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ईरान: पूर्व तानाशाह का हो सकता है यह ममी

ईरान की राजधानी तेहरान के नज़दीक एक ममी मिली है. बताया जा रही है कि इसकी ‘अधिक संभावना’ है कि यह ईरान के आख़िरी शाह के पिता की हो सकती है. तेहरान के दक्षिणी हिस्से में शाहर-ए रे नामक धार्मिक स्थल पर निर्माण के दौरान सोमवार को इस ममी के अवशेष पाए गए. इंटरनेट पर […]

ईरान की राजधानी तेहरान के नज़दीक एक ममी मिली है. बताया जा रही है कि इसकी ‘अधिक संभावना’ है कि यह ईरान के आख़िरी शाह के पिता की हो सकती है.

तेहरान के दक्षिणी हिस्से में शाहर-ए रे नामक धार्मिक स्थल पर निर्माण के दौरान सोमवार को इस ममी के अवशेष पाए गए.

इंटरनेट पर जिस तरह की तस्वीरें और समाचार रिपोर्टें प्रसारित की जा रही हैं उससे इस अनुमान को बहुत बल मिलता है कि यह ममी रज़ा शाह पहलवी का हो सकता है.

शाहर-ए रे में ही उनका मक़बरा है लेकिन 1979 की क्रांति के बाद उसे तबाह कर दिया गया था लेकिन उनके शव के अवशेष नहीं पाए गए थे.

उनके पोते और विपक्षी नेता माने जाने वाले रज़ा पहलवी ने कहा है कि इसकी बहुत संभावना है कि यह ममी रज़ा शाह से संबंध रखती हो. रज़ा पहलवी इस समय अमरीका में रह रहे हैं.

ट्विटर पर जारी किए गए बयान में उन्होंने ईरानी प्रशासन से आग्रह किया है कि परिवार से जुड़े भरोसेमंद डॉक्टरों को उस ममी को देखने दिया जाए और ईरान में उनको उचित तरीके से दफ़नाने का प्रबंध किया जाए.

उन्होंने कहा, "आधुनिक ईरान के वह पिता या राजा नहीं हों लेकिन वह अपने देश और अपने लोगों के एक साधारण सिपाही और सेवक ज़रूर थे. रज़ा शाह के लिए एक क़ब्र होनी चाहिए जिसके बारे में सभी ईरानी जान सकें."

पहलवी ने उन रिपोर्टों को भी ख़ारिज किया जिसमें कहा गया था कि पहलवी परिवार ने रज़ा शाह के अवशेष पहले ही स्थानांतरित कर दिए थे.

https://twitter.com/PahlaviReza/status/988877874164879361

तेहरान की सांस्कृतिक विरासत समिति के चेयरमैन ने अर्ध-सरकारी आईएसएनए समाचार एजेंसी से सोमवार को कहा था कि ऐसा ‘संभव’ है कि शव पूर्व नेता से संबंधित हों लेकिन ईरान में कुछ मीडिया समूहों में इसको लेकर विवाद है.

यह साफ़ नहीं है कि ममी कहां है.

कौन थे रज़ा शाह?

शाह सैन्य नेता थे जिन्होंने 1921 में तख़्तापलट किया था. पहलवी वंश की स्थापना रज़ा शाह ने की थी जिस वंश ने 1925 से लेकर 50 सालों तक ईरान पर राज किया था.

ईरान में आधुनिकता का प्रभाव फैलाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है. हालांकि, धर्म पर हमले और कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए भी उनकी आलोचना की जाती है.

ब्रिटिश और रूसी ताक़तों के दबाव में उन्हें अपने बेटे के लिए पद छोड़ना पड़ा था लेकिन तीन साल बाद 1944 में दक्षिण अफ़्रीका में निर्वासन में उनकी मौत हो गई.

शुरुआत में उनके शव को ममी बनाकर मिस्र में दफ़नाया गया था लेकिन बाद में कुछ सालों के बाद उनके शव को ईरान लाया गया था.

1979 में उनके बेटे मोहम्मद रज़ा शाह की सत्ता को उखाड़ फेंका गया और रज़ा शाह के मक़बरे को तबाह कर दिया गया.

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