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एक सप्ताह से जिंदा है सिर कटा मुर्गा… जानिए क्यों?

बैंकाॅक : सिर कटने के बाद भी कौन जिंदा रह सकता है. इस सवाल का जवाब अगर आपने इंटरनेट पर ढूंढा है या पहले इस सवाल से सामना हुआ है तो आप फट से जवाब देंगे – कॉकरोच. अगर हम आपको बतायें कि एक मुर्गा सिर कटने के बाद भी एक सप्ताह से जिंदा है, […]

बैंकाॅक : सिर कटने के बाद भी कौन जिंदा रह सकता है. इस सवाल का जवाब अगर आपने इंटरनेट पर ढूंढा है या पहले इस सवाल से सामना हुआ है तो आप फट से जवाब देंगे – कॉकरोच. अगर हम आपको बतायें कि एक मुर्गा सिर कटने के बाद भी एक सप्ताह से जिंदा है, तो इस खबर से आप हैरान जरूर होंगे .

कई दिनों से थाइलैंड के रचाबुरी में यह मुर्गा चर्चा का विषय बना हुआ है. मुर्गे की जिंदा रहने की इस जिद ने उसे नया नाम ट्रू वार्रियर दिया है. इस मुर्गे की गर्दन कट गयी थी. लोगों को लगा कि यह मर जायेगा लेकिन मुर्गा एक हफ्ते से ज्यादा हो गये जिंदा है. मुर्गे को जब डॉक्टर के पास ले जाया गया तो उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया.
क्या कहता है विज्ञान
यह खबर आग की तरह फैल गयी और बौद्ध भिक्षुओं ने इसे अपने पास रख लिया. इसे सिरिंच के जरिये खाने – पीने की चीज दी जाती है. मुर्गे की शारीरिक रचना इस तरह की है कि इन संभावाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. मुर्गे का दिमाग उनके सिर में नीचे की तरफ होता है. सांस लेने जैसे कार्य सिर के पिछले वाले भाग से नियंत्रित होते हैं. अगर सिर कट भी जाता है तो उसका अगला भाग उसे काफी दिनों तक जीवित रह सकता है.
पहले भी हुई है ऐसी घटना
यह पहली घटना नहीं है साल 1945 में एक ऐसी ही घटना खूब चर्चा में रही थी. लोयड ऑलसेन ने 40 मुर्गों के सिर अपने हाथ से काटे. उनमें से एक जिंदा बच गया. लोयर उसे सिरिंच से खाने – पीने देते थे. इससे लोयड ने खूब पैसे कमाये. मुर्गा लगभग दो सालो तक जिंदा रहा. इस मुर्गे ने खूब सुर्खियां बटोरी. मुर्गा परिवार के लिए एक सदस्य की तरह बन गया. मुर्गे का नाम माइक रखा गया. इस घटना के बाद कई लोगों ने हेडलेस चिकन बनाने की कोशिश की लेकिन वह असफल रहे.

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