17 अप्रैल : इंडोनेशिया में ज्वालामुखी विस्फोट में एक लाख लोग मरे थे, भारत में नहीं पड़ी थी गर्मी

इंडोनेशिया के तंबोरा में ज्वालामुखी विस्फोट को आधुनिक इतिहास में ज्वालामुखी विस्फोटों की सबसे बड़ी घटना माना जाता है.यहघटना आजहीकेदिन यानी 17 अप्रैल1815को घटी थी. कई विशेषज्ञ न सिर्फ जलवायु परिवर्तन बल्कि दूसरे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के लिए भी तम्बोरा ज्वालामुखी विस्फोट को ही जिम्मेदार मानते हैं. जैसे चीन के यूनान प्रांत में इसके बाद तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2018 6:14 PM

इंडोनेशिया के तंबोरा में ज्वालामुखी विस्फोट को आधुनिक इतिहास में ज्वालामुखी विस्फोटों की सबसे बड़ी घटना माना जाता है.यहघटना आजहीकेदिन यानी 17 अप्रैल1815को घटी थी. कई विशेषज्ञ न सिर्फ जलवायु परिवर्तन बल्कि दूसरे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के लिए भी तम्बोरा ज्वालामुखी विस्फोट को ही जिम्मेदार मानते हैं. जैसे चीन के यूनान प्रांत में इसके बाद तीन सालों तक सूखा पड़ा और बाद में वहां के किसान मजबूर होकर अफीम की खेती करने लगे.

सैकड़ों साल से शांत पड़ा यह ज्वालामुखीपांच अप्रैल 1815 को कंपन पैदा करने लगा. पांच दिन बाद उससे राख उठने लगी. 17 अप्रैल 1815 काे बड़ा विस्फोट हुआ जिसमें लावा और धुआं आस-पास के इलाकों में फैल गया और एक लाख लोगों की मौत हो गयी.

जब यह ज्वालामुखीविस्फोट हुआ था, तब यहांइंग्लैंड का शासन चलता था. कहा जाता है कि यहां तीन साल पहले से रह-रहकर भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे थे.

यह भी कहा जाता है कि जब यह विस्फोट हुआ था तब उसकी राख में सल्फर के कण अधिक मात्रा में पाए गए थे जो धरती के वायुमंडल में 10-13 किमी के बीच छागयी थी. सल्फर के कणों का यह धुआं जिसे एयरोसेल भी कहा जाता है, वह कुछ ही दिनों में अधिकतर देशों के ऊपर आ गया था जिसके कारण सूर्य की गरमी जमीन पर नहीं पहुंच पा रही थी. इसके परिणामस्वरूप भारत सहित कुछ अन्य देशों में गर्मी के मौसम में भी ठंड पड़ रही थी.

उस साल गरमी का मौसम भारत में आया ही नहीं था और मानसून काफी लेट आया था. यूरोप और अमेरिका में फसलें तबाह हो गयीं और आकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी थी.

इस आग की लपटों में लगभग एक लाख लोगों कि मौत हो गयी थी. आग की लपटें इतनी भयावह थी कि कई देशों में कुछ दिनों तक सूरज नहीं दिखाई पड़ा था.

Next Article

Exit mobile version