नीलाम हुआ शीत युद्ध का जासूसी कैमरा
युद्ध हो या शांति काल, किसी देश में क्या चल रहा है इसे जानने की उत्सुकता हर दूसरे देश को होती है. इतिहास गवाह है कि जासूसी के लिए लोगों ने कैसे-कैसे हथकंडे अपनाये हैं. जासूसी की ऐसी ही एक कहानी है, जिसमें कैमरे को अंगूठी में लगाकर इसका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया. […]
युद्ध हो या शांति काल, किसी देश में क्या चल रहा है इसे जानने की उत्सुकता हर दूसरे देश को होती है. इतिहास गवाह है कि जासूसी के लिए लोगों ने कैसे-कैसे हथकंडे अपनाये हैं. जासूसी की ऐसी ही एक कहानी है, जिसमें कैमरे को अंगूठी में लगाकर इसका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया. पिछले दिनों ऐसी ही एक अंगूठी की नीलामी भी हुई. जानते हैं अंगूठी के बारे में…
द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद 1945-1989 के बीच दुनिया दो ध्रुवों में बंट गयी थी. ये दो ध्रुव थे अमेरिका और सोवियत संघ. परमाणु शक्ति संपन्न होने के कारण दोनों देशों ने कभी भी सीधे तौर पर एक दूसरे से लड़ाई नहीं की, लेकिन अंदर ही अंदर एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं चुकते थे. दोनों हमेशा इसी ताक में लगे रहते कि कैसे एक दूसरे की जानकारी हासिल की जाये. इसके लिए वे जासूसी का सहारा लेते थे. जासूसी करने के लिए नये-नये तरीकों का ईजाद किया गया. नये-नये उपकरणों का अाविष्कार हुआ. इन्हीं उपकरणों में से एक था जासूसी के लिए कैमरे का इस्तेमाल.
दिलचस्प बात तो यह थी कि इन कैमरों का इस्तेमाल अंगूठी, गले के हार, बटन आदि में किया जाता था. युद्ध के दौरान रूसी एजेंटों द्वारा पहनी जाने वाली अंगूठियां और हार इस तरह की बनायी जाने लगी इसमें जासूसी के लिए कैमरे फिट किये जा सके.
पिछले दिनों ऐसी ही एक अंगूठी काफी चर्चा में रही. चर्चा की वजह थी इसकी नीलामी और नीलामी से भी बढ़कर जो बात थी, वह थी इसकी बनावट. बनानेवाले ने इतनी खूबसूरती से इस अंगूठी को बनाया था कि नीलामी के दौरान जब इसका प्रदर्शन किया जा रहा था तो बतायी जाने वाली हर खासियत पर लोगों की तालियां बज रही थी. बनाने वाले ने ऐसी एक जोड़ी अंगूठी बनायी थी. नीलामी के दौरान हो रही चर्चा में बताया गया कि यह अंगूठी अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ है. कारीगर ने इस नक्काशीदार अंगूठी का एक जोड़ा बनाया था, जो अब कहीं खो गया है.
नीलामी में इस अंगुठी को 16,79,375 रुपया ($25,000) में बेचा गया. जासूसी के लिए शीत युद्ध युग में केजीबी द्वारा दुर्लभ 14 कैरेट सोने की अंगूठी का इस्तेमाल किया गया था. साल 1991 में क्रिस्टीज में एक प्रसिद्ध जापानी कलेक्टर को यह अंगूठी मिली थी. ताज के आकार की इस अंगूठी के अंदर एक छोटा सा कैमरा लगा था, जिसका एपर्चर परिवर्तनीय और शटरयुक्त था. नीलामी के अनुसार, कैमरा बिल्कुल अच्छी स्थिति में है. लेंस पर कोई खरोंच या धुं ध के निशान नहीं है और एपर्चर कार्यरत रूप में है. यह अभी भी आसानी से खुलता और बंद हो जाता है. इस कैमरे में आठ मिमी का कैमरा फिल्म लगाया जाता था और इसपर 14 कैरेट सोने की सजावट की गयी थी. विक्रेता शेल्टन चेन ने कहा कि इस प्रकार के कैमरे समय के हिसाब से काफी उन्नत और दुर्लभ थे. इन कैमरों में से केवल कुछ कैमरे ही अबतक खोजे जा सके हैं. हर कैमरे का डिजाइन थोड़ा अलग होता था. विक्रेता शेल्टन चेन के अनुसार, अब तक उनके पास रुचि रखने वाले बहुत से खरीदार आये लेकिन सही दाम न मिलने की वजह से उन्होंने अबतक इसे नहीं बेचा था.
केजीबी यानी रहस्य, खौफ और आतंक सर्विस
केजीबी यानी कोमितयेत गोसुदारस्त्वजेनोज बिजोपासनोस्ती या आम हिंदी में कहें तो केजीबी का मतलब है सोवियत राज्य सुरक्षा समिति. लेकिन तीन अक्षरों के इस नाम का सही मतलब रहस्य, खौफ और आतंक है. अपने समय में केजीबी को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया सर्विस के तौर पर जाना जाता रहा है. इसके आतंक और असर को इसी से समझा जा सकता है कि अपने अंत के कई सालों बाद भी पूर्व सोवियत संघ की इस सीक्रेट एजेंसी का नाम आज भी अंतरराष्ट्रीय खुफिया षड्यंत्रों से जुड़ा है.
16,79,375
रुपये ($25,000) में बिका
14कैरेट सोने का िकया गया है िनर्माण में इस्तेमाल