अमरीका की एक महिला केली रोलेट ने अपने माता-पिता के डॉक्टर पर मुकदमा किया है. उनका कहना है कि उनके डीएनए टेस्ट से पता चला है कि डॉक्टर ने उनकी मां का गर्भधारण कराने के लिए ‘अपने स्पर्म’ का इस्तेमाल किया था.
केली रोलेट ने अपने डीएनए का नमूना एनसेस्ट्री डॉट कॉम नाम की एक वेबसाइट को भेजा था. उन्हें आश्चर्य हुआ कि उनके डीएनए का नमूना उनके पिता के नमूने से मैच नहीं हुआ.
36 साल की केली को पहले लगा कि गड़बड़ी उनके डीएनए टेस्ट में हैं, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनका डीएनए उस डॉक्टर से मैच हुआ है जिन्होंने उनका जन्म करवाया था.
केली के माता-पिता ने गर्भाधारण के लिए इडाहो के फर्टिलिटी डॉक्टर की मदद ली थी.
केली ने अपने मुकदमे में सेवानिवृत्त प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ गेराल्ड मॉर्टिमर पर धोखाधड़ी, इलाज में लापरवाही, अवैध काम करने, मानसिक रूप से परेशान करने और दो पक्षों के बीच हुए समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
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कैसे पता चला?
अदालत में दिए गए दस्तावेज़ों के अनुसार डॉक्टर ने तीन महीने तक अपने स्पर्म उनकी मां के शरीर में डाले. ऐशबी और फाउलर का कहना है कि अगर उन्हें इस बात की जानकारी होती कि डॉक्टर अपने स्पर्म का इस्तेमाल करने वाले हैं तो इसके लिए कभी राज़ी नहीं होते.
दस्तावेज़ों के अनुसार डॉक्टर मॉर्टिमर ने ही बच्चे का जन्म करवाया और जन्म के बाद कुछ दिनों तक उसका ख़्याल रखा. जब ऐशबी और फाउलर ने उन्हें बताया कि वो वॉशिंगटन जा रहे हैं तो "वो रो पड़े" थे.
केली ने अपने आरोपों में कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि उनकी मां को गर्भधारण में असुविधा हुई थी. इसके बारे में उन्हें तब पता चला जब उन्होंने अपनी डीएनए रिपोर्ट के बारे में उनसे बात की.
केली के माता-पिता, सैली ऐशबी और हावर्ड फाउलर की शादी 1980 के दशक में हुई थी. उस दौरान वो वायोमिंग सीमा के पास इडाहो फॉल्स के नज़दीक रहते थे. फिलहाल दोनों का तलाक हो चुका है.
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डॉक्टर ने ऐसा क्यों किया?
केली के पिता का स्पर्म काउंट कम था और उनकी मां भी गर्भाशय की समस्याओं से जूझ रही थीं. इस कारण दोनों ने कृत्रिम रूप से गर्भधारण कराने का फ़ैसला लिया था जिसमें मेडिकल प्रक्रिया के तहत हावर्ड फाउलर और एक स्पर्म डोनर के स्पर्म के ज़रिए ऐशबी का गर्भधारण करवाया जाना था.
ऐशबी और फाउलर ने डॉक्टर गेराल्ड मॉर्टिमर से कहा था कि डोनर एक ऐसा कॉलेज छात्र होना चाहिए जो 6 फीट का हो और जिसकी आंखें नीली हों और बाल ब्राउन रंग के हों.
"डॉक्टर मॉर्टिमर को पता था कि केली उनकी बेटी हैं, लेकिन उन्होंने कभी ये बात ऐशबी और फाउलर को नहीं बताई. उन्होंने धोखा किया और जानबूझ कर ये बात छिपाई कि उन्होंने गर्भधारण की प्रक्रिया में अपने स्पर्म का इस्तेमाल किया है."
बीते साल केली ने अपनी मां से बात की और उन्हें बताया कि उन्हें लगता है कि एनसेस्ट्री डॉट कॉम को भेजा गया उनका डीएनए टेस्ट ग़लत है. उनकी मां को ये जानकर "झटका लगा" कि माता-पिता की सूची में जो नाम है उसमें एक अन्य नाम भी शामिल है.
ऐशबी ने अपने पूर्व पति से बात की और दोनों ने फ़ैसला किया कि वो अपना शक ज़ाहिर नहीं करेंगे.
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भावनात्मक पहलू
दस्तावेज़ों के अनुसार, "ऐशबी और फाउलर ने अपने गुस्से को काबू में किया और ये सोच कर परेशान रहे कि इस जानकारी के सामने आने से उनकी बेटी को दुख पहुंचेगा."
बाद में केली ने अपना बर्थ सर्टिफिकेट देखा जिसमें डॉक्टर मॉर्टिमर का नाम और हस्ताक्षर थे. वो इस बात से डर गईं और उन्होंने बात करने के लिए अपने माता-पिता से संपर्क किया.
केली के वकील ने स्थानीय मीडिया में एक बयान जारी कर कहा कि परिवार ने फ़ैसला किया है कि "वो अपनी कहानी सार्वजनिक तौर पर बताएंगे ताकि भरोसा तोड़ने के लिए दोषियों की ज़िम्मेदारियां तय की जा सकें. परिवार को इस बात का अंदाज़ा है कि इस मामले में लोगों की दिलचस्पी ज़रूर होगी, लेकिन उनका कहना है कि उनकी निजता का सम्मान किया जाए और इस मुश्किल स्थिति से उबरने कोशिश में उनका साथ दिया जाए."
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एनसेस्ट्री डॉट कॉम वेबसाइट की प्रवक्ता ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया, "डीएनए टेस्टिंग के जरिए लोग अपने परिवार और वंश में बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. हम मामले में सही जानकरी देने की पूर कोशिश करते हैं, लेकिन जैसा इस मामले में हुआ कि कभी-कभी लोगों को अज्ञात रिश्तों के बरे में भी पता चल जाता है."
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बीते साल इसी तरह का एक और मामले सामने आया था जिसमें इंडियाना के एक फर्टिलिटी ड़ॉक्टर पर आरोप था कि उन्होंने अपने मरीज़ों का गर्भधारण करने के लिए अपने स्पर्म का इस्तेमाल किया था.
कोर्ट रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि कराए गए पैटर्निटी टेस्ट्स से जानकारी मिली कि वो अपने पास आने वाली औरतों में से कम से कम दो के बच्चों के पिता हैं.
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