चीन को झटका, संबाग बंदरगाह तक होगी भारत की पहुंच, इंडोनेशिया के साथ कार्यबल गठित करने पर बनी सहमति

जकार्ता : भारत और इंडोनेशिया व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने की खातिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एवं सुमात्रा द्वीप के प्रांतों के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए एक कार्यबल का गठन करने पर सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2018 7:43 PM

जकार्ता : भारत और इंडोनेशिया व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने की खातिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एवं सुमात्रा द्वीप के प्रांतों के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए एक कार्यबल का गठन करने पर सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच यहां वार्ता के बाद जारी किये गये एक संयुक्त बयान में इस फैसले की घोषणा की गयी.

बयान में कहा गया कि समुद्री पड़ोसी देशों के तौर पर भारत और इंडोनेशिया ने आर्थिक सहयोग एवं लोगों के बीच संपर्क में मदद के लिए खासकर समुद्र संबंधी संपर्कों को लेकर मजबूत संपर्क के महत्व को रेखांकित किया. इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने इंडोनेशिया के सामुद्रिक मामलों के समन्वय मंत्री के 17 से 19 मई के बीच किये गये भारत के सफल दौरे का संज्ञान लिया. उन्होंने सबांग में और उसके आसपास बंदरगाह संबंधी बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं चलाने के लिए एक संयुक्त कार्य बल का गठन करने के फैसले की सराहना की. सबांग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से सबसे करीबी (90 समुद्री मील) इंडोनेशियाई द्वीप है.

भारत के लिए बेहदअहम संबाग बंदरगाह

बयान के अनुसार, ‘दोनों नेता अंडमान और निकोबार-आचेह को जोड़ने की योजना का स्वागत करते हैं. योजना से दोनों क्षेत्रों की आर्थिक क्षमताओं के इस्तेमाल में मदद मिलेगी.’ यदि इंडोनेशिया ने भारत को सबांग बंदरगाह के इस्तेमाल की अनुमति दे दी, तो शायद यह चीनके हितों के खिलाफ होगा. भारत के लिए यह बंदरगाह बेहद अहम है. सबांग भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह से महज 710 किलोमीटर की दूरी स्थित पर है. हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की दिलचस्‍पी और उसके बढ़ते प्रभुत्‍व पर अंकुश लगाने के लिए लिहाज से सबांग बंदरगाह भारत के लिए काफी उपयोगी है.

‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-इंडोनेशिया समुद्री सहयोग की साझा दृष्टि ‘ का उल्लेख करनेवाले एक बयान के अनुसार दोनों देश व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने की खातिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एवं सुमात्रा द्वीप के प्रांतों के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए जरूरी कदम उठायेंगे, अंडमान और आचेह सहित सुमात्रा के प्रांतों के चैंबर ऑफ कॉमर्स के बीच व्यापारिक संपर्क की व्यवस्था करेंगे. दोनों देश सबांग द्वीप एवं पोर्ट ब्लेयर के बीच संपर्क बेहतर कर अंडमान सागर में पर्यटन के निर्माण की दिशा में काम करेंगे. दोनों देश साथ ही नौकायन पर्यटन, क्रूज शिप, समुद्री रोमांचक खेलों, गोताखोरी एवं स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबांग एवं अंडमान के हैवलॉक द्वीप के बीच संपर्क बेहतर करने की दिशा में काम करेंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय नौसेना के जहाजों को सबांग बंदरगाह तक पहुंच मिलेगी, सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने सीधा जवाब ना देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि बैठक में इन ब्योरों पर चर्चा की गयी.’ उन्होंने कहा कि कई भारतीय और इंडोनेशियाई कंपनियां बुनियादी ढांचे, बंदरगाह एवं हवाईअड्डों के निर्माण के लिए उत्सुक हैं.

दरअसल, इंडोनेशिया का सबांग बंदरगाह अपनी भौगोलिक खासियत के कारण सामरिक रूप से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है. यह द्वीप सुमात्रा के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी करीब है. यदि सामरिक लिहाज से देखा जाये तो सबांग द्वीप के इस बंदरगाह की गहराई करीब 40 मीटर है. इतनी गहराई में पनडुब्बियों समेत हर तरह के सैन्‍य जहाजों को यहां आसानी से उतारा जा सकता है. इसके लिए यह बंदरगाह बहुत उपयुक्त माना जाता है. चीनी विस्‍तारवादी नीति के कारण आरंभ से ही चीन की नजर इस बंदरगाह पर टिकी है. इसकी सामरिक उपयोगिता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान जापान ने इस द्वीप का इस्‍तेमाल अपने सैन्‍य ठ‍िकाने के रूप में किया था. जापान ने अपने बेड़े के जहाज यहां खड़े किये थे. यही कारण है कि चीन ने सबांग इलाके के इस्तेमाल और विकास के प्रति दिलचस्पी दिखायी थी.

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