भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार की मौत से आयरलैंड में बदला गर्भपात कानून
लंदन: आयरलैंड के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने गर्भपात के मुद्दे पर हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में शनिवार को जीत मिलने की घोषणा की. यह जनमत संग्रह गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को हटाने को लेकर किया गया. इस संबंध मेंआयी पहली आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भापत के खिलाफ किए गए संशोधन को निरस्त […]
लंदन: आयरलैंड के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने गर्भपात के मुद्दे पर हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में शनिवार को जीत मिलने की घोषणा की. यह जनमत संग्रह गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को हटाने को लेकर किया गया. इस संबंध मेंआयी पहली आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भापत के खिलाफ किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग को 66 प्रतिशत लोगों का समर्थन हासिल हुआ है. वरदकर ने कहा, “ लोगों ने अपनी राय जाहिर कर दी. उन्होंने कहा है कि एक आधुनिक देश के लिए एक आधुनिक संविधान की जरूरत है.”
उन्होंने कहा कि आयरलैंड के मतदाता, “ महिलाओं के सही निर्णय लेने और अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही फैसला करने के लिए उनका सम्मान और उन पर यकीन करते हैं.’ उन्होंने कहा, “ हमने जो देखा वह आयरलैंड में पिछले 20 सालों से हो रही शांत क्रांति की पराकाष्ठा है.”
आठवें संशोधन को निरस्त करने के पक्ष में पड़े मत कानून में बदलाव के लिए आयरलैंड की संसद का मार्ग प्रशस्त करते हैं. गौरतलब है कि आयरलैंड में भारतीय दंतचिकित्सक सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर एक अस्पताल में उनकी मौत हो गयी थी. उनकी मौत ने देश में गर्भपात पर चर्चा छेड़ दी. सविता के पिता आनंदप्पा यालगी ने कर्नाटक स्थित अपने घर से कहा कि उन्हें आशा है कि आयरलैंड के लोग उनकी बेटी को याद रखेंगे.
कैसे हुई थी सविता की मौत?
सविता की मौत 28 अक्तूबर 2012 को आयरलैंड में 31 वर्ष की उम्र में हो गयी थी. उस समय वे 17 सप्ताह की गर्भवती थीं. वे तेज बैक पैन के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थीं. वहअपनीशारीरिकस्थितिको समझ चुकी थीं और गर्भपात कराना चाहती थीं, पर उनके आग्रह को डॉक्टरों ने यह कह कर ठुकरा दिया कि भ्रूण का हृदय की धड़कन सुनाई पड़ रही है.उनकीस्थितिइस कारण बिगड़तीगयी और कुुछदिनोंबादउनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद अंतत: उनकी मौत होगयी.उनकीमौतआयरलैंड में एक बड़े बहस का कारण बनी.