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पत्थरबाजों से निबटने को सुरक्षा बलों को मिला नया बॉडी प्रोटेक्टर

जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को नये किस्म का बॉडी प्रोटेक्टर मिला है, जो उन्हें पत्थरबाजी से बचायेगा. नया सुरक्षा कवच पथराव, चाकू, एसिड हमले, मोलोतोव कॉकटेल और आग के गोलों से बचाव के लिए खासतौर पर बनाया गया है. इसके अभाव में वह अक्सर चोटिल हो जाया करते थे. श्रीनगर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा […]

जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को नये किस्म का बॉडी प्रोटेक्टर मिला है, जो उन्हें पत्थरबाजी से बचायेगा. नया सुरक्षा कवच पथराव, चाकू, एसिड हमले, मोलोतोव कॉकटेल और आग के गोलों से बचाव के लिए खासतौर पर बनाया गया है. इसके अभाव में वह अक्सर चोटिल हो जाया करते थे.

श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को एक ओर तो आतंकियों से मुकाबला करना होता है, तो दूसरी तरफ उन्हें पत्थरबाजों से भी निबटना होता है. पत्थरबाजों से निबटना एक टेढ़ी खीर है, क्योंकि वे स्थानीय नागरिक होते हैं और उनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं. इसके लिए कुछ दिन पहले पैलेट गन का प्रयोग शुरू हुआ था, लेकिन इसे लेकर भी काफी विवाद हो गया. वजह यह थी कि इससे लोग बुरी तरह घायल होते रहे हैं. खास तौर पर इससे आंखों को काफी नुकसान होता है. हाल ही में सीआरपीएफ को पत्थरबाजों के पथराव से बचने की खातिर नये किस्म के बॉडी प्रोटेक्टर दिये गये हैं.
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों के कारण सेना और सीआरपीएफ के जवान अक्सर परेशानी में पड़ जाते हैं. साजो-सामान की कमी व पथराव करने वालों पर घातक हथियारों का इस्तेमाल न कर पाने की बंदिश के चलते उनका मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जवानों के पास एक ही विकल्प होता है कि वे अपनी सुरक्षा करते हुए उपद्रवियों को खदेड़ें. सुरक्षा बलअब तक केवल चेस्ट प्रोटेक्टर व लेग गार्ड के सहारे ही वे पत्थरबाजों का मुकाबला करते थे.
अब पुलिस को 20,000 फुल-बॉडी प्रोटेक्टर, 3,000 पोलीकार्बोनेट शील्ड, बेहतर हेल्मेट, आंसू गैस प्रोटेक्टर और संशोधित पैलेट गन मुहैय्या कराया गया है. पिछले साल तक सीआरपीएफ के पास केवल फोम के बने चेस्ट प्रोटेक्घ्टर, लेग गार्ड होते थे. अब एक फैक्ट्री ने नया बॉडी प्रोटेक्टर डिजाइन किया है.
नया सुरक्षा कवच पथराव, चाकू, एसिड हमले, मोलोतोव कॉकटेल और आग के गोलों के लिए खासतौर पर बनाया गया है.
जम्मू कश्मीर में करीब 70,000 जवान तैनात हैं. पुलवामा जिले के त्राल में तैनात एक जवान ने बताया कि इस बॉडी प्रोटेक्टर से हमें पत्थरों से बेहतर सुरक्षा मिलेगी और हमारा विश्वास फिर से बनेगा. नये यूनिफॉर्म में छोटे-छोटे छेद हैं, जिससे आसानी से सांस लिया जा सकता है. पिछले साल पत्थरबाजी की वजह से करीब 2,400 जवान घायल हो गये थे. अधिकांश चोट उनके सिर पर होती हैं.
पूरे शरीर के लिए इस नये रक्षा कवच में ‘चेस्ट प्रोटेक्टर, एल्बो पैड, शिन गार्ड, अपर आर्म प्रोटेक्टर, शोल्जर पैड, ग्रोइन प्रोटेक्घ्टर, फोरआर्म प्रोटेक्टर, थाई प्रोटेक्टर शामिल हैं. कश्मीर में पथराव के दौरान मेडिकल इलाज के अलावा गृह मंत्रालय छोटे चोटों के लिए 2,500 रुपये और गंभीर चोट के लिए 7,500 रुपये मुहैया कराती है.

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