इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक और सैन्य नेतृत्व ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा मुंबई आतंकी हमले पर दिये गये ‘भ्रामक’ बयान की निंदा करते हुये इसे ‘गलत और गुमराह’ करने वाला बताया. शरीफ ने एक साक्षात्कार में पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. उन्होंने राज्येत्तर तत्वों को सीमा पार जाने और मुंबई में लोगों को ‘मारने’ की अनुमति देने की नीति पर भी सवाल उठाया.
शरीफ की इस स्वीकारोक्ति से पाकिस्तान में विवाद शुरू हो गया और बयान को खारिज करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति या एनएससी (पाक का सर्वोच्च नागरिक-सैन्य निकाय) ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलायी. प्रधानमंत्री आवास पर हुई एनएससी की एक बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया, ‘मुंबई हमलों के संदर्भ में हालिया बयान की बैठक में समीक्षा की गयी. और एक सुर में इसे गलत और गुमराह करने वाला बताया गया.’
इसमें कहा गया, ‘प्रतिभागियों ने पाया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह राय या तो गलत धारणा या शिकायत के फलस्वरूप सामने आयी जो ठोस साक्ष्यों और वास्तविकताओं की पूरी तरह अनदेखी करती है. प्रतिभागियों ने एक स्वर से आरोपों को खारिज किया और इसमें किये गये भ्रामक दावों की निंदा की.’
बयान में कहा गया कि बैठक में यह भी दोहराया गया कि मुंबई हमले के मामले में नतीजे में देरी भारत की वजह से हो रही है न कि पाकिस्तान की वजह से. इसमें कहा गया, ‘जांच के दौरान कई मुद्दों पर इनकार और मुख्य आरोपी अजमल कसाब से पूछताछ की इजाजत से इनकार तथा उसकी फांसी में जरूरत से ज्यादा तेजी दिखाया जाना इस मामले के मुकदमे में बाधा की मूल वजह है.’
लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों ने नवंबर 2008 में मुंबई में 166 लोगों की हत्या कर दी थी जबकि दर्जनों लोगों को घायल कर दिया था. सुरक्षा बलों ने नौ आतंकियों को मार गिराया था जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था. दोषी पाये जाने पर कसाब को फांसी दे दी गयी थी. डॉन न्यूज टीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि एनएससी की बैठक के बाद प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने शरीफ से मुलाकात की और मुंबई हमलों पर उनकी टिप्पणी को लेकर सेना की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया.
सूत्रों ने कहा कि करीब 30 मिनट तक चली मुलाकात के दौरान शरीफ अपने रुख पर अड़े रहे और पूछा कि कोई बता सकता है कि उनकी टिप्पणी में क्या गलत था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि उनकी टिप्पणी पर इतना हो हल्ला क्यों मचाया जा रहा है जब पूर्व में ऐसी ही टिप्पणी दूसरों द्वारा की जा चुकी है. बयान में कहा गया कि गिरफ्तार भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव और समझौता एक्सप्रेस हमले के मामले में पाकिस्तान को अब भी भारत से सहयोग का इंतजार है.
इसमें कहा गया, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा समिति संकल्प लेती है कि पाकिस्तान सभी मोर्चों पर आतंकवाद के खिलाफ जंग में अपनी भूमिका निभाता रहेगा.’ इससे पूर्व शरीफ ने अपनी टिप्पणी को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच कहा कि जो सच है, वह वही बोलेंगे. शरीफ ने कहा कि उन्होंने जो कहा है, उसकी पुष्टि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद दुर्रानी ने पहले ही की थी.
उन्होंने उन स्थानीय मीडिया संस्थानों पर भी निशाना साधा जो उनके बयान की निंदा कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे मीडिया में गद्दार कहा जा रहा है उनसे मुझे गद्दार कहलवाया जा रहा है. क्या जिन लोगों ने देश और संविधान के टुकड़े कर दिये वो देशभक्त हैं? क्या जिन लोगों ने न्यायधीशों को उनके पदों से हटाया वो देशभक्त हैं? हम सच बोलेंगे भले ही इसका नतीजा कुछ भी हो.’
जब एक संवाददाता ने शरीफ से देश में ‘राज्येत्तर तत्वों की मौजूदगी’ के बारे में पूछा तो उनके साथ मौजूद उनकी पुत्री मरियम ने कहा ‘तो फिर किनके खिलाफ जर्ब ए अज्ब (सैन्य अभियान) चलाया गया था.’ वर्ष 2014 में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने विभिन्न आतंकी समूहों के खिलाफ ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब चलाया था जो संयुक्त सैन्य अभियान था. डॉन अखबार के अनुसार, इस मुद्दे पर शरीफ भाइयों के विरोधाभासी बयानों के बाद सत्ताधारी दल में मतभेद सामने आ गये.