बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक

ढाका : बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को उच्च न्यायालय से मिली जमानत के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी. फैसले से इस साल होनेवाले आम चुनावों में जिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा है. मीडिया की एक खबर के मुताबिक, जिया ऑर्फेनेज ट्रस्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2018 5:50 PM

ढाका : बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को उच्च न्यायालय से मिली जमानत के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी. फैसले से इस साल होनेवाले आम चुनावों में जिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा है.

मीडिया की एक खबर के मुताबिक, जिया ऑर्फेनेज ट्रस्ट को दिये जानेवाले विदेशी चंदे में करीब250,000 डॉलर के गबन के मामले में 72 वर्षीय जिया को आठ फरवरी को पांच साल जेल की सजा सुनायी गयी. यह ट्रस्ट उनके दिवंगत पति के नाम पर है. इसी मामले में उनके बेटे तारिक रहमान और चार अन्य को 10 सालकी जेल की सजा सुनायी गयी है. उच्च न्यायालय ने 12 मार्च को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष को चार महीने की अंतरिम जमानत दी थी. बांग्लादेश के प्रधान न्यायाधीश सैयद महमूद हुसैन के नेतृत्ववाली अपीली डिवीजन की पूर्ण पीठ ने सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश पर आठ मई तक रोक लगा दी.

‘डेली स्टार’ की खबर में भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एसीसी) के वकील खुर्शीद आलम खान के हवाले से कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जिया को आठ मई तक जेल से रिहा नहीं किया जा सकता. जिया को एसीसी तथा सरकार की ओर से संक्षिप्त बयान दर्ज कराने के बाद दो सप्ताह में अपील पर अपने बयान दर्ज करने के लिए कहा गया है. आदेश पारित करने के बाद हुसैन ने कहा कि मामले में रिकॉर्डों को देखने के बाद उच्चतम न्यायालय के सभी चार न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से आदेश पारित किया.

जिया के वकील ने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि उच्चतम न्यायालय ने एसीसी और सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए अनुमति देने का कोई कारण नहीं बताया. इससे पहले, 15 मार्च को एसीसी तथा सरकार ने बीएनपी प्रमुख की जमानत को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय की अपीलीय डिवीजन के समक्ष अपील दायर करने की अनुमति देने के लिए दो याचिकाएं दायर की थी. एसीसी ने आरोप लगाया कि जिया ऑर्फेनेज ट्रस्ट और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट केवल कागजों पर मौजूद हैं और वर्ष 2001-2006 में बीएनपी सरकार के दौरान जिया के प्रधानमंत्री रहते हुए इन दोनों संस्थाओं के नाम पर बड़ी धनराशि का गबन किया गया.

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