यूपी में पैगंबर का हवाला देकर मुस्लिमों से शांति की अपील

इस्लाम के दूत पैगंबर मोहम्मद के जीवन की एक कहानी बहुत चर्चित है. मक्का में उनके पड़ोस में रहने वाली एक बूढ़ी औरत रोज़ उनके रास्ते में कूड़ा फेंक देती, वो अपने कपड़े साफ़ करते और बिना कुछ कहे आगे बढ़ जाते. ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. एक दिन बूढ़ी औरत ने कूड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2018 8:16 AM

इस्लाम के दूत पैगंबर मोहम्मद के जीवन की एक कहानी बहुत चर्चित है. मक्का में उनके पड़ोस में रहने वाली एक बूढ़ी औरत रोज़ उनके रास्ते में कूड़ा फेंक देती, वो अपने कपड़े साफ़ करते और बिना कुछ कहे आगे बढ़ जाते. ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. एक दिन बूढ़ी औरत ने कूड़ा नहीं फेंका. पैगंबर मोहम्मद ने जानकारी ली तो पता चला कि वो औरत बीमार है. पैगंबर मोहम्मद उस औरत का हालचाल पूछने उसके घर गए और ज़रूरत पड़ने पर मदद की पेशकश की. इससे प्रभावित होकर उस महिला ने इस्लाम अपना लिया.

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में पुलिस ने इसी कहानी का सहारा लेकर होली के मौक़े पर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ये ज़िला सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील है और यहां साल 2013 में एक बड़ा दंगा हुआ था जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे.

पुलिस की अपील

होली के मौक़े पर कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो इसके लिए ज़िले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव ने एक पर्चा ज़िले भर में बंटवाया है और मस्जिदों और मदरसों में भिजवाया है.

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इस पर्चे में लिखा है, "आप लोग सुन्नत-ए-रसूल को याद करते हुए आग से आग को बुझाने की कोशिश न करें. आग बुझाने के लिए पानी की ज़रूरत होती है. अक्ल और होश का दामन मत छोड़ना वरना शैतान का फ़ितना काम कर जाएगा. अगर किसी बच्चे या बड़े से ग़लती हो जाए तो सब्र और धीरज से काम लें और होली के सुअवसर पर अम्नो-अमान क़ायम रखें."

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बीबीसी से बात करते हुए अनंत देव ने कहा, "होली हिंदुओं का त्योहार है. कई बार रंग पड़ जाने पर या मस्जिद या मदरसे की दीवार पर रंग पड़ जाने पर विवाद हो जाता है. मुसलमान होली के दिन संयम बरतें, इसलिए मैंने ये अपील की है. उनके मन में ये बात आनी चाहिए कि सांप्रदायिक और सामाजिक सौहार्द बनाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है. इसलिए ही मैंने ये अपील की है."

अनंत देव कहते हैं, "अगर होली के दिन किस मुसलमान पर या किसी दीवार पर रंग पड़ जाए तो उस पर विवाद नहीं होना चाहिए. दीवार पर पड़ा रंग या कपड़े पर पड़े छींटे साफ़ हो जाएंगे. इतनी उदारता, सब्र और सहनशीलता, समझ और धैर्य लोगों को दिखाना है, इसलिए ही मैंने पैगंबर मोहम्मद के जीवन की कहानी दी है जो उनके आचरण को दिखाती है."

मुस्लिमों ने की सराहना

पुलिस की इस अपील का शहर के मुसलमानों और हिंदुओं ने स्वागत किया है. मुजफ़्फ़रनगर में एक मदरसा चलाने वाले मूसा क़ासमी कहते हैं, "पैगंबर की हदीस बयान कर पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की है ये अच्छी बात है."

हालांकि मूसा क़ासमी ये भी कहते हैं कि पुलिस को हिंदुओं से भी इसी तरह पर्चा जारी कर हुड़दंग न मचाने की अपील करनी चाहिए थी. मूसा कहते हैं, "बेहतर होता कि पर्चा दूसरी ओर के लोगों के लिए भी जारी किया जाता क्योंकि होली तो हिंदू मनाते हैं. उनसे भी हुड़दंग न करने की अपील की जानी चाहिए थी. होली पर मस्जिदों को ढक देना मसले का हल नहीं है. लेकिन फिर ये एक बहुत अच्छी कोशिश है."

हिंदुओं से भी होगी अपील

वहीं अनंत देव का कहना है कि ईद और बकरीद के मौके पर वो इसी तरह की अपील हिंदुओं के लिए जारी करेंगे. उन्होंने कहा, "बकरीद के मौके पर कई बार लोग नाली में ख़ून देखकर भड़क जाते हैं या कुत्ता मुंह में हड्डी ले जाता है तो उससे भी भड़क जाते हैं. हम बकरीद के मौके पर ऐसे ही धीरज रखने की अपील हिंदुओं से भी करेंगे."

शहर के एक हिंदूवादी कार्यकर्ता संजय अरोड़ा ने भी ये पर्चा पढ़ा है. वो कहते हैं, "क़ानून व्यवस्था और शांति बनाए रखना पुलिस की ज़िम्मेदारी है. इसी दिशा में पुलिस ने ये अच्छी पहल की है. मैंने इस बारे में शहर के कई लोगों से बात की. सभी ने इसे सकारात्मक नज़रिए से देखा है. होली के दिन ही जुमा भी है. भगवान न करे किसी के ऊपर रंग गिर जाए तो मामला बिगड़ सकता है. ऐसे में पुलिस अधीक्षक ने अपनी दूरदर्शी सोच से ये क़दम उठाया है."

मुजफ़्फरनगर सांप्रदायिक रूप से यूपी का बेहद संवेदनशील ज़िला है. हाल के सालों का सबसे बड़ा दंगा यहीं हुआ है. सांप्रदायिक हिंसा की अधिकतर वारदातें त्योहारों के मौक़े पर ही होती हैं. ऐसे में पुलिस के इस क़दम को शहर में एक अच्छी शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

स्थानीय पत्रकार अमित सैनी कहते हैं, "मुज़फ़्फ़रनगर में शांति क़ायम रखना पुलिस के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है. हाल के महीनों में पुलिस ने ऐसा करने में कुछ हद तक कामयाबी भी हासिल की है. पुलिस शांति बनाए रखने के नए तरीके तलाश रही है. उसी दिशा में ये क़दम उठाया गया है जिसका लोगों पर असर भी दिख रहा है."

पुलिस का ये क़दम कितना कारगर रहता है ये होली बीतने के बाद ही पता चल पाएगा.

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