पांच ब्रिटिश बच्चों ने पढ़ा जीवन का पाठ
दून स्कूल टीवी पर ड्रामा सीरीज का चलन बढ़ा है. आमेजन, हॉटस्टार और नेटफ्लिक्स जैसे प्रसारणकर्ताओं के आने से इसमें वृद्धि हुई है. ऐसा ही एक ड्रामा सीरीज है – इंडियन समर्स. यह एक ब्रिटिश ड्रामा सीरीज है, जिसका प्रसारण चैनल -4 पर होता है. इस सीरीज में पांच छात्रों का चुनाव उत्तराखंड के दून […]
दून स्कूल
टीवी पर ड्रामा सीरीज का चलन बढ़ा है. आमेजन, हॉटस्टार और नेटफ्लिक्स जैसे प्रसारणकर्ताओं के आने से इसमें वृद्धि हुई है. ऐसा ही एक ड्रामा सीरीज है – इंडियन समर्स. यह एक ब्रिटिश ड्रामा सीरीज है, जिसका प्रसारण चैनल -4 पर होता है. इस सीरीज में पांच छात्रों का चुनाव उत्तराखंड के दून स्कूल में रहने के लिए किया गया, जहां उन्हें कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में रहने को कहा गया. आइए, जानते हैं इन छात्रों के इस जीवन बारे में.
नेशनल कंटेंट सेल
देहरादून अपनी स्कूलिंग के लिए दुनियाभर में अलग पहचान रखता है. यहां के दून स्कूल और वेलहम ब्वॉयज स्कूल दुनियाभर में मशहूर हैं. दून स्कूल का तो नाम लेते ही एक तरह से द्रोणाचार्य के गुरुकुल की याद आ जाती है. अस्सी एकड़ में फैला घने पेड़ों के बीच स्थित विशाल हवेलीनुमा स्कूल का प्रांगण देहरादून के बेहद शांत और सुरक्षित कैंट इलाके में है और एक उपनगर की तरह है. साल 1935 में जब स्कूल की स्थापना की गयी थी, तो इसका उद्देश्य ब्रिटिश राज के तहत लोकतांत्रिक संस्थाओं को बढ़ावा देना था, लेकिन समय के साथ सब बदल गया. आज यहां हर प्रकार के छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं.
विशाल प्रांगण के बीच स्थित इस स्कूल में जब घंटे की आवाज गूंजती है, तो सिर्फ स्कूल ही नहीं, आसपास का पूरा इलाका गूंज उठता है. घंटी बजने के साथ ही बच्चे कमरों से निकलकर मैदान में एकत्र हो जाते हैं. साफ ड्रेस, छोटे-छोटे बाल, साफ जूते और बेल्ट पहने छात्रों के इस समूह को देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि इन बच्चों ने खुद से यह काम किया है. ऐसा ही एक दृश्य वह भी था.
एक ओर सभी बच्चे मैदान में जमा हो गये थे. दूसरी ओर ब्रिटेन से आये हुए पांच लड़के अपने-अपने कमरों में पड़े हुए थे. जैक (18), ब्राइटन का रहने वाला है. जब वह पांच साल का था, तभी उसके पिता का देहांत हो गया था. इथन (17), साउथ वेल्स का है. सेक्सुआलिटी को लेकर उसे स्कूल से निकाला गया था.
वह भावनात्मक रूप से खुले विचारों वाला है और मुखर भी है. उसकी बातों से यह स्पष्ट हो गया था कि उसके पिता ने भी पढ़ने के लिए संघर्ष किया था. ब्लैकपूल में रहने वाले हैरी (18) काफी जागरूक किस्म का लड़का था. उसे स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने की तुलना में लोकप्रिय होना ज्यादा जरूरी लगता था. चेम्सफोर्ड का रहनेवाले एल्फी (17) के जीवन में कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. उसे भारत जाकर पढ़ाई पूरी करने पर एक कार देने का लालच दिया गया. हुल प्रांत के रहनेवाले जैक (18) को डिस्लेक्सिया है.
सभी लड़कों को ट्रायल के रूप में एक परंपरागत स्कूली शिक्षा दी गयी. अब बारी थी उनके घर वापसी की. स्कूल के विषय में बात करते हुए ब्रिटिश हेडमास्टर मैथ्यू रैगेट, कहते हैं कि दुर्भाग्य यह है कि हम अपने माता-पिता की तुलना में थोड़े बेहतर हैं. हमारे पास अवकाश के साथ समय और तकनीक जैसी कई चीजों तक पहुंच है, जो हमें तत्काल लोगों के बीच लोकप्रिय बना देता है.
लड़कों के लिए यह समझना बहुत कठिन था कि वे दुनिया में होते हुए भी अपने आप को दुनिया में महसूस नहीं कर पा रहे थे. वे कहने को तो इस दुनिया में थे, लेकिन दुनिया में होने वाला ऐसा कोई भी क्रियाकलाप उनके पास नहीं था. वे निराश थे कि वे अधिक प्रगति नहीं कर पा रहे थे. विद्यालय के अनुभव से उन्होंने वह नहीं सीखा, जो जीवन के लिए सबसे जरूरी है. वे कोशिश करने को तैयार थे, लेकिन जब मेहनत बहुत ज्यादा हो जाती, तो वे अपने कदम वापस खींच लेते. छह महीने के बाद लोगों को यहां से निकाला गया.
हैरी, जिसका सपना एक स्टाइलिश हेयरड्रेसर बनने का था, ने महसूस करना शुरू किया कि वह जो सोचता है वही सही है, ऐसा नहीं है. उसने कहा कि मैं एक बार फिर से ऐसा ही कर रहा हूं, पर मैं ऐसा करना नहीं चाहता. लेकिन आज वह स्वीकार कर रहा था कि काम जितना कठिन होता है, हम उतना ही बोर होते हैं. हमें तो यहां पाइथागोरस प्रमेय को भी बिना कैलकुलेटर के ही हल करने को कहा जाता.
यह मेरी जिंदगी का वह अनुभव था, जो काफी महत्वपूर्ण था, परीक्षाओं से भी ज्यादा. अब, सभी इस बात से सहमत थे कि स्कूल में बिताये गये समय ने उनकी जिंदगी बदल दी. बच्चों के लिए यह एक ऐसा अवसर था, जिसने उनके जीने की धारणा बदल दी.
हिमालय की तलहटी में पैदल चलकर उन्होंने जाना कि शारीरिक श्रम करना कितना महत्वपूर्ण है. ताज महल का दौरा करने के बाद हैरी को आध्यात्मिक ज्ञान का अनुभव हुआ. अब वह योग और ध्यान पर अपना दिमाग केंद्रित कर रहा है. खुद हैरी के शब्दों में इतने लंबे समय तक परिवार या दोस्तों के बिना रहकर मुझे अपने आप में बहुत आत्मविश्वास मिला. मेरे माता-पिता मुझे देखकर आश्चर्यचकित थे.
स्कूल के प्रिंसिपल मिस्टर रैगेट इस बात को लेकर सचेत थे कि लड़कों की बुरी आदतों को लेकर कोई उनके माता-पिता को दोष न दे.
इथान की महत्वाकांक्षा बिग ब्रदर सेलिब्रिटी बनने की है. 20 वर्ष पहले ही उसने इसका ख्वाब देख लिया था. लेकिन, अब वह कहता है कि पता नहीं मेरी सोच अच्छी है या नहीं. मेरे कुछ दोस्त जर्मनी में एक ड्रग सेंटर चलाते हैं. मैं उन्हें समझाना चाहता हूं कि वे गलत कर रहे हैं. वे बेकार में इधर-उधर उछल कूद मचा रहे हैं लेकिन इससे उन्हें कुछ भी फायदा नहीं होने वाला. छह महीने तक स्कूल में रहने के बाद अनुशासन और जिंदगी का पाठ पढ़ सभी लड़के अब अपने देश को लौट गये हैं.