लंदन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे को बुधवार को भरोसा दिलाया कि यूरोपीय संघ को छोड़ने के बावजूद ब्रिटेन का महत्व भारत की नजरों में कम नहीं होगा. दोनों नेताओं ने यहां द्विपक्षीय संबंधों में नयी ऊर्जा का संचार करने पर सहमति जतायी.
यहां राष्ट्रमंडल देशों की शिखर बैठक में शामिल होने आये मोदी ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की. दोनों के बीच बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ आंतकवाद से निपटने, अतिवाद और आनलाइन उग्रवाद के विषय में ‘सार्थक विचार विमर्श’ हुआ. मोदी ने टेरीजा मे को भरोसा दिया कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को और आगे बढ़ाने के अवसर उभरे हैं. मोदी बुधवार की सुबह यहां ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचे. मेजबान प्रधानमंत्री ने उनका हाथ मिला कर परंपरागत तरीके से स्वागत किया और कहा प्रधानमंत्री, आपका लंदन में बहुत-बहुत स्वागत है. बाद में वहीं नाश्ते पर दोनों नेताओं की बैठक हुई जिसमें भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग बढ़ाने के तौर तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया.
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के बाद ट्वीट जारी कर कहा, ‘प्रधानमंत्री टेरीजा मे के साथ 10 डाउनिंग स्ट्रीट में बहुत अच्छी मुलाकात रही. भारत-ब्रिटेन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर हमारे बीच सार्थक बातचीत हुई.’ विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ब्रेक्जिट बाद के नये परिवेश में द्विपक्षीय रिश्तों को नयी पहचान देने और उनमें नयी ऊर्जा भरने के लिए विस्तृत बातचीत हुई. ब्रिटेन ने 23 जून 2016 को 28 देशों के समूह यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने का फैसला किया. ब्रिटेन के इस फैसले को ब्रेक्जिट के नाम से जाना जाता है. दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद 10 डाउनिंग स्ट्रीट से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सीरिया हवाई हमले, आतंकवाद का मुकाबला, अतिवाद और आनलाइन उग्रवाद उन कुछ अहम मुद्दों में शामिल हैं जिन पर दोनों के बीच बातचीत हुई.
डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्रेक्जिट के बाद भारत की नजरों में ब्रिटेन का महत्व कम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार तक पहुंचने के लिए लंदन शहर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है और बना रहेगा.’ प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान टेरीजा मे ने प्रधानमंत्री मोदी को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने की प्रक्रिया की प्रगति की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस बारे में मार्च में जो अवधि तय हुई है उसमें भारतीय कंपनियों और निवेशकों को भरोसा दिया गया है कि उनके लिए बाजार में प्रवेश की मौजूदा शर्तें 2020 तक जारी रहेंगी. ब्रिटेन की ओर से कहा गया कि बैठक में प्रधानमंत्री मे की 2016 की भारत यात्रा के बाद रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग में हुई प्रगति पर भी गौर किया गया. इसके साथ ही सेनाओं के बीच नजदीकी संबंधों और महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्रों में रक्षा क्षमता भागीदारी जैसे कई समझौतों पर भी गौर किया गया.
दोनों नेताओं ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार मजबूती के साथ बढ़ा है. उन्होंने ब्रिटेन-भारत संयुक्त व्यापार समीक्षा की व्यापार में अड़चनें दूर करने और दोनों देशों में कारोबार करना आसान बनाने तथा भविष्य के लिए मजबूत द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते बनाने जैसी सिफारिशों पर आगे काम करने पर सहमति जतायी. मोदी और मे ने ब्रिटेन-भारत के बीच प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नयी भागीदारी पर भी विचार-विमर्श किया. उम्मीद है कि इस भागीदारी से दोनों देशों में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और निवेश भी बढ़ेगा.
राष्ट्रकुल देशों के प्रमुखों की गुरुवार को होनेवाली बैठक के मद्देनजर दोनों नेताओं ने राष्ट्रमंडल देशों के नागरिकों के सुरक्षित, बेहतर, समृद्ध और सतत भविष्य के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर भी सहमति जतायी. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने इस बातचीत में ने रूस के हाल के ‘अस्थिरता पैदा करनेवाले व्यवहार’ को लेकर अपने देश के दृष्टिकोण को दोहराया. मोदी स्वीडन से यहां पहुंचे हैं. यहां लंदन में उनकी द्विपक्षीय बैठकों के साथ-साथ बहुपक्षीय स्तर पर भी बैठकें और विचार-विमर्श के कार्यक्रम हैं.