बोल-सुन न पाने वाले बच्चों की आवाज़ बनी ये मां
<p>एक घर में जब एक बच्ची का जन्म हुआ तो पता चला कि वो बोल और सुन नहीं सकती. ये उस मां की कहानी है जिसने अपनी बच्ची को तो पढ़ाया ही बल्कि उसके जैसे और बच्चों के लिए भी उम्मीद की किरण बन गई. </p><p>पंजाब के बटाला की रहने वाली रमनदीप कौर ने अपनी […]
<p>एक घर में जब एक बच्ची का जन्म हुआ तो पता चला कि वो बोल और सुन नहीं सकती. ये उस मां की कहानी है जिसने अपनी बच्ची को तो पढ़ाया ही बल्कि उसके जैसे और बच्चों के लिए भी उम्मीद की किरण बन गई. </p><p>पंजाब के बटाला की रहने वाली रमनदीप कौर ने अपनी बच्ची की पढ़ाई के लिए पहले सांकेतिक भाषा सीखी और फिर ऐसे दूसरे बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल स्कूल खोल दिया. </p><p>अब इस ख़ास स्कूल में ज़िले भर के मूक-बधिर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. </p><p>बटाला के उमरपुरा-जालंधर रोड पर स्थित इस स्कूल का नाम है जैस्मिन स्कूल फॉर डेफ. </p><p>11 साल की जैस्मिन को रमनदीप कौर एक सफल शिक्षिका बनाना चाहती हैं. </p><p>खुद जैस्मिन का भी सपना है कि वो बड़ी होकर अपने जैसे बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए काम करे.</p><h1>डॉक्टरों ने हाथ खड़े किए, रमनदीप ने कोशिश की</h1><p>पंजाब के बटाला की रहने वाली रमनदीप कौर के घर में 11 साल पहले एक बच्ची ने जन्म लिया था. </p><p>जैस्मिन जब तीन महीने की हुई तो दोनों पति-पत्नी उसे लेकर ऑस्ट्रेलिया चले गए. </p><p>कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि उनकी बच्ची बोल और सुन नहीं सकती. डॉक्टर ने भी कहा कि कभी वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाएगी.</p><p>बच्ची जब कुछ बड़ी हुई तो उसे पढ़ने के लिए स्पेशल स्कूल भेजा गया. </p><p>अपनी बच्ची के लिए रमनदीप ने भी ऑस्ट्रेलिया में सांकेतिक भाषा सीखी. </p><p>करीब छह साल ऑस्ट्रेलिया में रहने के बाद रमनदीप जब भारत लौटी तो उन्हें बटाला में बच्ची को पढ़ाने के लिए कोई अच्छा स्कूल नहीं मिला.</p><p>रमनदीप ने जैस्मिन को अमृतसर के एक स्कूल में भर्ती करवा दिया. रमनदीप ने खुद भी भारतीय सांकेतिक भाषा सीखने के लिए वहां ट्रेनिंग लेना शुरू किया. </p><p>रमनदीप ने वहां शिक्षिका के तौर पर पढ़ाया भी. </p><p><strong>ग़रीब </strong><strong>बच्चों </strong><strong>को मुफ्त शिक्षा</strong></p><p>लेकिन फिर एमए और बीएड रमनदीप ने अपने घर पर ही ऐसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. </p><p>शुरुआत में वह अपनी बेटी जैस्मिन समेत चार बच्चों को घर पर पढ़ाती थीं. अब इस स्कूल में कुल 22 बच्चे पढ़ते हैं. </p><p>रमनदीप के घर के चार कमरों में ही यह स्कूल चलाया जा रहा है और पढ़ाने के लिए दो महिला शिक्षकों को रखा गया है. </p><p>रमनदीप का कहना है कि कमज़ोर आर्थिक पृष्ठभूमि के परिवारों के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती.</p><p>जो परिवार फीस देने में सक्षम हैं उनसे उतनी ही फीस ली जाती है जितने में स्कूल का ख़र्च चल सके.</p><p><strong>’लोग पूछते हैं, </strong><strong>मुफ्त</strong><strong> पढ़ाते हो’ </strong></p><p>ये बटाला का ऐसा अकेला स्कूल है जहां मूक-बधिर बच्चों को सांकेतिक भाषा में पढ़ाया जाता है. </p><p>रमनदीप कौर ने कहा, "मेरा बस यही सपना है कि ये बच्चे जो शिक्षा ले रहे हैं, उससे वो आगे चलकर कामयाब हों और किसी पर निर्भर ना रहें. मैं चाहती हूं कि ये बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं."</p><p>रमनदीप का कहना है कि ऐसे बच्चों की पढ़ाई को समाज में अहमियत नहीं दी जाती.</p><p>वो कहती हैं, "जब भी लोग हमारे स्कूल के बारे में पूछते हैं तो ज्यादातर लोगों का यही सवाल होता है कि क्या यहां मुफ्त शिक्षा दी जाती है."</p><p>"लोगों की मानसिकता ऐसी बन चुकी है कि वे स्वस्थ बच्चों को अच्छी और महंगी शिक्षा देने को तैयार हैं लेकिन ऐसे बच्चों के लिए पैसे ख़र्च करने से परहेज़ करते हैं."</p><p>रमनदीप के मुताबिक, लोगों को अपनी सोच बदलनी पड़ेगी ताकि मूक-बधिर बच्चे भी पढ़-लिख कर बेहतर ज़िंदगी गुज़ार सकें.</p><p>जैस्मिन अपनी मां के खोले गए स्कूल से बेहद खुश हैं. उसने सांकेतिक भाषा में बताया कि उसे स्कूल में अपने दोस्तों का साथ मिला है और वो यहां पढ़ने के साथ-साथ दोस्तों के साथ अच्छा समय गुज़ारती हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें…</strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41538106">सुन-बोल नहीं सकतीं, पर धमक अमरीका तक</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41738932">भारत आने के दो साल बाद भी गीता को है अपने परिवार का इंतज़ार</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39037039">देखी है कभी ‘साइन लैंग्वेज डिक्शनरी’?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41463640">क्या डोकलाम विवाद पूरी तरह से थम गया है?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां</a><strong> क्लिक कर सकते हैं.आप हमें</strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi"> फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>