जीत के लिए जातिगत समीकरण में जुटे प्रत्याशी
चाईबासा नगर पर्षद चुनाव. अंदरखाने में चल रही जोड़-तोड़ की राजनीति अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशियों ने बैठकों व जनसंपर्क पर दिया जोर चाईबासा : रामनवमी के बाद चाईबासा में चुनावी पारा चढ़ने लगा है. विभिन्न पार्टियां व प्रत्याशी जीत के लिए बैठक व जन संपर्क में जुटे हुए हैं. हालांकि प्रत्याशी अभी अपना […]
चाईबासा नगर पर्षद चुनाव. अंदरखाने में चल रही जोड़-तोड़ की राजनीति
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशियों ने बैठकों व जनसंपर्क पर दिया जोर
चाईबासा : रामनवमी के बाद चाईबासा में चुनावी पारा चढ़ने लगा है. विभिन्न पार्टियां व प्रत्याशी जीत के लिए बैठक व जन संपर्क में जुटे हुए हैं. हालांकि प्रत्याशी अभी अपना गेम प्लान नहीं खोल रहे हैं. सूत्रों के अनुसार
अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशी जीत के लिए जातिगत समीकरण में जुटे हुए हैं. इसके तहत मारवाड़ी व ब्राम्हण को प्रत्याशी बनाये जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाये जा रहे हैं. वही दोनों तबकों को लेकर समाज और शहर में उनके कार्यों को सामने लाया जा रहा है. दूसरी तरफ अल्पसंख्यक व उरांव वोटर का कार्ड खेला जा रहा है. इसे लेकर सभी अपने समाज को एकजुट करने में लगा है. इस बार नगर निकाय के चुनाव में प्रत्याशियों के लिए जीत का सेहरा इतना आसान नहीं है.
ऐसे में जातिगत समीकरण से जीत के लिए प्रत्याशी जोड़-घटाव में लगे हुए हैं. एक तरफ मारवाड़ी, ब्राह्मण, माहुरी बंगाली का वोटिंग समीकरण है, तो दूसरी तरफ मुस्लिम व उरांव वोट एक हद तक चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. कुछ प्रत्याशी मुस्लिम और उरांव
वोट के सहारे बाजी मारने की तैयारी में है, तो कुछ मुस्लिम और उरांव वोटर के बंटने की स्थिति में बड़ा फायदा उठाने की फिराक में हैं.
जातिगत समीकरण में ईसाई मतदाता भी एक बड़ा फैक्टर बन कर उभर सकते हैं.
इवीएम में नीचे क्यों हो मेरा नाम इसपर जतायी आपत्ति
16 अप्रैल को मतदान होना है. इसको लेकर प्रशासनिक तैयारी जोर शोर से है. इवीएम को तैयार किया जा रहा है. इनमें प्रत्याशियो के नाम को सीरिलाइज किया जा रहा है. ऐसे में सूत्रों की माने तो इस प्रक्रिया को निष्पादित करने के दौरान एक प्रत्याशी ने अपना नाम तीसरे नम्बर पर किये जाने पर चुनाव अधिकारियों के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी. इस पर चुनाव अधिकारी ने उक्त प्रत्याशी को इवीएम सीक्वेंस का मतलब समझाया. तब जाकर प्रत्याशी महोदय को बात समझ में आयी.
नहीं तो अपना नाम तीसरे नम्बर पर देख कर भड़के प्रत्याशी महोदय चुनाव आयोग की जाने की बात करने लगे. महोदय अपना नाम इवीएम में एक नंबर पर देखना चाहते थे. हिंदी वर्णमाला के अनुसार इवीएम में प्रत्याशियों के नाम को अंकित किया जाता है. वर्णमाला के हिसाब से ही अन्य नामों को श्रेणीबद्ध किया जाता है.
परमिट वाहन ही चुनाव प्रचार में चलेंगे
नगर परिषद के विभिन्न पदों के उम्मीदवार को परमिट वाहन चलाने का ही निर्देश दिया गया है. बिना परमिट के वाहन चलाने पर उम्मीदवार पर आचार संहिता का अारोप लगेगा. प्रत्येक वाहन में ड्राइवर समेत कुल पांच व्यक्ति ही बैठ सकते है. उम्मीदवार को जिला निर्वाचन विभाग के वाहन कोषांग से परमिट मिलेगा. बिना परमिट वाहन पर उम्मीदवार का यदि झंडा भी दिखेगा तो उस पर कार्रवाई होगी.
इन वाहनों का कर सकेंगे उपयोग
आचार संहिता का पालन पूरी सख्ती से किया गया है. अध्यक्ष व उपाध्यक्ष 4-4 वाहन का ही उपयोग कर सकते हैं. वही वार्ड पर्षद तीन वाहन का उपयोग कर सकते हैं. बिना परमिट के वाहन प्रचार प्रसार के लिये उपयोग करने पर आचार संहिता अधिनियम के तहत प्रत्याशी पर कार्रवाई होगी. बिना परिमट वाहन पर उम्मीदवार का झंडा भी यदि लगा होगा तो आचार संहिता के खिलाफ होगा.
– डॉ रवींद्र पांडेय, जिला निर्वाचन पदाधिकारी, पश्चिम सिंहभूम
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