7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सार्जेंट स्टब्बी : फर्स्ट वर्ल्ड वार का हीरो

एक साधारण कुत्ते ने अमेरिकी फौज में शामिल होकर अजब की बहादुरी दिखायी. उसने न केवल फ्रांस के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि उसने सैकड़ों सैनिकों की जान भी बचायी. इस कुत्ते के नाम पर अमेरिका में एनिमेशन फिल्म भी बनी. स्टब्बी नाम के इस आर्मी डॉग को अमेरिकी फौज में शामिल होने वाले पहले कुत्ते […]

एक साधारण कुत्ते ने अमेरिकी फौज में शामिल होकर अजब की बहादुरी दिखायी. उसने न केवल फ्रांस के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि उसने सैकड़ों सैनिकों की जान भी बचायी. इस कुत्ते के नाम पर अमेरिका में एनिमेशन फिल्म भी बनी. स्टब्बी नाम के इस आर्मी डॉग को अमेरिकी फौज में शामिल होने वाले पहले कुत्ते के रूप में भी जाना जाता है.

नेशनल कंटेंट सेल

सार्जेंट स्टब्बी फर्स्ट वर्ल्ड वार का हीरो आर्मी डॉग है. इस दौरान उसने अपने रेजिमेंट को गैस अटैक से बचाया और एक जर्मन जसूस को पड़वाया था. स्टब्बी कुत्ता होने के बावजूद एक हीरो है. उसने कई मेडल जीते हैं और उसकी जीवनी पर ‘सार्जेंट स्टब्बी, एक अमेरिकन हिरो’ नाम की एनिमेटेड फिल्म बन चुकी है.

स्टब्बी जे रॉबर्ट कोनोरी को जुलाई 1917 में येल विश्वविद्यालय परिसर में मिला था. इसी परिसर में अमेरिका की 102वें इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिक प्रशिक्षण ले रहे थे. इन्हें बाद में फ्रांस में तैनात किया जाना था.

कोनोरी दोस्त बन चुके स्टब्बी को फ्रांस के सेंट नजीर ले जाना चाहता था. इसलिए वह स्टब्बी को अपने कोट में छुपा कर जहाज पर चढ़ गया, लेकिन किसी तरह वह उसके कमांडिंग ऑफिसर की नजर में आ गया. जैसे ही कमांडिंग ऑफिसर ने उसे देखा, स्टब्बी ने उसे सैल्यूट किया. उसे सैल्यूट करना कोनोरी ने सिखाया था. इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर ने उसे साथ रखने की इजाजत दे दी. फ्रांस में स्टब्बी अपने रेजिमेंट के साथ ही रहने लगा. एंग्लो-सैक्सन सेनाओं में कई जानवरों को रखा जाता था.

इसलिए यह कुत्ता भी सेना में शामिल हो गया. स्टब्बी को पांच फरवरी, 1918 को चेमिन डेस डेम्स के युद्ध में शामिल किया गया. यहां इसने लगातार एक महीने तक गोलीबारी का सामना किया. 20 अप्रैल 1981 को जर्मन सेना ने सेचेरेपी में अमेरिकन फौज पर आक्रमण कर दिया. स्टब्बी ने इस हमले का समाना करते हुए अपने इन्फैंट्री रेजिमेंट को आग से बचाया. यह भयानक युद्ध था, जिसमें 650 से ज्यादा सैनक मारे गये और सौ को कैद कर लिया गया. इस हमले में हथगोले से स्टब्बी के आगे का पैर व सीना जख्मी हो गया था, पर जल्द ही उसने सेना में वापसी की थी और सैनिकों का हौसला बढ़ाया था.

सैकड़ों जानें बचायी

एक बार जब एक जर्मन जासूस छिप कर अमेरिकी सैनिकों के पोजीशन की टोह ले रहा था. स्टब्बी ने उसे पकड़वाने में मदद की. उस दुश्मन जासूस को पकड़ने के लिए स्टब्बी 102वें इन्फैंट्री के कमांडर ने पदोन्नति देते हुए सार्जेंट बना दिया. अमेरिकी फौज में वह पहला कुत्ता था जिसे यह रैंक मिला था. स्टब्बी ने गैस हमलों के दौरान सूंघ कर चेतावनी दी. वह युद्ध में घायल सैनिकों को खोजने का भी काम करता था. जब अमेरिकी सेना युद्ध से वापस स्वदेश लौटी, तो स्टब्बी देशवासियों का हीरो बन चुका था. परेड में उसे सबसे आगे रखा गया. वह व्हाइट हाउस गया और राष्ट्रपति वुडरो विल्सन से मुलाकात की. इसके बाद वह अमेरिकी अखबार व मैग्जिन की हेडलाइन में था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें