टेरर फंडिंग : काम आया अमेरिका का दबाव, चीन ने छोड़ा साथ, ग्रे लिस्ट में शामिल होगा पाकिस्तान, ये पड़ेगा असर

आतंकी गुटों को शह देना पाकिस्तान पर भारी पड़ रहा है. अमेरिका की ओर से लगातार चेतावनी के बाद पहले से दबाव में चल रहे पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखनेवाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 24, 2018 1:47 AM
आतंकी गुटों को शह देना पाकिस्तान पर भारी पड़ रहा है. अमेरिका की ओर से लगातार चेतावनी के बाद पहले से दबाव में चल रहे पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखनेवाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने जा रहा है. इसका औपचारिक एलान बाकी है.ग्रे लिस्ट में शामिल देशों पर टेरर फंडिग के लिए कड़ी निगरानी रखी जाती है.
एफएटीएफ की पेरिस में चल रहे मीटिंग में पहले से समर्थन दे रहे चीन ने भी पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका की ओर से पेश किये गये प्रस्ताव का भारत, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने समर्थन किया. वहीं, पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने भी मौके पर ही उसका साथ छोड़ते हुए प्रस्ताव पर अपनी आपत्तियां वापस ले लीं.
सिर्फ अंत में तुर्की ही पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा. एफएटीएफ में 37 सदस्य हैं, जिनमें अंतिम तौर पर 36 सदस्य पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने पर सहमति जता चुके हैं. पहले उसे तीन माह के लिए सूची में डाला जायेगा.
गौरतलब है कि जमात उद दावा प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफीज सईद और जैश ए मुहम्मद मसूद अजहर के मुद्दे पर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना होती रही है. मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड सईद को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी आतंकी घोषित कर रखा है. अमेरिका ने भी उस पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित कर रखा है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की पेरिस में चल रही बैठक में बनी सहमति, औपचारिक एलान बाकी
अमेरिका का दबाव काम आया
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका के दवाब में प्रस्ताव पर फिर से वोटिंग करायी गयी, जिसमें ज्यादातर देशों ने उसके पक्ष में वोट डाला. अगर आधिकारिक घोषणा होती है, तो पाकिस्तान को फिलहाल तीन महीने के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ डाला गया है. जून में एक बार फिर इसकी समीक्षा की जायेगी.
तीन साल पहले भी हुई थी कार्रवाई
पाकिस्तान को इसके पहले वर्ष 2012 से 2015 तक इस सूची में डाला गया था. पाकिस्तान को अहसास था कि इस बार भी उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है, इसलिए उसने पिछले दिनों जमात उद दावा के चीफ हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा किया था.
पाकिस्तान से ट्रंप संतुष्ट नहीं
वाशिंगटन : व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से की गयी प्रगति से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘संतुष्ट’ नहीं हैं.
अमेरिका पहली बार इस्लामाबाद को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहा है. पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की मौजूदा बैठक के बीच व्हाइट हाउस के डिप्टी प्रेस सचिव राज शाह ने यह टिप्पणी की. एफएटीएफ की बैठक में अमेरिका पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय टेरर फंडिंग निगरानी सूची में डालने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है. शाह ने बताया,‘मैं जानता हूं कि पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते में हमने कुछ स्पष्टता लायी है.
पहली बार हम पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहे हैं.’ एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा,‘चिंताओं को वास्तविक रूप में मानने के मामले में हमने ठीक-ठाक प्रगति देखी है, लेकिन बात जब पाकिस्तान की आती है, तो राष्ट्रपति इस प्रगति से संतुष्ट नहीं है.’
पाक पर क्या होगा असर
इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी, उसकी हालत पहले से काफी खस्ताचल रही है
पाक से व्यापार की इच्छुक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां,
बैंक और ऋण देनेवाली संस्थाएं निवेश से पहले
कई बार सोचेंगी
पाकिस्तान के लिए विदेशी निवेश लाना काफी मुश्किल हो जायेगा

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