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शीतल मिष्ठान कुल्फी का मजा

गर्मियां अब शीतल पेय और खाद्य पदार्थ के बिना गुजरे, इसकी कल्पना तो मुश्किल है. गर्मी की शिद्दत को कम करने और सूखते गले को तर करने में कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम का ज्यादा बोलबाला है. बात अगर आइसक्रीम की करें, तो इसका आकर्षण भले हमें अपनी ओर खींचता हो, लेकिन हमारी अपनी कुल्फी का […]

गर्मियां अब शीतल पेय और खाद्य पदार्थ के बिना गुजरे, इसकी कल्पना तो मुश्किल है. गर्मी की शिद्दत को कम करने और सूखते गले को तर करने में कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम का ज्यादा बोलबाला है.
बात अगर आइसक्रीम की करें, तो इसका आकर्षण भले हमें अपनी ओर खींचता हो, लेकिन हमारी अपनी कुल्फी का जो मजा है, वह आइसक्रीम में कहीं नहीं है. इस बार कुल्फी की कुछ रोचक जानकारियों के बारे में बता रहे हैं भारतीय व्यंजनों के माहिर प्रोफेसर पुष्पेश पंत...
पुष्पेश पंत
जैसे-जैसे गरमी हमारे बदन को झुलसाने लगती है और गला सूखता है, तो मन तरसने लगता है ठंडी चीजें खाने-पीने के लिए. इस फेहरिस्त में सबसे ऊपर रखी जाने लगी है आइसक्रीम. बर्फ और मलाई से भले इसका दूर-दराज का वास्ता न हो, पर नाम कम लुभावना नहीं है. हमें शिकायत है कि विदेशी आइसक्रीम के आकर्षण ने हमारा नाता अपनी कुल्फी से तोड़ दिया है. कुल्फी के स्वाद और शक्ल की नकल करनेवाली आइसक्रीम को खानेवालों की कमी नहीं.
जनश्रुति के अनुसार, कुल्फी का आविष्कार बादशाह अकबर की फरमाइश पर हुआ था. कुल्फी का जिक्र आईन-ए-अकबरी में मिलता है, पर इतिहासकारों का मानना है कि हकीकत अलग है!
(इसका नामकरण कुफ्ल यानी ताले पर आधारित बताया जाता है, शायद इसलिए कि जिस धातु के तिकोने बर्तन में कुल्फी जमायी जाती है, उसका ढक्कन खोलने के लिए चाकू का इस्तेमाल चाबी की तरह किया जाता है.) बहरहाल, इतिहासकारों के अनुसार इस तरह का शीतल मिष्ठान मुगलों से पहले भी फारस यानी ईरान में लोकप्रिय था. कुटी बर्फ में फलों के रस और मेवे मिलाकर जो व्यंजन तैयार किया जाता था, वह कुल्फी का ही पुरखा था.
दिल्ली में कूडेमल की कुल्फी मशहूर है, जो सादी मलाई वाली कुल्फी के अलावा आम, अनार, संतरे की कुल्फियां इन फलों में भरकर बनाते हैं.
विडंबना यह है कि आज इसमें भी कृत्रिम रासायनिक रंग और गंध महसूस किये जा सकते हैं. कमोबेश यही हाल बाकी प्रसिद्ध पारंपरिक कुल्फियों का है, चाहे वह कानपुर की बदनाम कुल्फी हो या पहाड़गंज में रोशन की कुल्फी हो. करोलबाग वाले गियानी जी तो कुल्फी का रण छोड़ अब आइसक्रीम की दुनिया में पहुंच चुके हैं.
कुल्फी का मजा अाइसक्रीम से अलग है- इसमें न तो अंडा होता है, न ही कस्टर्ड वाला दूध. सबसे बड़ा अंतर मशीन से हवा भरकर इसे हल्का करनेवाला है. इटली के जिलैटो से इसकी तुलना की जा सकती है. हां आगरे की मधु अंडारहित आइसक्रीम बनानेवालों को अपनी मटका कुल्फी पर भी वाजिब नाज है!
आम तौर पर कुल्फी तिनके पर मढ़ी मिलती है और उसका आकार भारी भरकम नहीं होता, बस चुनाव पर दूधिया मिठास घुलती और गायब हो जाती है. हमारी समझ में कुल्फी की ठंडक और मिठास को आप इसमें मोटी-मोटी सेवइयों जैसे फलूदे की मदद से अपने मन माफिक बना सकते हैं.
धुर दक्षिणी और पूर्वोत्तरी भारत को छोड़ देश के सभी हिस्सों में कुल्फी से मुलाकात हो जाती है, जब कोई शाही या खास मेहमान हमारे यहां पधारता है, तो मेनू में कोई न कोई नये स्वाद वाली कुल्फी शामिल की जाती है.
जब राजकुमार चार्ल्स से विवाह के बाद राजकुमारी डायना भारत आयी थीं, तब जयपुर नरेश ने जिग्स कालरा की सलाह पर उन्हें गौतम और संदल की कुल्फी खिलवायी थी. प्रधानमंत्री मोदी की मेहमाननवाजी में हाथ बंटानेवाले मशहूर शैफ भी आयातित फलों या आयुर्वेदिक नुस्खों वाली कुल्फियों की नुमाइश करने में माहिर हो रहे हैं.
यह बात भी सादर कहने लायक है कि कुल्फी भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी खायी जाती है. यह अविभाजित भारत की साझी विरासत है!
रोचक तथ्य
कुल्फी का आविष्कार बादशाह अकबर की फरमाइश पर हुआ था. कुल्फी का जिक्र आईन-ए-अकबरी में मिलता है, पर इतिहासकार मानते हैं कि हकीकत अलग है!
कुल्फी का मजा अाइसक्रीम से अलग है- इसमें न तो अंडा होता है, न ही कस्टर्ड वाला दूध. इटली के जिलैटो से इसकी तुलना की जा सकती है.
जब राजकुमार चार्ल्स से विवाह के बाद राजकुमारी डायना भारत आयी थीं, तब जयपुर नरेश ने जिग्स कालरा की सलाह पर उन्हें गौतम और संदल की कुल्फी खिलवायी थी.कुल्फी भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी खायी जाती है. यह अविभाजित भारत की साझी विरासत है!

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