपातकाल की अवधि को 30 दिनों तक बढ़ाने का आग्रह पेश किया था.