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चीन का Spacecraft धरती पर गिरने से पहले ही कर दिया गया नष्ट

बीजिंग/वाशिंगटन : चीन का निष्क्रिय अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग-1’ धरती पर गिरने से पहले ही नष्ट हो गया है. हालांकि, आशंका अब भी यह बनी हुर्इ है कि धरती पर इसके कुछ हिस्से ही गिर सकते हैं, मगर राहत की बात यह भी है कि इसका यह बाकी के बचे हुए हिस्से को भारत के आसपास […]

बीजिंग/वाशिंगटन : चीन का निष्क्रिय अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग-1’ धरती पर गिरने से पहले ही नष्ट हो गया है. हालांकि, आशंका अब भी यह बनी हुर्इ है कि धरती पर इसके कुछ हिस्से ही गिर सकते हैं, मगर राहत की बात यह भी है कि इसका यह बाकी के बचे हुए हिस्से को भारत के आसपास गिरने की संभावना नहीं है. सोमवार को चीन ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग-1’ साउथ पैसिफिक के ऊपर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश किया और नष्ट हो गया है. हालांकि, इसके कुछ हिस्से जमीन पर गिरेंगे.

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इसके पहले कहा जा रहा था कि यह ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच गिर सकता है. रविवार को चाइना मैन्ड स्पेस इंजीनयरिंग ऑफिस (सीएमएसर्इआे) ने चेताया था कि ‘तियांगोंग-1’ अंतरिक्ष स्टेशन कुछ ही घंटे में वायुमंडल में प्रवेश कर जायेगा और इसके ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक कहीं पर भी गिरने की आशंका है. सीएमएसर्इआे ने कहा था कि सोमवार को अंतरिक्ष प्रयोगशाला (स्पेस लैब) पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करेगा.

इसके अलावा सीएमएसर्इआे द्वारा हाल ही में प्रकाशित लेख में कहा गया था कि ‘तियांगोंग-1’ वायुमंडल में जल जाएगा और इससे जमीन पर किसी तरह के नुकसान होने की संभावना बेहद कम है. सीएमएसर्इआे ने यह पहले ही कह दिया था कि आठ टन वजन वाले इस स्पेस लैब से विमानन गतिविधि पर कोई प्रभाव पड़ने या जमीन पर कोई नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है. हालांकि लैब के मलबे का बहुत छोटा सा हिस्सा जमीन पर गिरेगा.

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा था कि पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद अंतरिक्ष स्टेशन पर नियंत्रण नहीं होगा. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद ‘तियांगोंग-1’ बिखर जाएगा और इसके कुछ ही हिस्से जमीन तक पहुंचेंगे, लेकिन ये हिस्से समुद्र या निर्जन क्षेत्र में भी गिर सकते हैं.

वहीं, अमेरिका के मिशिगन में अधिकारी इसको लेकर अलर्ट हैं. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी कर ली गई है और आपात टीमें तैयार रखी गई हैं. मालूम हो कि तियांगोंग-1 एक अंतरिक्ष लैब है, जिसे सितंबर 2011 में प्रक्षेपित किया गया था. इस लैब ने जून 2013 में अपना मिशन पूरा कर लिया था.

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