सोशल: ‘मोदी या मनमोहन, काम के मुद्दे पर सब मौन रहे’
<p>उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुई गैंगरेप की घटनाओं को लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को नसीहत दी है.</p><p>इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा, "मुझे लगता है कि पीएम मोदी जो सलाह मुझे दिया करते थे, उस पर उन्हें ख़ुद […]
<p>उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुई गैंगरेप की घटनाओं को लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को नसीहत दी है.</p><p>इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा, "मुझे लगता है कि पीएम मोदी जो सलाह मुझे दिया करते थे, उस पर उन्हें ख़ुद भी अमल करना चाहिए. और उन्हें बोलते रहना चाहिए."</p><p>दस साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आख़िरी दिनों (साल 2012-14) में भाजपा ने सोशल मीडिया पर उनका ‘मौन मोहन सिंह’ कहकर ख़ूब मज़ाक बनाया था.</p><p>बीते कुछ सप्ताह में गैंगरेप के ताज़ा मामलों समेत कई अन्य मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी का भी सोशल मीडिया पर काफ़ी मज़ाक बनाया गया है.</p><p>हालांकि इसी इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने ये भी कहा, "मुझे इस बात की ख़ुशी है कि आख़िर देर से ही सही लेकिन पीएम मोदी ने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि देश की बेटियों को इंसाफ़ ज़रूर मिलेगा."</p><p>लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री की पीएम मोदी को दी गई इस सलाह पर आम लोगों की क्या राय है? <strong>बीबीसी कहासुनी</strong> के ज़रिए हमने यही जानने की कोशिश की.</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/photos/a.295532330478349.81529.237647452933504/1975719182459647/?type=3&theater">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/photos/a.295532330478349.81529.237647452933504/1975719182459647/?type=3&theater</a></p><p>दिल्ली से मंगेश तिवारी ने कमेंट किया है, "मनमोहन सिंह पढ़े लिखे इंसान हैं. वो कम ज़रूर बोलते हैं, लेकिन सच्चा और ज़रूरी बोलते हैं. अपने कार्यकाल में भी उनका रवैया यही था. ज़्यादा बोलने वालों ने क्या बदल लिया?"</p><h1>दोनों की तुलना</h1><p>झारखंड के बोकारो शहर में रहने वाले राज कुमार ने लिखा कि दोनों की तुलना करना और एक साथ इनकी बात होना ठीक नहीं है. </p><p>वो लिखते हैं, "मनमोहन सिंह ने कभी भी मोदी की तरह अपनी ग़रीबी का रोना नहीं रोया. कभी वो राजनीति में अपनी माँ को लेकर नहीं लाए. कभी उन्होंने अपनी जाति या धर्म की बात नहीं की. और कभी भी सदन में उन्होंने मर्यादाविहीन भाषण नहीं दिया. इसलिए मोदी जी की बात अलग है."</p><p>हिमाचल के सुनिल नेगी ने टिप्पणी की है, "मोदी जी की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है. और कई बार उनका बोलना भी. हाल ही में उन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी को मोहन लाल गांधी बना दिया था."</p><h1>वो तो कई बार नहीं बोले</h1><p>देहरादून के ऐश चंद्रा ने लिखा है, "पेट्रोल के बढ़ते दाम, स्कूल-कॉलेजों की बढ़ी फ़ीस और बॉर्डर पर रोज़ मरते जवानों के बारे में भी तो अब मोदी जी नहीं बोलते."</p><p>हैदराबाद के आशिक़ इलाही ने लिखा है, "मनमोहन सिंह जी ठीक बात नहीं है ये. आप मोदी जी को उकसा रहे हैं. उन्हें कम ही बोलने दीजिए. वो कम से कम बोलें और ज़्यादा से ज़्यादा देश से बाहर रहें, यही देश के लिए अच्छा है."</p><p>महाराष्ट्र के शोम ने लिखा है कि मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के बोलने में अंतर है. मनमोहन सिंह किसी और की भाषा बोलते हैं और नरेंद्र मोदी अपनी. तभी तो भरी सभा में पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह की चिट्ठी फाड़ दी थी.</p><h1>काम और भाषण</h1><p>इसका जबाव देते हुए कई लोगों ने लिखा है, "मनमोहन सिंह काम की बात बोलते थे, फ़ालतू नहीं. मोदी फ़ालतू बात बोलते है, काम की नहीं. इसीलिए तो काम हो या नहीं, उस मुद्दे पर भाषण ज़रूर होता है."</p><hr /><h3>कई लोगों की राय है कि काम के मुद्दे की बात करनी हो, वो भी वोट बैंक की चिंता छोड़कर तो सभी नेता ‘मौन मोहन’ और ‘मौन मोदी’ बन जाते हैं.</h3><hr /><p>बिहार के मधुबनी से दिवाकर सिंह ने लिखा है, "ये ग़लत सवाल है. मोदी जी अगर इससे ज़्यादा बोलेंगे तो हमें अपने कान ख़ुद ही काटने पड़ेंगे."</p><p>आज़मगढ़ से विश्व नाथ सिंह ने लिखा है, "मोदी वक़्त गुज़र जाने के बाद बोलते हैं. तब, जब सारा नुक़सान हो चुका होता है. यहाँ चुप्पी से कोई शिक़ायत नहीं है. उनकी देरी से शिक़ायत है. उन्हें लगता है कि चुप रहना ही सही है, तो उन्हें साबित भी तो करना चाहिए कि उनकी चुप्पी सही थी और उसपर वो अडिग रहे."</p><h1>’झूठ ने झूठे से कहा…'</h1><p>वहीं इलाहबाद के ऋषि कुमार सिंह ने मनमोहन सिंह को उल्टे नसीहत देते हुए लिखा है कि आज मनमोहन सिंह जो सलाह दे रहे हैं वो उन्हें अपने पर लागू की होती तो घोटालों की झड़ी नहीं लगती.</p><p>कुछ लोगों ने मोदी की चुप्पी को सही ठहराते हुए लिखा है कि देश में आपराधिक घटनाएं तो रोज़ होती रहती हैं. हर घटना पर वो बोलने लगे तो 24 घंटे माइक लगाकर इसी बारे में बोलना पड़ेगा.</p><p>और कोलकाता के निखिल मिश्रा ने राहत इंदौरी की एक नज़्म लिखी है, "झूठ ने झूठे से कहा है सच बोलो."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉयड ऐप के लिए यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> करें. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>