अमेरिका तालिबान से करेगा सीधी वार्ता लेकिन इस शर्त के साथ

वाशिंगटन : सीधी वार्ता के संबंध मे तालिबान के हालिया आग्रह को खारिज करते हुए व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि जबतक तालिबान अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार के साथ वार्ता में शामिल नहीं होता तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी. अमेरिका का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब ट्रंप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2018 11:31 AM

वाशिंगटन : सीधी वार्ता के संबंध मे तालिबान के हालिया आग्रह को खारिज करते हुए व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि जबतक तालिबान अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार के साथ वार्ता में शामिल नहीं होता तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी. अमेरिका का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भेंट पर सहमति जता दी है.

दक्षिण और मध्य एशिया की वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में वाशिंगटन के श्रोताओं से कहा, ‘‘जाहिर तौर पर उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया और अफगानिस्तान की स्थिति की तुलना नहीं है. मैं इस बात को रेखांकित करती हूं कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के एक-दूसरे से बातचीत करने के बाद ही राष्ट्रपति ने वार्ता में शामिल होने की पेशकश की है.’ यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस, अमेरिकी कांग्रेस द्वारा समर्थित अमेरिका का थिंक टैंक है.

वेल्स ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों और शासन कर रही सरकार को एक दूसरे के साथ और इस मामले से संबंधित अन्य पक्षकारों को भी पहले बातचीत करने की जरूरत है. हम इस मामले को इसी तर्क के साथ देखते हैं. दक्षिण और मध्य एशिया के पूर्णकालिक सहायक सचिव की अनुपस्थिति में वेल्स विदेश मंत्रालय का दक्षिण और मध्य एशिया का प्रभार भी संभाल रही हैं.

उन्होंने बताया कि अमेरिका तालिबान को यह समझाने में काफी समय व्यतीत कर चुका है कि तालिबान को बातचीत करने की जरूरत है. इसके अलावा इस पर भी समय खर्च हुआ है कि हम अपनी सैन्य कार्रवाई का इस्तेमाल किस तरह करेंगे कि बातचीत जब हो तो वह सफल हो.

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