शरीफ के बाद अब ख्वाजा आसिफ भी अयोग्य करार, यूएई का वर्क परमिट रखने का है आरोप
इस्लामाबाद : इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवारको पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य करार दे दिया. आसिफ पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में चुनाव लड़ते वक्त संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने ‘इकामा’ (वर्क परमिट) का ब्योरा छुपाया. आम चुनावों से पहले आसिफ को अयोग्य करार दिया […]
इस्लामाबाद : इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवारको पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य करार दे दिया. आसिफ पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में चुनाव लड़ते वक्त संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने ‘इकामा’ (वर्क परमिट) का ब्योरा छुपाया.
आम चुनावों से पहले आसिफ को अयोग्य करार दिया जाना सत्ताधारी पीएमएल-एन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता उस्मान डार की याचिका पर यह फैसला सर्वसम्मति से सुनाया. पीठ ने कहा कि आसिफ ‘सच्चे’ और ‘ईमानदार’ नहीं थे. डार ने यूएई का ‘इकामा’ रखने के मामले में संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत विदेश मंत्री आसिफ को अयोग्य करार देने की मांग की थी. साल 2013 में आसिफ के खिलाफ चुनाव हार चुके डार ने संसद सदस्य के रूप में आसिफ (68) की योग्यता को चुनौती दी थी. आसिफ ने चुनाव लड़ते वक्त कथित तौर पर अपनी नौकरी और अपने वेतन की घोषणा नहीं की थी.
इस फैसले के बाद आसिफ किसी सार्वजनिक पद या पार्टी में किसी पद पर नहीं रह पायेंगे. अनुच्छेद 62 के मुताबिक, किसी संसद सदस्य को ‘सादिक और अमीन’ (ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ) होना चाहिए. इसी प्रावधान के तहत, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स केस में 28 जुलाई 2017 को अयोग्य ठहराया गया था. आसिफ सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के शीर्ष नेताओं में से हैं और जून के बाद होने जा रहे चुनावों से पहले उन्हें अयोग्य करार दिया जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
न्यायालय ने कहा, ‘इस न्यायालय के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया जाता है कि वह प्रतिवादी को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का सदस्य घोषित करने संबंधी अधिसूचना से बाहर करने के लिए चुनाव आयोग को इस फैसले की प्रमाणित प्रति भेजे. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर को भी इस बारे में सूचित करने के लिए एक प्रति भेजने का निर्देश दिया जाता है.’ फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए आसिफ ने कहा कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना ‘इकामा’ कभी नहीं छुपाया.’ पीटीआई के नेता डार ने अदालत से आसिफ को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि अपने बेटों की कंपनी में काम करने का ‘इकामा’ रखने और अपने ‘प्राप्त किये जा रहे वेतन’ की घोषणा नहीं करने पर उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल ही नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दे दिया था.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इंटरनेशनल मेकेनिकल एंड एलेक्ट्रिकल कंपनी (इमेको) के साथ आसिफ का असीमित कार्यकाल के रोजगार का अनुबंध था. उन्हें जुलाई 2011 में पूर्णकालिक कर्मी के तौर पर नियुक्त किया गया था और वे विभिन्न पदों पर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि अनुबंध के तहत आसिफ को 35,000 एईडी मासिक वेतन और 15,000 एईडी मासिक भत्ते के तौर पर मिलने थे जिसकी उन्होंने घोषणा नहीं की. सुनवाई के दौरान आसिफ ने कंपनी का एक पत्र सौंपा था कि वह पूर्णकालिक कर्मी नहीं हैं और उन्होंने महज परामर्शदाता के रूप में सेवाएं दी थी जिनकी मौजूदगी यूएई में जरूरी नहीं थी. न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मोहसीन अख्तर कल्याणी की पीठ ने 10 अप्रैल तक के लिए फैसले को सुरक्षित रखा था.