हरियाणा: नाबालिग पोती की हत्या पर परिवार के पाँच लोगों को जेल कराने वाले दादा

<p>घर में जगह-जगह जूठे बर्तन रखे हैं. कुछ सामान घर के आंगन में बिखरा पड़ा है. और एक गंभीर सन्नाटे के बीच बैठे हैं 72 साल के धज्जा राम.</p><p>सफ़ेद धोती-कुर्ता पहने धज्जा राम की निगाहें अपनों को तलाश रही हैं. उनके परिवार के पाँच लोगों को सोनीपत कोर्ट ने पिछले हफ़्ते ताउम्र क़ैद की सज़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2018 7:31 AM

<p>घर में जगह-जगह जूठे बर्तन रखे हैं. कुछ सामान घर के आंगन में बिखरा पड़ा है. और एक गंभीर सन्नाटे के बीच बैठे हैं 72 साल के धज्जा राम.</p><p>सफ़ेद धोती-कुर्ता पहने धज्जा राम की निगाहें अपनों को तलाश रही हैं. उनके परिवार के पाँच लोगों को सोनीपत कोर्ट ने पिछले हफ़्ते ताउम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है.</p><p>सोनीपत ज़िले के मातण्ड गाँव में रहने वाले इस परिवार पर अपनी ही नाबालिग बेटी की हत्या करने का आरोप है.</p><p>16 साल की स्वीटी सुरा की एक जुलाई 2016 को हत्या कर दी गई थी.</p><p>स्वीटी गोहाना के सरकारी कॉलेज में पढ़ती थीं और परिवारवाले एक लड़के के साथ उनके संबंध होने से नाराज़ थे.</p><h1>एक घर के पाँच लोगों को सज़ा</h1><p>स्वीटी अपने प्रेमी के साथ घर से चली गई थीं, लेकिन परिवार ने उन्हें भरोसा देकर वापस बुलाया और उनकी हत्या कर दी. </p><p>पेशे से किसान, स्वीटी के पिता बलराज सुरा ने अपने दो भाइयों की मदद से अपनी बेटी की हत्या की. उन्होंने मिलकर अपनी बेटी को घर में ही गोबर के उपलों में रखकर जला दिया.</p><p>स्वीटी के दादा धज्जा राम ने ही स्वीटी की हत्या का पूरा ब्यौरा पुलिस को दिया था और स्वीटी के पिता, माँ, दो चाचा समेत एक बहन (कुल पाँच लोगों) के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया था.</p><p>दो साल चली सुनवाई के बाद सोनीपत कोर्ट ने 12 अप्रैल, 2018 को इस परिवार को दोषी पाया और ताउम्र क़ैद की सज़ा सुनाई.</p><p>धज्जा राम की गवाही के आधार पर ही उनके परिजनों को सज़ा हुई है. लेकिन इस उम्र में घर के सभी ज़िम्मेदार लोगों को जेल की सज़ा होने से उनकी परेशानियाँ बढ़ी हैं.</p><h1>खेती और पेंशन पर चलता है घर</h1><p>घर के पाँच बच्चे हैं जो अभी 18 साल से कम उम्र के हैं, उनकी ज़िम्मेदारी अब धज्जा राम पर है. तीन दशक पहले उनकी पत्नी का निमोनिया के कारण देहांत हो गया था. अब वो अकेले हैं.</p><p>बीबीसी से बात करते हुए धज्जा राम ने बताया कि वो ढाई एकड़ ज़मीन पर खेती करते हैं और हर महीने 1800 रुपये की जो वृद्धावस्था पेंशन आती है उससे घर चलता है.</p><p>वो कहते हैं, &quot;जीवन में अब कुछ बचा नहीं है. पाँच बच्चे हैं और मैं. परिवार के बाकी सदस्यों को जेल की सज़ा हो गई है. ये फ़ैसला मेरे लिए शर्म की बात है या गौरव की, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ. और शायद मैं ये समझना चाहता भी नहीं.&quot;</p><p>उस दर्दनाक हादसे को याद करते हुए धज्जा राम कहते हैं कि जिस वक़्त घर वालों ने स्वीटी की हत्या की वो घर पर नहीं थे. उन्होंने बताया कि उनके बेटों ने कुछ ही घंटों में बेटी की हत्या करके उसे जला दिया.</p><h1>गाँव की सहमति</h1><p>धज्जा राम ने कहा कि ये अफ़सोस की बात है कि गाँव वालों ने इस हत्या की मूक सहमति दी. लोग मानते थे कि लड़की की वजह से परिवार और गाँव की बदनामी हुई.</p><p>उस दिन को याद करते हुए धज्जा राम ने कहा, &quot;रात को खाना खाने जब मैं घर आया तो मुझे बेटी की हत्या की जानकारी हुई. सभी घरवाले घबराए हुए थे. वो दबी आवाज़ों में बात कर रहे थे और उन्हें डर था कि कुछ बुरा होने वाला है. मेरी पत्नी का देहांत होने के बाद से ही मैं गाँव के मंदिर में सोया करता था. लेकिन जब मुझे इस मामले के बारे में पता चला तो मैंने पुलिस को इसकी सूचना दी.&quot;</p><p>धज्जा राम कहते हैं कि स्वीटी बहुत हंसमुख लड़की थी. वो परिवार में पहली थी, जो कॉलेज गई. लेकिन जब उसकी हत्या की गई तो परिवार वाले और गाँव के लोग स्वीटी के दादा, धज्जा राम की भूमिका को लेकर उनके ख़िलाफ़ हो गए.</p><h1>’मैं एक बूढ़ा आदमी'</h1><p>नतीजा ये हुआ कि गाँव में उनसे बात करने वाले लोग नहीं बचे और धज्जा राम अपने एक छोटे से कमरे में क़ैद हो गए. धज्जा राम कहते हैं कि जुलाई, 2016 के बाद उन्होंने सिवाय कोर्ट में जाकर गवाही देने के, कभी भी घर से बाहर किसी दूसरे काम के लिए पाँव नहीं रखा.</p><p>उन्होंने कहा, &quot;पहले दिन जो मैंने देखा और सुना, वही मेरी गवाही में आख़िर तक रहा. न कुछ ज़्यादा, न कुछ कम. पुलिस और कोर्ट ने इस मामले में अहम भूमिक अदा की. हालांकि मेरा मन ने ये कभी नहीं माना कि मेरे बच्चों को जेल की सज़ा हो. मैं एक बूढ़ा आदमी हूँ. जीवन में कुछ करने का अब मन नहीं है. अगले वक़्त की रोटी मिलेगी या नहीं, ये भी मुझे नहीं पता. ऐसे में कैसे इन बच्चों का पालन-पोषण कर पाऊंगा, ये बड़ा सवाल है.&quot;</p><p>धज्जा राम अपनी बैंक की पासबुक दिखाते हुए कहते हैं कि उनके खाते में महज़ दो हज़ार रुपए हैं.</p><p>धज्जा राम ने बताया कि उनकी बड़ी पोती मीना सुरा की साल 2017 में शादी हुई थी. पास के ही गाँव में उनकी ससुराल है. मीना को कोर्ट से बेल मिली हुई थी. लेकिन 12 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें भी ताउम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है.</p><h1>कई दिन से खाना नहीं मिला</h1><p>गाँव के बिल्कुल बीचों-बीच धज्जा राम का घर है. परिवार के लिए कोर्ट का फ़ैसला किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है. फिर भी गाँव का कोई शख़्स उनके यहाँ दर्द बाँटने नहीं आया.</p><p>घर के क़रीब से गुज़र रहीं बिमला देवी ने कहा कि इस परिवार के लिए कोई उम्मीदें अब बची नहीं हैं. पाँच लोग जेल में हैं और छोटे बच्चे जो अपने दादा के साथ हैं, वो भी एक तरह से अनाथ ही हो गए हैं.</p><p>इन बच्चों में सबसे बड़ी हैं काजल जो पास के ही एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती हैं और इसी साल उन्होंने दसवीं के इम्तहान दिए हैं.</p><p>धज्जा राम के सबसे बड़े बेटे बलराज इस मामले में मुख्य दोषी हैं. उनका 11 साल का बेटा विकास घर के दरवाज़े पर खड़ा इंतज़ार कर रहा है कि कोई लौटेगा. कई दिन से बच्चों ने कुछ खाया नहीं है और धज्जा राम के पास उनके लिए कोई बंदोबस्त भी नहीं है.</p><p>सोनीपत ज़िले में चार हज़ार की आबादी वाले इस गाँव में ज़्यादातर लोग खेती करते हैं और गाँव में आज भी ज़्यादातर लोगों की राय है कि लड़कियों का अपनी पसंद से शादी करना ठीक नहीं होता.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां</a><strong> क्लिक कर सकते हैं.आप हमें</strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi"> फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Next Article

Exit mobile version